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ये प्रोफेसर मल्लिका कौन हैं, जेपी नड्डा से क्या है इनका नाता

जेपी नड्डा की इस कामयाबी को लोग अपने अपने नजरिये से देख रहे हैं कोई इसका श्रेय उनकी मेहनत को दे रहा है तो कोई इसके पीछे उनका मोदी का खास होना वजह बता रहा है। लेकिन एक शख्स जिसका नड्डा की कामयाबी में बहुत बड़ा योगदान है वह खामोश है और पर्दे के पीछे हैं।

राम केवी
Published on: 20 Jan 2020 10:35 AM GMT
ये प्रोफेसर मल्लिका कौन हैं, जेपी नड्डा से क्या है इनका नाता
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रामकृष्ण वाजपेयी

कौन हैं प्रोफेसर मलिका और जेपी नड्डा से क्या है नाता। भारतीय जनता के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही जेपी नड्डा का इतिहास भूगोल खंगाला जाना शुरू हो गया है। जेपी नड्डा की इस कामयाबी को लोग अपने अपने नजरिये से देख रहे हैं कोई इसका श्रेय उनकी मेहनत को दे रहा है तो कोई इसके पीछे उनका मोदी का खास होना वजह बता रहा है। लेकिन एक शख्स जिसका नड्डा की कामयाबी में बहुत बड़ा योगदान है वह खामोश है और पर्दे के पीछे हैं।

आइये जानते हैं मल्लिका नड्डा के बारे में

मल्लिका नड्डा जेपी नड्डा की पत्नी, अर्धांगिनी, भार्या, वाइफ और सहधर्मिणी होने के साथ साथ उनकी सलाहकार भी हैं। मल्लिका नड्डा भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद जयश्री बनर्जी की पुत्री हैं। राजनीतिक बैकग्राउंड से आने के बाद भी मल्लिका नड्डा ने आज तक सक्रिय राजनीति में प्रवेश नहीं किया। वह नड्डा की छाया बनकर खुश रहीं।

पति के भाजपा जैसे विशाल संगठन का अध्यक्ष बनने पर उनकी प्रतिक्रिया थी 'आज का दिन हम लोगों के लिए काफी खुशी का दिन है। सभी लोग खुश हैं। मेरा परिवार, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश आज काफ खुश है। एक छोटे से राज्य का व्यक्ति आज बड़ी जिम्मेदारी संभालने जा रहा है।'

मल्लिका नड्डा क्या करती हैं

मल्लिका नड्डा एक कुशल गृहणी व पत्नी होेने के साथ वर्किंग वूमन और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। एक बार भ्रमण के दौरान गंदगी बिखरी दिखने पर उन्होंने वहां डस्टबिन मंगवाकर रखवा दी थीं। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ की भी वह प्रमुख कैम्पेनर हैं।

डॉ. मल्लिका नड्डा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के दिल्ली स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर डिस्टेंस एजुकेशन एंड लर्निंग में इतिहास की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। बीच में उनके स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में सक्रिय होने की खबरें भी आई थीं लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

इस जिम्मेदारी के अलावा वह स्पेशल ओलंपिक भारत की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। इससे पूर्व वह दो बार स्पेशल ओलंपिक भारत हिमाचल प्रदेश चैप्टर की अध्यक्ष रह चुकी हैं। इसके अलावा समाज सेवा उनका प्रिय विषय है। वह लगातार सामाजिक कार्यों में खुद को व्यस्त रखती हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी लोगों में शामिल जेपी नड्डा 29 साल में भाजपा के शिखर पर पहुंच गए। वह 1991 में भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनाए गए थे। उस वक्त नरेंद्र मोदी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे। दोनों नेताओं में तभी से घनिष्ठता है और वे साथ-साथ आगे बढ़ते हुए अपने अपने मुकाम तक पहुंचे हैं।

16 साल की उम्र में पहली बार जेल गए

मात्र 16 साल की उम्र में जेल जाकर 1975 के जय प्रकाश नारायण के आंदोलन से निकले जगत प्रकाश नड्डा आज भारतीय जनता पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष के रूप में पार्टी का चेहरा बन गए हैं। जेपी नड्डा कुशल संगठनकर्ता माने जाते हैं। 59 वर्षीय अनुभवी राजनेता जेपी नड्डा पर अब पार्टी को नए शिखर पर ले जाने की बड़ी जिम्मेदारी है। इससे पूर्व जेपी नड्डा और पत्नी मल्लिका नड्डा संग अपने घर से बीजेपी मुख्यालय गए और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया।

नड्डा का जन्म 2 दिसंबर 1960 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। उन्होंने पटना के ही सेंट जेवियर स्कूल से पढ़ाई की। पटना विश्वविद्यालय से आर्ट्स में स्नातक की डिग्री हासिल की। लेकिन एलएलबी की डिग्री हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से हासिल की। बाद में वह हिमाचल प्रदेश में ही स्थायी रूप से रहने लगे। 1991 में उनका विवाह भी मध्यप्रदेश भाजपा की वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद जयश्री बनर्जी की बेटी मल्लिका नड्डा से हुआ। उनके दो बेटे हैं।

संजीव चतुर्वेदी को हटाने में घिरे थे विवादों में

जेपी नड्डा वैसे तो विवादों से परे रहे हैं लेकिन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) को गैर कानूनी ढंग से हटाए जाने के चलते एक समय वह विवादों में घिर गए थे। बाद में जब नेता जेपी नड्डा को नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया तो यह विवाद उछला । इस मसले पर आम आदमी पार्टी (आप) ने मोदी सरकार पर निशाना भी साधा था, कांग्रेस ने भी नड्डा सहित कई अन्य ‘दागी नेताओं’ को मंत्रिमंडल में जगह दिए जाने के लिए सरकार को आड़े हाथों लिया था।

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दरअसल एम्स में भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोले सीवीओ संजीव चतुर्वेदी को हटाए जाने के मामले में भाजपा नेता जेपी नड्डा का नाम आया था। कायदे-कानून ताक पर रखकर एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी को हटाने के मामले ने तूल पकड़ा छा।

इस मामले में यह खुलासा हुआ था कि एम्स के पूर्व उप निदेशक (प्रशासनिक) विनीत चौधरी के खिलाफ मामले को उठाने के कारण नड्डा संजीव चतुर्वेदी से नाराज थे। इसलिए संजीव चतुर्वेदी को हटाया गया। चौधरी पर एम्स में कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। वे हिमाचल काडर में भारतीय प्रशासनिक सेवा से आए थे। वे नड्डा के सचिव व करीबी रहे थे।

छात्र जीवन से ही राजनीति

वह संगठनकर्ता, छात्रनेता, विधायक, सांसद, मंत्री और कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में विभिन्न पदों पर पार्टी के लिए काम करते रहे हैं। राजनीति से उनका जुड़ाव छात्र जीवन से ही शुरू हो गया था। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के सक्रिय सदस्य रहे हैं।

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1993 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद से वह पूरी तरह से सियासत में आ गए। वह तीन बार (1993, 1998, 2007) विधायक चुने गए। इस दौरान वह अलग-अलग समय में हिमाचल प्रदेश की बीजेपी सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, संसदीय मामलों, वन, पर्यावरण, विज्ञान और तकनीकी विभागों के मंत्री रहे हैं।

2010 से केंद्रीय राजनीति में सक्रिय हैं

2010 में बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें पार्टी का महासचिव बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी। उसके बाद से वह पार्टी के लिए लगातार बड़ी भूमिका का निर्वहन करते रहे हैं। अप्रैल 2012 में वह राज्य सभा के लिए चुने गए और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं। 2019 के आम चुनाव में उन्होंने उत्तर प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी निभाते हुए पार्टी को भारी जीत (62 सीटें) दिलाने में अपनी भूमिका निभाई।

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