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Sam Pitroda: कौन हैं सैम पित्रोदा, जिन्होंने इंदिरा गांधी के कहने पर उठाया था ऐसा कदम और फिर...

Sam Pitroda: 1987 में राजीव गांधी ने उन्हें टेलीकॉम, वाटर, शिक्षा, इम्युनाइजेशन, डेरी और ऑयलसीड्स से जुड़े छह टेक्नोलॉजी मिशन का हेड नियुक्त कर दिया।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 8 May 2024 3:27 PM IST
Indira Gandhi , Sam Pitroda
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सैम पित्रोदा , इंदिरा गांधी  (photo: social media )

Sam Pitroda: आपके मन में अब यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये सैम पित्रोदा हैं कौन जिनके बयानों से अक्सर विवाद खड़ा हो जाता है। और अक्सर इसको लेकर कांग्रेस की जमकर आलोचना होने लगती है। तो चलिए बताते हैं कि कौन हैं सैम पित्रोदा?

सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। उनकी पहचान एक टेलीकॉम इन्वेंटर और एंटरप्रेन्योर के तौर पर है। वो लगभग 50 साल से टेलीकॉम और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं। सैम पित्रोदा का जन्म भारत के ओडिशा के तितिलागढ़ में एक गुजराती परिवार में 1942 में हुआ था। सात भाई-बहनों में सैम पित्रोदा तीसरे नंबर पर हैं। गुजरात के एक बोर्डिंग स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने वड़ोदरा की महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर्स डिग्री हासिल की है।

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और चले गए अमेरिका

इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे अमेरिका चले गए। 1964 में शिकागो के इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से उन्होंने फिजिक्स में मास्टर्स डिग्री हासिल की। वह पढ़ाई पूरी करने के बाद 1965 में टेलीकॉम इंडस्ट्री से जुड़ गए। 1975 में उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक डायरी का आविष्कार किया। ये उनका पहला पेटेंट था। अपने करियर में उन्होंने कई पेटेंट दाखिल किए। उन्होंने मोबाइल फोन पर बेस्ट ट्रांजेक्शन टेक्नोलॉजी का पेटेंट भी दायर किया था।


जब छोड़ी अमेरिकी नागरिकता

सैम पित्रोदा का परिवार गांधीवादी रहा है और कांग्रेस पार्टी से उनकी नजदीकियां भी रही थीं। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम पित्रोदा को अमेरिका से भारत लौटने को कहा और सैम पित्रोदा इंदिरा गांधी के कहने पर भारत लौट आए। यही नहीं भारतीय नागरिकता लेने के लिए उन्होंने अपनी अमेरिकी नागरिकता भी छोड़ दी। वो इसलिए क्योंकि भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान है। भारत लौटने के बाद 1984 में ही उन्होंने टेलीकॉम पर काम करने वाली एक स्वायत्त संस्था सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स की शुरुआत की। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो सैम पित्रोदा उनके सलाहकार बन गए। 1987 में राजीव गांधी ने उन्हें टेलीकॉम, वाटर, शिक्षा, इम्युनाइजेशन, डेरी और ऑयलसीड्स से जुड़े छह टेक्नोलॉजी मिशन का हेड नियुक्त कर दिया। भारत की इन्फोर्मेशन इंडस्ट्री में बदलाव करने के लिए उन्होंने राजीव गांधी के साथ मिलकर कई सालों तक काम किया। उनका काम भारत के हर कोने तक डिजिटल टेलीकॉम का विस्तार करना था।

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और फिर चले आए अमेरिका-

भारत में कई सालों तक काम करने के बाद 1990 के दशक में सैम पित्रोदा वापस अमेरिका लौट आए। यहां शिकागो में रहते हुए उन्होंने कई कंपनियां शुरू कीं। मई 1995 में वो इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन ॅवतसकज्मस इनिशिएटिव के पहले चेयरमैन बने। 2004 में जब कांग्रेस की अगुवाई में भारत में यूपीए सरकार बनी, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पित्रोदा को नेशनल नॉलेज कमीशन का अध्यक्ष बनने के लिए आमंत्रित किया। मनमोहन सिंह के न्योते पर पित्रोदा दोबारा भारत लौटे। 2005 से 2009 तक पित्रोदा नेशनल नॉलेज कमीशन के अध्यक्ष रहे। 2009 के चुनाव के बाद यूपीए सरकार जब दोबारा सत्ता में आई तो अक्टूबर 2009 में उन्हें मनमोहन सिंह का सलाहकार नियुक्त किया गया। इसके साथ ही उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया था।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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