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चीन के खिलाफ US-India: बनेगी संयुक्त रणनीति, बेहद अहम होगा ये हफ्ता
अमेरिका और भारत के बीच होने वाली बातचीत को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका के विदेश मंत्री के साथ रक्षा मंत्री टी एस्पर भी भारत के दौरे पर होंगे।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ सैन्य विवाद में उलझे चीन के खिलाफ भारत और अमेरिका मिलकर रणनीति बनाएंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो की अगले हफ्ते होने वाली भारत यात्रा को इस लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत और चीन के बीच सैन्य विवाद शुरू होने के बाद अमेरिका शुरू से ही साम्राज्यवादी नीतियों को लेकर चीन पर हमले करता रहा है। अमेरिका का कहना है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में जानबूझकर सीमा विवाद खड़ा किया है जबकि उसे यहां से अपनी सेनाएं तत्काल हटा लेनी चाहिए।
पॉम्पियो के साथ अमेरिकी रक्षा मंत्री भी आएंगे
अमेरिका और भारत के बीच होने वाली बातचीत को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका के विदेश मंत्री के साथ रक्षा मंत्री टी एस्पर भी भारत के दौरे पर होंगे। दोनों देशों के बीच टू प्लस टू वार्ता के दौरान चीन का मुद्दा मुख्य माना जा रहा है।
अमेरिका के दोनों मंत्रियों की बैठक भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ होगी। नई दिल्ली में 27 अक्टूबर को होने वाली बातचीत से पहले अमेरिका की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कुछ बिंदुओं पर चर्चा हो सकती है।
पीएम मोदी से भी हो सकती है मुलाकात
जानकार सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री के साथ मुलाकात के अलावा अमेरिका के दोनों मंत्रियों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक इस टू प्लस टू वार्ता के दौरान द्विपक्षीय मुद्दों के साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी व्यापक चर्चा की जाएगी।
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बड़ी साजिश रच रहा है चीन
अमेरिकी विदेश मंत्री के भारत दौरे को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भारत दौरे के बाद वे श्रीलंका और मालदीव की यात्रा भी करेंगे। मौजूदा समय में चीन इन दोनों देशों को अपने ऋण जाल में फंसाने की साजिश में जुटा हुआ है। चीन की साजिश है कि दोनों देशों को ऋण जाल में फंसाकर इसके जरिए अपनी सामरिक स्थिति मजबूत की जाए।
सभी देशों को एक मंच पर लाने की कोशिश
अमेरिकी विदेश विभाग में डिप्टी असिस्टेंट सेक्रेटरी डीन थामसन का कहना है कि अमेरिका की कोशिश है की ऐसे सभी देशों को एक मंच पर लाया जाए जिनका चीन के साथ विवाद है। चीन अपनी कुटिल नीतियों के जरिए अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश में जुटा हुआ है।
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खास तौर पर अपने सीमावर्ती देशों पर चीन की विशेष नजर है। यही कारण है कि अमेरिका चीन की साजिश को विफल करने की कोशिश में लग गया है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने इस महीने की शुरूआत के दौरान भारत, जापान और आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक करके चीन के खिलाफ रणनीति पर चर्चा की थी।
दोनों देशों में हो सकता है सैन्य समझौता
भारत अगले महीने अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ सबसे बड़े नौसैनिक अभ्यास मालाबार की मेजबानी करने वाला है। चीन ने इस नौसैनिक अभ्यास पर कड़ी आपत्ति जताई है। हालांकि चीन की आपत्तियों के बावजूद नौसैनिक अभ्यास की योजना को नहीं रोका गया है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर होने की भी उम्मीद है। इसके जरिए भारत की संवेदनशील अमेरिकी सैटेलाइट तक पहुंच आसान हो जाएगी। इसके साथ ही दोनों देश रक्षा के क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत बनाने पर भी चर्चा करेंगे।
अमेरिका खुलकर आया भारत के साथ
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद शुरू होने के बाद अमेरिका खुलकर भारत की तरफदारी करता रहा है। अमेरिका यह बात कहता रहा है कि चीन की ओर से जानबूझकर पूर्वी लद्दाख में भारत को उकसाने वाली कार्रवाई की गई है और भारत की ओर से चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है।
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अमेरिका का कहना है कि चीन भारत ही नहीं बल्कि अन्य सीमावर्ती देशों को भी अपने दबाव में लाने की कोशिश कर रहा है और उसकी इस साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।
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