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बहुत खतरनाक दवा: कई स्वास्थ्यकर्मियों की हालत खराब, रहें सावधान

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) दवा का प्रभाव असरदार हो रहा है लेकिन ऐसे में जहां इस दवा से संक्रमण को रोकने में मदद मिल रही है वहीं इस दवा के दुष्प्रभाव भी काफी हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 19 April 2020 6:32 AM GMT
बहुत खतरनाक दवा: कई स्वास्थ्यकर्मियों की हालत खराब, रहें सावधान
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बहुत खतरनाक दवा: कई स्वास्थ्यकर्मियों की हालत खराब, रहें सावधान

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) दवा का प्रभाव असरदार हो रहा है लेकिन ऐसे में जहां इस दवा से संक्रमण को रोकने में मदद मिल रही है वहीं इस दवा के दुष्प्रभाव भी काफी हैं। इन्हीं प्रभावों को जानने के लिए इन दिनों दिल्ली एम्स में दो अध्ययन भी चल रहे हैं। लेकिन कुछ अस्पतालों से स्वास्थ्य कर्मचारियों ने दवा लेने के बाद उसके दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी है। इन कर्मचारियों की औसत आयु 35 वर्ष है।

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उल्टी व घबराहट इत्यादि की परेशानी

जिन कर्मचारियों ने इसके बारे में बताया है उसमें से 22 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारी डायबिटीज, हाइपरटेंशन या दिल इत्यादि की बीमारी से ग्रस्त हैं। इन्होंने जब दवा का सेवन किया तो 10 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारियों को पेट में दर्द की शिकायत हुई है। 6 फीसदी को उल्टी व घबराहट इत्यादि की परेशानी देखने को मिली है।

इसके साथ ही ये भी पता चला है कि इनमें से 14 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारियों ने ईसीजी नहीं कराई। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) का नुकसान सीधे दिल पर होता है।

शनिवार को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुख्य महामारी विशेष डॉ. रमन आर गंगाखेड़कर ने बताया कि एचसीक्यू दवा पर अध्ययन होने वाला था लेकिन लॉकडाउन के चलते फिलहाल यह संभव नहीं हो सका है।

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पेट में दर्द होने की शिकायत

इस अध्ययन के लिए 8 हफ्तों में 480 मरीजों को शामिल करना था। हालांकि आईसीएमआर ने इसके विकल्प में एक और अध्ययन करने का फैसला किया है। दिल्ली एम्स में इस समय दो अध्ययन भी चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने दवा लेने के बाद पेट में दर्द होने की शिकायत की है।

हालांकि अभी तक यह पता चला है कि 22 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपनी पहले से चली आ रही बीमारियों के डर से एचसीक्यू दवा का सेवन किया होगा।

इस पर डॉ. गंगाखेड़कर का कहना है कि इस वक्त डर के चलते स्वास्थ्य कर्मचारी दवा लेने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि उन्हें इसकी जरूरत नहीं है। कुछ स्वास्थ्य कर्मचारी जो सीधे तौर पर कोविड से नहीं लड़ रहे हैं वह भी इसका सेवन कर रहे हैं।

कोरोना वायरस के सटीक इलाज के लिए दवा का शोध चल रहा है। हालांकि अभी तक कोई ऐसी दवा नहीं मिल पाई है। विदेशों में भी इसका शोध जारी है।

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Vidushi Mishra

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