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CAA:कानपुर में हिंसा के पीछे था यह संगठन, लोगों को भड़काने में इसका हाथ
उत्तर प्रदेश के कानपुर में सीएए विरोधी प्रदर्शनों में पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का नाम सामने आया है।खबर के अनुसार, पीएफआई के अलावा अपने उग्र विचारों के लिए पहचाने जाने वाले एक राजनीतिक दल ने कानपुर का माहौल बिगाड़ने में भूमिका निभाई है।
कानपुर: कानपुर में सीएए विरोधी प्रदर्शनों में पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का नाम सामने आया है।खबर के अनुसार, पीएफआई के अलावा अपने उग्र विचारों के लिए पहचाने जाने वाले एक राजनीतिक दल ने कानपुर का माहौल बिगाड़ने का काम किया है। इन दोनों संगठनों को एक स्थानीय एसोसिएशन का भी साथ मिला है, जिसने 10 दिन पहले ऐक्ट के खिलाफ युवकों को इकट्ठा करने का आह्वान किया था।
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फाइल फोटो
कानपुर में दो दिन तक हुई जोरदार हिंसा को दबाने में पुलिस को जबर्दस्त प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। इतने संगठित तरीके से हुए उपद्रव के बीच पेट्रोल, एसिड, हथियार, बम और अन्य चीजों की मौजूदगी से साफ हो गया कि कहीं न कहीं बाहरी तत्वों ने लोगों को भड़काने के साथ हमले की सामग्री भी जुटाई, लेकिन तैयारी इतनी सटीक थी कि आखिरी वक्त तक पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों को इसकी भनक नहीं लगी। हालांकि अब तक सामने आए सबूतों के निष्कर्षों के आधार पर माना जा रहा है कि पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने उग्र विचारधारा वाले दल के साथ मिलकर यह काम किया। कानपुर में एक संगठन ने इसके लिए जमीन तैयार की। कभी स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया सिमी के साथ काम करने वाले स्लीपर सेल इनके साथ जुड़ गए।
https://newstrack.com/uttar-pradesh/simi-old-relation-with-kanpur-up-news-417920.html
फाइल फोटो
भीड़ जुटाने और लोगों को भड़काने के लिए 15-20 दिन से काम चल रहा था। कई स्लीपर सेल चमनगंज, बेकनगंज, यतीमखाना, बाबूपुरवा, बगाही और ग्वालटोली जैसे क्षेत्रों में खाने-पीने की दुकानों पर कम उम्र के लड़कों और बच्चों को भड़का रहे थे। इनका भरोसा जीतने के लिए सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे भ्रामक पोस्ट के प्रिंट की फोटोकॉपी बांटी जा रही थीं। दोनों दिन हुए प्रदर्शनों में ज्यादातर युवकों के पास छपे हुए प्लेकार्ड और पोस्टर्स थे। कानपुर के एक स्थानीय संगठन ने ही 13 दिसंबर को शुक्रवार के दिन युवकों को इकट्ठा करने के लिए जगह-जगह पोस्टर लगाए थे। इसके अलावा बाहर से आए लोगों ने हिंसक भीड़ को नेतृत्व दिया। स्थानीय लोग इनमें ज्यादातर को पहचानते ही नहीं हैं। बाबूपुरवा में भी कई ऐसे युवक आए थे।खबरों के अनुसार, 13 और 20 दिसंबर को बाबूपुरवा के एक धार्मिक स्थल से भड़काऊ अपील की गई थी। प्रशासनिक अधिकारियों को ऐसा करने वाले का नाम भी पता चल चुका है, लेकिन कार्रवाई से पहले पुख्ता सबूत जुटाए जा रहे हैं।