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जनादेश 2019 : बनारस में नरेंद्र मोदी का नहीं मिल रहा कोई तोड़

seema
Published on: 23 March 2019 7:11 AM GMT
जनादेश 2019 : बनारस में नरेंद्र मोदी का नहीं मिल रहा कोई तोड़
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जनादेश 2019 : बनारस में नरेंद्र मोदी का नहीं मिल रहा कोई तोड़

आशुतोष सिंह

वाराणसी। लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व का आगाज हो चुका है। 11 अप्रैल से लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होंगे। इसके पहले सियासी बिसात पर शह और मात का खेल शुरू हो चुका है। एक-दूसरे को मात देने के लिए मोहरे बिछए जा रहे हैं। चुनाव की हलचल यूं तो पूरे देश में है, लेकिन बनारस में चुनावी पारा तेजी से चढऩे लगा है। इसका कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यहां से प्रत्याशी होना है। बनारस में चुनाव के अंतिम चरण यानि 19 मई को वोट डाले जाएंगे। वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनाव लडऩा तय माना जा रहा है, लेकिन उनके खिलाफ विपक्षी उम्मीदवार कौन-कौन होंगे, इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ है।

चुनाव के पहले ही मोदी को लेकर लोगों में खासा क्रेज है। हालांकि 2014 की तरह तस्वीर तो नहीं दिख रही है। बावजूद इसके वाराणसी के सियासी मैदान में फिलहाल मोदी का कोई तोड़ नहीं है। मोदी को लेकर बनारस का प्रेम ऐसे ही नहीं है। प्रधानमंत्री रहते हुए मोदी ने बनारस के विकास के लिए काफी कुछ किया। उन्होंने लगभग 30 हजार करोड़ रुपए की अलग-अलग योजनाएं बनारस की जनता को समर्पित कीं। मोदी की कोशिश है कि वाराणसी के विकास को वो लोकसभा चुनाव में मॉडल की तरह पेश करें।

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मोदी की गैरमौजूदगी में उनकी टीम चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है। बीजेपी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर चुनाव प्रचार में लग गए हैं। यहां पर मतदान चूंकि अंतिम चरण में है, लिहाजा बड़े नेताओं के दौरे कम हो रहे हैं। माना जा रहा है कि जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आएंगी, बनारस एक बार फिर सबसे बड़ा राजनीतिक अखाड़ा बनेगा। फिलहाल वाराणसी में चुनाव प्रचार का जिम्मा स्थानीय संगठन और जिले के 8 विधायकों के कंधों पर है।

हर विधायक को अपने-अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार का जिम्मा दिया गया है। संगठन मंत्री और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष खुद चुनाव प्रचार पर नजर बनाए हुए हैं। अगर विपक्ष की बात करें तो सपा-बसपा गठबंधन के तहत ये सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है। वहीं कांग्रेस अभी असमंजस की स्थिति में दिख रही है।

क्या है लोगों की राय

लोकसभा चुनाव को लेकर बनारस की जनता भी संजिदा दिख रही है। चुनाव के दौरान लोग किसे वोट देंगे, ये तो खुलकर नहीं बोल रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि बनारस का मूड फिर से मोदी के समर्थन में दिख रहा है। यहां के अधिकांश लोगों को लगता है कि पीएम नरेंद्र मोदी को एक बार फिर मौका दिया जाना चाहिए। पेशे से टीचर पूजा कहती हैं कि वाराणसी के विकास के लिए मोदी ने जो किया, वो मील का पत्थर है। धर्म और आस्था का ये शहर विकास की राह देख रहा था। मोदी ने हर नामुमकिन को मुमकिन में बदल दिया।

फोटो जर्नलिस्ट अनुज कहते हैं कि वाराणसी की गिनती अब देश के हाई फाई शहरों में होने लगी है। हमें विश्वास नहीं हो रहा है कि पांच सालों में इतना कुछ हुआ। हम चाहते है कि मोदी फिर से हमारे सांसद बनें।

होटल मैनेजमेंट के छात्र शशांक कहते हैं कि मोदी ने युवाओं के लिए कुछ नहीं किया। क्या बनारस में एक भी कल कारखाने लगे? एक भी कंपनी ने इंवेस्ट किया? सिर्फ दिखावे से काम नहीं चलेगा।

स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले शैलेंद्र पांडेय कहते हैं कि मोदी सिर्फ जुमलों से बनारस को जीतना चाहते हैं। जिस तरह से आस्था से खिलवाड़ किया गया उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। आने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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