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Uttarakhand Tunnel Rescue: रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेने पहुंचे पीएम मोदी के प्रधान सचिव, टनल में फंसे मजदूरों से की बात
Uttarakhand Tunnel Rescue: ड्रिलिंग का काम आगे बढ़ाने के साथ ही श्रमिकों के निकलने का रास्ता बनाने के लिए 700 मिमी चौड़े पाइप भी डाले जा रहे हैं।
Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में 15 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान एक बार फिर तेज कर दिया गया है। अब वर्टिकल ड्रिलिंग के जरिए मजदूरों को बाहर निकालने की कवायद शुरू की गई है। रविवार को पहले दिन करीब 20 मीटर तक खुदाई की गई। बचाव अभियान में जुटे जानकारों का कहना है कि यदि कोई बाधा नहीं आई तो वर्टिकल ड्रिलिंग का काम गुरुवार तक पूरा कर लिया जाएगा। ड्रिलिंग का काम आगे बढ़ाने के साथ ही श्रमिकों के निकलने का रास्ता बनाने के लिए 700 मिमी चौड़े पाइप भी डाले जा रहे हैं।
इसके साथ ही दूसरे मोर्चे पर भी काम किया जा रहा है। 800 एमएम के पाइप में फंसे ऑगर मशीन के ब्लेड को हैदराबाद से मंगाए गए प्लाज्मा और लेजर कटर से काटा जा रहा है। पाइप से मशीन के मलबे को निकालने के बाद मैनुअल खुदाई करने की भी तैयारी है। पाइप के जरिए बनाए जा रहे रास्ते में सिर्फ 10 मीटर की ही खुदाई बाकी है। इसके बाद श्रमिकों तक पहुंचा जा सकता है। इस बीच सेना ने भी मोर्चा संभाल लिया है। अभियान में तेजी लाने के लिए 30 सैन्यकर्मियों की टीम मौके पर पहुंच चुकी है। सेना की ओर से कई आवश्यक उपकरण भी भेजे गए हैं।
पीएम मोदी के प्रधान सचिव ने मजदूरों से की बात
उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन पर प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर पहले दिन से है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी व्यस्तताओं के बावजूद लगातार घटनास्थल से अपडेट लेते रहते हैं। उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी से फोन पर उनकी रेगुलर चर्चा होती है। इसके अलावा तमाम केंद्रीय मंत्री और पीएमओ के अफसर अभियान का जायजा लेने आते रहते हैं। इसी कड़ी में सोमवार को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव मिश्रा टनल पहुंचे। उनके साथ केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू भी थे। पीके मिश्रा ने सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों से फोन पर बात की और उनका हालचाल जाना। उन्होंने मजदूरों को आश्वस्त किया कि उन्हें जल्द से जल्द टनल से बाहर निकाल लिया जाएगा।
गुरुवार तक पूरी होगी वर्टिकल ड्रिलिंग
मजदूरों को सुरंग से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के विकल्प पर कुछ दिन पहले काम शुरू कर दिया गया था। इस विकल्प के जरिए पहले दिन करीब 20 मीटर तक ड्रिलिंग की गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने कहा कि अगर कोई बाधा नहीं आई तो वर्टिकल बोरिंग गुरुवार तक खत्म हो जाएगी।
वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ डाला जा रहा पाइप
वर्टिकल ड्रिलिंग का काम आगे बढ़ाने के साथ ही मजदूरों के निकलने का रास्ता भी बनाया जा रहा है। इसके लिए 700 मिमी चौड़े पाइप डाले जा रहे हैं। हारिजेंटल ड्रिलिंग में बाधाएं आने के बाद वर्टिकल ड्रिलिंग को सबसे अच्छे विकल्प के रूप में चुना गया है और इसी कारण अब इस मोर्चे पर युद्ध स्तर पर काम शुरू कर दिया गया है। वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए जानकारों ने दो स्थानों का चयन किया था। दोनों ही स्थान निर्माणाधीन सुरंग सिलक्यारा के किनारे पर हैं। अब बचाव अभियान के तहत पहाड़ी के ऊपर सुरंग के शीर्ष पर वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया है।
सेना भी बचाव अभियान में जुटी
मजदूरों को बचाने के अभियान में मदद करने के लिए अब सेना की टीम भी पहुंच गई है। भारतीय सेना की इंजीनियरिंग कोर के समूह मद्रास सैपर्स की एक इकाई रविवार को सिलक्यारा पहुंची। इसमें 30 सैन्यकर्मी हैं। ये सैन्यकर्मी बचाव अभियान में हथौड़े और छेनी से सुरंग के अंदर के मलबे को खोदने का काम करेंगे। फिर पाइप को उसके अंदर बने प्लेटफार्म से आगे की ओर धकेला जाएगा।
मैनुअल खुदाई का काम आज से शुरू होने वाला है। सुरंग स्थल पर चल रहे बचाव अभियान में वायु सेना भी मदद देने में जुटी हुई है। वायुसेना ने रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन से कई महत्वपूर्ण उपकरण भेजे हैं।
अभियान को लगा था बड़ा झटका
शुक्रवार को बचाव अभियान को उस समय बड़ा झटका लगा था जब ऑगर मशीन के ब्लेड सरियों में फंस कर टूट गए थे। इसके बाद मशीन से ड्रिलिंग का काम ठप हो गया था। अब फंसे हुए ऑगर को बाहर निकालने के लिए लेजर, प्लाज्मा व गैस कटर से कटिंग का काम किया जा रहा है। ऑगर को बाहर निकालने के बाद मैनुअल ड्रिलिंग की जाएगी। इसके लिए ही सेना की टुकड़ी को विशेष तौर पर बुलाया गया है।
खराब मौसम बन सकता है खलनायक
बचाव अभियान में जुटे लोगों के लिए उत्तराखंड का बदलता मौसम भी चिंता का विषय बन गया है। मौसम विभाग का कहना है कि आज से उत्तराखंड के मौसम में बड़ा बदलाव दिख सकता है। मौसम विभाग की ओर से अगले तीन दिन बारिश और बर्फबारी की चेतावनी दी गई। ऐसे में खराब मौसम बचाव अभियान के लिए खलनायक साबित हो सकता है। जानकारों का कहना है कि यदि मौसम ने बाधा डाली तो श्रमिकों को बाहर निकालने का इंतजार और लंबा हो सकता है।
बीएसएनएल ने दी बातचीत की सुविधा
सुरंग में फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के अभियान के बीच सुविधाएं देने का भी निरंतर प्रयास किया जा रहा है। बीएसएसएनएल ने सुरंग में दूरसंचार की व्यवस्था कर दी है। इस सुविधा के उपलब्ध होने के बाद अब मजदूरों के परिजनों को उनसे बात करने के लिए सुरंग के कैविटी वाले क्षेत्र में नहीं जाना पड़ेगा।
कैविटी क्षेत्र को जोखिम भरा माना जा रहा था और इससे बचाव अभियान भी प्रभावित हो रहा था। अब बीएसएनएल के प्रयासों से मजदूरों के परिजनों को बातचीत करने की बड़ी सुविधा मिल गई है।
कोल इंडिया की टीम भी मदद के लिए पहुंची
बचाव अभियान में तेजी लाने के लिए अब नागपुर से आई कोल इंडिया लिमिटेड की चार सदस्सीय टीम सिलक्यारा पहुंची है। यह टीम वर्टिकल ड्रिलिंग के बाद श्रमिकों को बाहर निकलने वाले कैप्सूल का डिजाइन तैयार कर रही है। इस टीम में चार विशेषज्ञ आए हैं। कोल इंडिया के विशेषज्ञों के अनुसार वर्टिकल ड्रिलिंग के बाद स्टील के मजबूत कैप्सूल के अंदर खड़े होकर श्रमिकों को बाहर निकाला जाएगा।
बढ़ती जा रही है परिजनों की बेचैनी
मजदूरों के बाहर निकलने का इंतजार लंबा होने के कारण उनके परिजनों में काफी बेचैनी दिख रही है। उनके मन में मजदूरों की जान पर खतरा महसूस हो रहा है। सुरंग में फंसे मजदूर राजेंद्र के पिता श्रवण बेदिया ने कहा कि हम लोगों की सांस अटकी हुई है। उनका कहना है कि बेटे के बाहर निकलने पर ही वे ठीक से खा-पी सकेंगे क्योंकि वही उनके जीवन का सहारा है।
ऐसा ही हाल अन्य मजदूरों के परिजनों का भी है। सुरंग के भीतर मजदूर दीपावली के दिन सुबह से ही फंसे हुए हैं। हर बार उनके बाहर निकलने की तारीख बदलती जा रही है। हालांकि बचाव अभियान में जुटे लोगों का कहना है कि वे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकलने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। बचाव अभियान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार नजरें गड़ाए हुए हैं और वे इस बाबत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से रोजाना अपडेट ले रहे हैं।