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मोदी सरकार को झटका: वेदांता ने जीता 499 मिलियन डालर का केस, ये था मामला
वेदांता कंपनी के मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। ये मामला आन्ध्र प्रदेश में करीब 3700 करोड़ रुपए कीमत के ऑयल एंड गैस फील्ड बनाने को लेकर था।
नई दिल्ली: वेदांता कंपनी के मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। ये मामला आन्ध्र प्रदेश में करीब 3700 करोड़ रुपए कीमत के ऑयल एंड गैस फील्ड बनाने को लेकर था। कोर्ट ने वेदांता और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पक्ष में विदेशी ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा है। ट्रिब्यूनल के फैसले के तहत राजस्थान में रावा तेल और गैस फील्ड विकसित करने के लिये वेदांता को भारत सरकार से 19.8 करोड़ डालर की बजाय 49 करोड़ डालर लेने हैं। इस फैसले के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था जहाँ केंद्र की याचिका ख़ारिज कर दी गयी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह विदेश में हुए किसी मामले की समीक्षा नहीं कर सकता और यह अलॉटमेंट वेदांता को दिया जाता है।
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क्या था मामला
केंद्र सरकार ने कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि वेदांता लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज को रावा ऑयल एंड गैस फील्ड में सिर्फ 19.85 करोड़ डॉलर के प्रोडक्शन की इजाजत दी गई थी लेकिन कंपनी ने करीब 49.90 करोड़ डॉलर का प्रोडक्शन किया। चूँकि उसने ज्यादा प्रोडक्शन किया इसलिए उसे काम करने का पैसा घटा कर दिया जाएगा।
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि केन्द्र ट्रिब्यूनल की कार्यवाही में प्रक्रियागत उल्लंघन का मामला नहीं साबित नहीं कर सका। पीठ ने उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखते हुये अपने फैसले में कहा कि विदेशी ट्रिब्यूनल का फैसला भारत की सार्वजनिक नीति या न्याय की बुनियादी धारणाओं के विपरीत नहीं है।
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ग्लोबल टेंडर से हुआ था काम
भारत सरकार ने 1993 में बंगाल की खाड़ी से 10 से 15 किमी दूर स्थित रावा आयल और गैस फील्ड में पेट्रोलियम संसाधनों को विकसित करने के लिये ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किये थे। वीडियोकोन इंटरनेशनल लिमिटेड और कमांड पेट्रोलियम होल्डिंग्स एनवी (वेदांता और वीडियोकोन) ने अन्य बोलीकर्ताओं के साथ मिलकार रावा क्षेत्र को विकसित करने के लिये टेंडर में भाग लिया था। भारत सरकार और कमांड पेट्रोलियम इंडिया प्रा लि, रावा ऑयल (सिंगापुर) प्रा. लि., , वीडियोकान इंडस्ट्रीज लि और ओएनजीसी के बीच रावा फील्ड विकसित करने के लिये 28 अक्टूबर, 1994 को उत्पादन साझेदारी अनुबंध हुआ था। केयर्न इंडिया ने 2011 में मलेशिया में एक केस जीता था जिसमें उसे भारत में ज्यादा रिकवरी करने का अधिकार दिया गया था। बाद में केयर्न को वेदांता ने खरीद लिया और यह अधिकारी वेदांता को मिल गया।
केयर्न इंडिया ने 2011 में मलेशिया में एक केस जीता था जिसमें उसे भारत में ज्यादा रिकवरी करने का अधिकार दिया गया था। बाद में केयर्न को वेदांता ने खरीद लिया और यह अधिकारी वेदांता को मिल गया।
नीलमणि लाल
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