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चक्रवात क्यों आते हैं , इनका नाम क्यों रखा जाता है ?

Cyclones : हाल ही में हम टीवी और अख़बारों में एक नाम देख रहे हैं और सुन रहे हैं ,चक्रवात ‘बिपरजॉय’।बिपरजोय का मतलब बंगाली भाषा में आपदा होता है। ये नाम बांग्लादेश द्वारा सुझाया गया है ।कहा जा रहा है कि चक्रवात ‘बिपरजोय’ के 15 जून को गुजरात के कच्छ जिले में दस्तक दे सकता है ।हम ऐसी खबरें अक्सर हर साल सुनते हैं ।आज हम जानेंगें कि चक्रवात क्यों आते हैं और इनके नाम रखने के पीछे क्या वजह होती है ।

Akshita Pidiha
Published on: 13 Jun 2023 2:15 PM IST
चक्रवात क्यों आते हैं , इनका नाम क्यों रखा जाता है ?
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Cyclone (social media)

Cyclones : चक्रवात क्या है - जब एक तरफ से गर्म हवाओं तथा दूसरी तरफ से ठंडी हवा एक दूसरे से मिलती है तो वह एक गोलाकार आंधी का आकार लेने लगती है इसे ही चक्रवात कहते हैं।यह अपने साथ भारी बारिश और तेज हवाएं लेकर आते हैं। ये हवाएं उनके रास्ते में आने वाले पेड़ों, गाड़ियों और कई बार तो घरों को भी तबाह कर सकती हैं।अंग्रेज़ी में इसे साइक्लोन कहते हैं ।

चक्रवात के नाम रखने की वजह

चक्रवात को ऐसा नाम दिया जाता है, जो याद रखने और उच्चारण में आसान हो। आपत्तिजनक या विवादास्पद नाम नहीं होना चाहिए ।ऐसे नाम नही होना चाहिए जिससे किसी की भावना को ठेस पहुँचे ।इन नामों को विभिन्न भाषाओं से भी चुना जाता है ताकि विभिन्न क्षेत्रों के लोग उन्हें पहचान सकें।यह अधिकतम आठ अक्षरों का होना चाहिए ।हालांकि तूफान के लिए Q, U, X, Y, Z अक्षरों से शुरू होने वाले नामों का प्रयोग नहीं किया जाता है।हर साइक्लोन का नाम नहीं रखा जाता है। केवल 65 किमी/घंटे की रफ्तार से ज्यादा वाले साइक्लोन का नाम रखना जरूरी होता है।

वर्तमान में साइक्लोन के नाम रखने का काम दुनिया भर में मौजूद छह विशेष मौसम केंद्र यानी रीजनल स्पेशलाइज्ड मेट्रोलॉजिकल सेंटर्स यानी RSMCS और ट्रॉपिकल साइक्लोन वॉर्निंग सेंटर्स यानी TCWCS करते हैं।

शुरुआत में चक्रवातों का नाम मनमाने ढंग से रखा गया।1800 के दशक के अंत में, चक्रवातों का नाम कैथोलिक संतों के नाम पर रखा गया था। 1953 से मायामी नेशनल हरीकेन सेंटर और वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन (डब्लूएमओ) तूफ़ानों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखता था ।साल 2004 में यह स्थिति बदली ,जब हिंद महासागर के इलाकों में आने वाले साइक्लोन के नाम रखने पर सहमति बनी थी। इसके बाद भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, श्रीलंका और थाईलैंड को मिलाकर कुल आठ देशों ने एक बैठक में हिस्सा लिया।इन देशों ने 64 नामों की एक सूची सौंपी। हर देश ने आने वाले चक्रवात के लिए आठ नाम सुझाए। 2018 में इसमें ईरान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और यमन भी शामिल हुए, जिन्हें मिलाकर इनकी संख्या 13 हो गई।चक्रवात विशेषज्ञों का पैनल हर साल मिलता है और ज़रूरत पड़ने पर सूची फिर से जमा की जाती है।

तूफानों के नामकरण के लिए सम-विषम फॉर्मूले का भी प्रयोग किया जाता है। सम साल जैसे- अगर 2002, 2008, 2014 में अगर चक्रवाती तूफान आया है तो उसे पुर्लिंग के नाम पर दिया जाता है। वहीं, विषम साल जैसे- 2003, 2005, 2007 में अगर चक्रवाती तूफान आया है तो उसे एक स्त्रीलिंग नाम दिया जाता है।

अब तक का सबसे ख़तरनाक तूफ़ान

अब तक का सबसे विनाशकारी साइक्लोन साल नवंबर 1970 में बांग्लादेश में आया था। इसका नाम ग्रेट भोला साइक्लोन था , जिसकी वजह से लगभग 3-5 लाख लोगों की मौत हो गई थी ।

चक्रवात का अलग देशों में अलग नाम

फ्लोरिडा के तट से उठने वाला तूफान हरिकेन कहलाता है जबकि फिलीपींस के तट पर आकर यह टाइफून हो जाता है। अटलांटिक महासागर से उठने वाला तूफ़ान हरिकेन कहलाता है और प्रशांत महासागर से उठने वाला तूफ़ान टाइफून कहलाता है।
हरिकेन समुद्र में लगभग साल भर साइक्लोन बनते हैं, लेकिन ये सभी खतरनाक नहीं होते हैं। इनमें से जो साइक्लोन धरती की ओर बढ़ते हैं वही खतरनाक होते हैं।

Akshita Pidiha

Akshita Pidiha

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