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मीट प्रेमियों को झटका! जाने क्यों कोर्ट ने इस राज्य को कहा-शाकाहारी घोषित करो

उत्तराखंड में 2011 से अब तक एक भी बूचड़खाने नहीं बनाए गए है। बूचड़खाने नहीं बनाएं जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि सरकार बूचड़खाने नहीं बना सकती है तो राज्य को शाकाहारी घोषित कर दें।

suman
Published on: 27 Nov 2019 11:28 AM IST
मीट प्रेमियों को झटका! जाने क्यों कोर्ट ने इस राज्य को कहा-शाकाहारी घोषित करो
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देहरादून: उत्तराखंड में 2011 से अब तक एक भी बूचड़खाने नहीं बनाए गए है। बूचड़खाने नहीं बनाएं जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि सरकार बूचड़खाने नहीं बना सकती है तो राज्य को शाकाहारी घोषित कर दें।

सरकार की ओर दिए गए शपथपत्र पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने सचिव शहरी विकास, जिलाधिकारी नैनीताल, नगरपालिका नैनीताल के अधिशासी अधिकारी, नगर आयुक्त हल्द्वानी, ईओ रामनगर, ईओ मंगलौर पालिका के खिलाफ आपराधिक अवमानना के आरोप तय करते हुए सभी को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में कोर्ट में 27 नवंबर को भी सुनवाई जारी रहेगी।

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राज्य के मीट कारोबारियों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। पूर्व में कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को राज्य में अवैध रूप से संचालित बूचड़खाने और उनमें बिक रहे मीट की जांच करने के आदेश देते हुए उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था लेकिन यह रिपोर्ट अभी तक कोर्ट में पेश नहीं करने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कारण बताओ नोटिस जारी कर व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था।

2011 में कोर्ट ने राज्य में चल रहे अवैध बूचड़खानों को बंद कराने के आदेश देने के साथ ही सरकार को मानकों के अनुरूप बूचड़खाने का निर्माण करने के निर्देश दिए थे। इस आदेश के विरुद्ध सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी लेकिन अभी तक सरकार को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है।

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2018 में कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने 72 घंटे में सभी अवैध बूचड़खाने को बंद कर दिया लेकिन अभी तक मानकों के अनुरूप बूचड़खाने का निर्माण नहीं किया जा सका है। याचिका में कहा गया कि सरकार कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही है और अभी तक बूचड़खाने नहीं बनाए जाने से मीट कारोबारियों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।

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