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Indira Gandhi: जब खून से सनी और बुलेट से भरी इंदिरा गाँधी को अफरा तफरी में लाया गया एम्स अस्पताल
Assassination of Indira Gandhi: 31 अक्टूबर 1984 का दिन भारत देश के इतिहास में दिल दहला देने वाला था। मानों देश और देशवासियों के लिए यह दिन थम सा गया हो। गोलियों से छलनी इंदिरा गाँधी को तत्काल प्रभाव अफरा तफरी के बीच दिल्ली के प्रसिद्ध और सबसे बड़े अस्पताल एम्स इलाज के लिए लाया गया।
Assassination of Indira Gandhi: 31 अक्टूबर 1984 का दिन भारत देश के इतिहास में दिल दहला देने वाला था। मानों देश और देशवासियों के लिए यह दिन थम सा गया हो। ओडिशा से चुनाव प्रचार कार्ववास अपने दिल्ली के सरकारी आवास पर लौटी भारत की तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। इस घंटना के बाद सभी देशवासी गहरे सदमें में थे। गोलियों से छलनी इंदिरा गाँधी को तत्काल प्रभाव अफरा तफरी के बीच दिल्ली के प्रसिद्ध और सबसे बड़े अस्पताल एम्स इलाज के लिए लाया गया। सभी मौजूद डॉक्टर और अन्य लोग उन्हें देख घबरा गए थे।
उसी दिन की सुबह नए एम्स निर्देशक को कार्येभार संभालना था। ऐसी दुखद घटना की किसी ने भी कल्पना नहीं की थी। डॉ वेणुगोपाल ने गोलियों के दर्द से जूझ रही इंदिरा गांधी का ऑपरेशन कर उन्हें शरीर से गोलियां निकाली। डॉ वेणुगोपाल आज भी इस दर्दनाक घटना और ऑपरेशन के दौरान के वो घण्टे याद कर दहल उठते है।
डॉ पी वेणुगोपाल की किताब हार्टफेल्ट
इंदिरा गाँधी का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पी वेणुगोपाल ने अपनी लिखी हुई संस्मरण की किताब हार्टफेल्ट में इंदिरा जी के किये हुए ऑपरेशन और वह कठिन चार घंटो का पूर्ण रूप से विस्तृत विवरण किया है। वह उस समय को याद कर भावुक हो जाते है जब एम्स अस्पताल के सभी डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ ने जीजान से इंदिरा गाँधी जी को बचाने की पूर्ण कोशिश की थी।
डॉ पी वेणुगोपाल
डॉ पी वेणुगोपाल उस घटना के दौरान एम्स के कार्डियक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष थे। उन्होंने अपनी संस्मरण की किताब हार्टफेल्ट में उस समय की दर्दनाक घटना को याद करते हुए लिखा है "खून से सनी उनकी साड़ी से फर्श पर गिरती हुई गोलियां, रक्त चढ़ाने की जीतोड़ कोशिश, और अस्पताल के गलियारे में अगले प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण पर हो रही राजनीतिक चर्चा... 39 साल बाद, आज भी सब साफ साफ याद है।"
आगे वह लिखते हैं वह अपने खून से पूरी तरह भीगी हुई थी। उन्हें देखकर मेरा नरम दिल दहल गया। उनके शरीर से खून इतनी तेज़ी से बाह रहा था जैसे कोई तालाब हो। उनका शरीर पीला पड़ गया था।
इंदिरा गाँधी की हत्या
प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी की उनके दो गार्ड द्वारा उनके सरकारी आवास के लॉन में हत्या कर दी गयी थी। उन्हें कुल ३३ गोलियां लगी थी। इन ३३ गोलियों में से उन्हें 30 गोलियां लगी थी जो बहुत अधिक होती हैं। २३ गोलियां उनके शरीर के आर-पार हो गयी थी और ७ शरीर के अंदर रह गयी थी। डॉ वेणुगोपाल कहते है की गाँधी जी को ओ ब्लड ग्रुप की आवश्यकता थी लेकिन उनके शरीर से इतना खून बह रहा था की खून चढाने की और ब्लड ग्रुप ढूंढने की हर कोशिश नाकाम होती। पूरे अस्पताल में अफरा तफरी का माहोल था। किसी भी डॉक्टर और नर्स को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। सभी डॉक्टर और नर्स उनके कमरे के बहार इखट्टा हो गए थे। उसी दिन पुराने निर्देशक अपना कार्यभार छोड़ रहे थे और नए निर्देशक को कार्यभार सौपा जा रहा था लेकिन इस स्थिति में सभी एकजुत होकर बस गाँधी जी को बचने की पूर्ण कोशिश में जुटे हुए थे। किसी को नहीं पता था उस वक्त कौन निर्देशक है। बस पूरे अस्पताल के स्टाफ को इतना पता था की इंदिरा गाँधी को बचाने की पूरी कोशिश करनी है।
तुरंत बिना किसी की सहमति के इंदिरा गाँधी जी को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया ताकि खून बहाना रोक सके। उनके शरीर से इतना अधिक खून बह रहा था की सभी औजार खून से भर गए थे। चार घंटे चले ऑपरेशन के बावजूद प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जी को बचाया नहीं जा सका और उनकी दुखद मृत्यु हो गयी।