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अमेरिका-ईरान में जंग से भारत को बड़ा झटका, सरकार के टूट सकते हैं ये बड़े सपने

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर है जिसकी वजह से भारत की चिंता बढ़ गई। मौजूदा परिस्थिति में भारत के लिए अमेरिका और ईरान दोनों ही महत्वपूर्ण है। इन दोनों देशों के बीच अगर युद्ध होता है तो भारत को दोहरा झटका लगेगा।

Dharmendra kumar
Published on: 7 Jan 2020 2:05 PM GMT
अमेरिका-ईरान में जंग से भारत को बड़ा झटका, सरकार के टूट सकते हैं ये बड़े सपने
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नई दिल्ली: अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर है जिसकी वजह से भारत की चिंता बढ़ गई। मौजूदा परिस्थिति में भारत के लिए अमेरिका और ईरान दोनों ही महत्वपूर्ण है। इन दोनों देशों के बीच अगर युद्ध होता है तो भारत को दोहरा झटका लगेगा। इसलिए भारत दोनों देशों के लगातार संपर्क में है और तनाव कम करने में भूमिका निभा रहा है।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर हालात पर नजर रखे हुए हैं। अगर ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध होता है तो ऐसी स्थिति में भारत को खाड़ी इलाके से अपने नागरिकों को निकालने में ओमान और यूएई की मदद लेनी पड़ सकती है। इन दोनों देशों में लाखों भारतीय रहते हैं। इससे पहले भी इन इलाकों में युद्ध की स्थिति में भारत को अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालना पड़ा था। इसके साथ ही ये दोनों देश भारत के प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता भी हैं।

आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम एशियाई देशों में करीब 80 लाख भारतीय रहते हैं। इसमें से ज्यादातर लोग फारस की खाड़ी के तटीय इलाकों में रहते हैं। बड़ी तादाद में भारतीय ईरान के करीब संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कतर और कुवैत में रहते हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक अकेले ईरान में 4000 भारतीय रहते हैं।

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कहा जा रहा है कि ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच ट्रंप प्रशासन को इन इलाकों में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए पाकिस्तान की आवश्यकता होगी। अपनी तरफ लाने के लिए पाकिस्तान को अमेरिका आर्थिक मदद कर सकता है। इससे आतंकवाद पर पाकिस्तान को घेरने की भारतीय मुहिम को झटका लग सकता है।

इसके साथ ही अफगानिस्तान में भी भारत के हितों को नुकसान हो सकता है। यह वजह है कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान से संपर्क साधा है। भारत और ईरान अफगानिस्तान को लेकर एक समान सोच रखते हैं। भारत को इन दोनों देशों के तनाव से कम से कम 10 मोर्चे पर झटके सकते हैं।

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इन मोर्चों पर लग सकता है झटका

-भारत अपनी जरूरत का 83 फीसदी तेल आयात करता है।अमेरिका और ईरान में तनाव से कच्चे तेल की कीमतों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। शुक्रवार को ब्रेंट कच्चा तेल 4.4 फीसदी चढ़कर 69.16 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था, तो वहीं शुक्रवार को रुपया 42 पैसे टूटकर 71.80 प्रति डॉलर पर आ गया था। जिसकी वजह से तेल की कीमतों में इजाफा होना तय है।

-अमेरिका और ईरान के बीच अगर युद्ध हुआ तो भारत को कच्चा तेल आयात करने में भी दिक्कत आएगी। हालांकि बीते दो सालों में ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव से भारत ने ईरानी तेल आयात को बहुत कम कर दिया है।

-अमेरिका और ईरान तनाव का असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर दिख रहा है। भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूता नहीं है। शुक्रवार को सेंसेक्स 162.03 अंक की गिरावट के साथ 41,464.61 पर बंद हुआ, निफ्टी की क्लोजिंग 55.55 प्वाइंट नीचे 12,226.65 पर हुई थी। उसके बाद सोमवार को भी बाजार में भूचाल आ गया।

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-आर्थिक अनिश्चितता के दौरान में हर निवेशक सोने जैसे सुरक्षित विकल्प को अपना रहे हैं जिसकी वजह से सोने की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव चार महीने के ऊंचे स्तर पर है। भारत के हाजिर और वायदा बाजार में सोमवार को सोना 41,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को तोड़ते हुए नई ऊंचाई पर चला गया है। अगर यही स्थिति रहती है तो सोने के दाम आसमान छू सकते हैं।

-कच्चे तेल के दाम बढ़ने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा होगा। तेल के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी। इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा। महंगाई बढ़ेगी।

-मोदी सरकार हर हाल से इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए वित्तीय घाटे को कम करने में जुटी है। लेकिन ईरान और अमेरिका में तनाव से सरकार की आमदनी घट जाएगी और खर्चा बढ़ जाएगा। इससे वित्तीय घाटे के मोर्चे पर सरकार को झटका लग सकता है।

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-अगर अमेरिका और ईरान में और तनाव बढ़ता है तो खासकर खाड़ी देशों में रह रहे लोग देश वापस आ जाएंगे। इससे भारत को आर्थिक मोर्चे पर काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि खाड़ी देशों ज्यादातर लोग वहां से बड़ी तादाद में वो अपने घरों में पैसे भेजते हैं जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम हिस्सा बनाता है। अगर ये लोग वापस आए तो भारत को काफी नुकसान होगा।

इसके साथ ही निवेश पर, निर्यात पर असर पड़ेगा।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

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