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जानिए क्या है POCSO एक्ट, बच्चों के साथ यौन अपराध पर मौत की सजा

बच्चों के साथ आए दिन यौन अपराधों के मामलों की बढ़ती संख्या देखकर सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था जो बच्चों को छेड़खानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है।

Dharmendra kumar
Published on: 30 March 2019 7:35 PM IST
जानिए क्या है POCSO एक्ट, बच्चों के साथ यौन अपराध पर मौत की सजा
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लखनऊ: बच्चों के साथ आए दिन यौन अपराधों के मामलों की बढ़ती संख्या देखकर सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था जो बच्चों को छेड़खानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है। उस कानून का नाम पॉक्सो एक्ट।

पास्को एक्ट और सजा

अंग्रेजी शब्द है पॉक्सो। इसका पूर्णकालिक मतलब होता है प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012। इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।

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बच्चों को सुरक्षा

वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है जिसका कड़ाई से पालन किया जाना भी सुनिश्चित किया गया है।

इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों पर कार्रवाई की जाती है। बच्चों के साथ की जाने वाली लैंगिक उत्पीड़न के तहत अलग-अलग सजा का प्रावधान है।

-12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामलों में मौत की सज़ा होगी।

-16 साल की लड़की से रेप करने पर न्यूनतम सजा को 10 साल से बढ़ाकर 20 साल किया गया है।

-16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप के मामले में दोषियों को उम्रकैद की सजा

-किसी महिला से रेप पर 10 साल की सजा होगी।

-कोर्ट को 6 महीने के अंदर अपना फैसला सुनाना होता है।

-रेप केस की जांच 2 महीने में पूरी करनी होती।

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ये है POCSO एक्ट से जुड़ी बड़ी बातें

18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का सेक्सुअल बर्ताव इस कानून के दायरे में आता है। ये कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।

इस एक्ट के तहत बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से प्रोटेक्ट किया गया है।

2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।

पोक्सो कनून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी मौजूदगी में सुनवाई का प्रावधान है।

अगर कोई शख्स किसी बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से में प्राइवेट पार्ट डालता है तो ये सेक्शन-3 के तहत अपराध है. इसके लिए धारा-4 में सजा तय की गई है।

अगर अपराधी ने कुछ ऐसा अपराध किया है जो कि बाल अपराध कानून के अलावा किसी दूसरे कानून में भी अपराध है तो अपराधी को सजा उस कानून में तहत होगी जो कि सबसे सख्त हो।

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अगर कोई शख्स किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट को टच करता है या अपने प्राइवेट पार्ट को बच्चे से टच कराता है तो धारा-8 के तहत सज़ा होगी।

अगर कोई शख्स गलत नियत से बच्चों के सामने सेक्सुअल हरकतें करता है, या उसे ऐसा करने को कहता है, पोर्नोग्राफी दिखाता है तो 3 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

इस अधिनियम में ये भी प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति ये जानता है कि किसी बच्चे का यौन शोषण हुआ है तो उसके इसकी रिपोर्ट नजदीकी थाने में देनी चाहिए, यदि वो ऐसा नही करता है तो उसे छह महीने की कारावास की सज़ा होगी।



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Dharmendra kumar

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