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कौन होता है प्रोटेम स्पीकर, क्या है इनका काम? आइए जानते हैं...

गौरतलब है कि में महाराष्ट्र सरकार के लिए 17 संभावित प्रोटेम स्पीकरों के नाम सचिवालय की तरफ से भेजे गए हैं। ये फ्लोर टेस्ट प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में होगा। अब ऐसे यहां ये जानना ये बेहद जरूरी है कि आखिर स्पीकर कौन बनता है और इनका क्या रोल होता है। तो आइए हम आपको बताते हैं।

Shivakant Shukla
Published on: 26 Nov 2019 6:57 AM GMT
कौन होता है प्रोटेम स्पीकर, क्या है इनका काम? आइए जानते हैं...
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मुंबई: महाराष्ट्र में सियासी भूचाल रूकने का नाम नहीं ले रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना की याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार तक महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट करवाने का आदेश दिया है।

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कोर्ट ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस सरकार को 27 नवंबर को ओपन बैलेट से फ्लोर टेस्ट देना होगा। इसकी वीडियोग्राफी भी होगी। फ्लोर टेस्ट के साथ ही प्रोटेम स्पीकर विधायकों को शपथ भी दिलवानी होगी। गौरतलब है कि में महाराष्ट्र सरकार के लिए 17 संभावित प्रोटेम स्पीकरों के नाम सचिवालय की तरफ से भेजे गए हैं। ये फ्लोर टेस्ट प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में होगा। अब ऐसे यहां ये जानना ये बेहद जरूरी है कि आखिर स्पीकर कौन बनता है और इनका क्या रोल होता है। तो आइए हम आपको बताते हैं।

सचिवालय की तरफ से भेजे गए नाम-

हरिभाऊ बागडे

बालासाहेब थोरात

दिलीप वलसे पाटील

बबनराव पाचपुते

जयंत पाटील

छगन भुजबल

राधाकृष्ण विखे पाटील

के सी पाडवी

कालिदास कोलंबकर

सुधीर मुनगंटीवार

विजय कुमार गावित

गिरीष महाजन

गोवर्धन शर्मा

हितेंद्र ठाकूर

प्रकाश भारसाखले

मंगलप्रभात लोढा

बबनराव शिंदे

कौन होता है प्रोटेम स्पीकर?

प्रोटेम शब्द की बात करें तो यह लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर का संक्षिप्त रूप है। जिसका मतलब होता है- कुछ समय के लिए। चुनाव के बाद पहले सत्र में स्थायी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के चुने जाने तक सदन का कामगाज चलाने के लिए प्रोटेम स्पीकर का चुनाव होता है। प्रोटेम स्पीकर (अस्थायी) तौर पर सदन का संचालन करता है। ये बहुत ही कम वक्त के लिए इन्हें चुने जाते हैं। प्रोटेम स्पीकर तभी तक अपने पद पर रहते हैं जब तक स्थायी अध्यक्ष का चयन न हो जाए।

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इन परिस्थितियों में भी हो सकता है प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति?

हालांकि केवल चुनावों के बाद ही प्रोटेम स्पीकर की जरूरत नहीं होती बल्कि उस हर परिस्थिति में प्रोटेम स्पीकर की जरूरत पड़ती है जब सदन में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद एक साथ खाली हो। यह उनकी मृत्यु की स्थिति के अलावा दोनों के साथ इस्तीफा देने की परिस्थितियों में हो सकता है। संविधान में प्रोटेम स्पीकर की शक्तियों का जिक्र नहीं किया गया है।

Shivakant Shukla

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