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पति जिन्दा है: 49 साल बाद पत्नी को मिली खुशखबरी, रिहाई की जगी उम्मीद
1971 की जंग के दौरान जिस समय पाकिस्तानी सेना ने मंगल सिंह को गिरफ्तार किया था उस समय मंगल की उम्र महज 27 साल थी। उस समय सत्या की गोद में दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बड़े बेटे की उम्र 3 साल जबकि दूसरे बेटे की उम्र 2 साल थी।
नई दिल्ली: जालंधर की 75 साल की सत्या देवी को 49 साल बाद बड़ी खुशखबरी मिली है। इतना लंबा समय बीत जाने के बाद अब राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से पत्र भेजकर उन्हें जानकारी दी गई है कि उनके पति मंगल सिंह जिंदा हैं और पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद है।
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मंगल सिंह को 1971 की जंग के दौरान पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया था और उसके बाद से ही सत्या का हर दिन अपने पति के इंतजार में बीता है। इतनी बड़ी खुशखबरी मिलने के बाद सत्या का कहना है कि अब उन्हें उम्मीद बंधी है कि पाकिस्तान की जेल से उनके पति की रिहाई होगी और हम उनसे मिल सकेंगे।
पाकिस्तानी सेना ने किया था गिरफ्तार
1971 की जंग के दौरान जिस समय पाकिस्तानी सेना ने मंगल सिंह को गिरफ्तार किया था उस समय मंगल की उम्र महज 27 साल थी। उस समय सत्या की गोद में दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बड़े बेटे की उम्र 3 साल जबकि दूसरे बेटे की उम्र 2 साल थी।
इसके बाद सत्या ने पति के इंतजार में करीब 5 दशक गुजार दिए। उनका कहना है कि बच्चों का पालन पोषण करने में उन्हें काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी।
रिहाई के लिए प्रयास करेगी सरकार
उन्होंने पति के इंतजार की उम्मीद भी कभी नहीं छोड़ी और लगातार इस बाबत भारत सरकार को चिट्ठी लिखती रहीं। आखिरकार उनकी कोशिशों ने रंग दिखाया और अब उन्हें राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से पति के जिंदा होने की सूचना दी गई है।
उनके पति के पाक की जेल में बंद होने की जानकारी के साथ ही पत्र में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान की सरकार से बात करके मंगल सिंह की रिहाई के प्रयासों में तेजी लाई जाएगी।
mangal-singh (PC: Social Media)
बेटे की आंख में छलक आए आंसू
सत्या के साथ ही उनके दो बेटे भी पिछले 49 साल से मंगल को देखने की बाट जोह रहे हैं। मंगल सिंह के बेटे रिटायर्ड फौजी दलजीत सिंह की आंखों में अपने पिता को याद करते हुए आंसू छलक आए। बरौली खुर्द के रहने वाले जगजीत सिंह अपने पिता के लापता होने की घटना का पूरा ब्योरा दिया।
बेटे ने बताया कि 1971 मैं उनके पिता रांची में लांस नायक के पद पर तैनात थे और बाद में उनका ट्रांसफर कोलकाता कर दिया गया। अचानक उन्हें बांग्लादेश के मोर्चे पर पहुंचने को कहा गया।
सेना ने दिखी या सूचना
मंगल सिंह में देश सेवा का जज्बा था और वे तत्काल मोर्चे पर जुट गए। तभी 1971 में एक दिन सेना की ओर से टेलीग्राम भेजकर सूचना दी गई कि बांग्लादेश में सैनिकों को ले जा रही एक नाव डूब गई और उसमें सवार मंगल सिंह समेत सभी सैनिकों की मौत हो गई।
फिर 1972 में रावलपिंडी रेडियो पर मंगल सिंह ने खुद के ठीक होने का संदेश दिया। इसके बाद से ही पूरा परिवार मंगल सिंह की वापसी की राह देख रहा है।
अब पिता को देखने का इंतजार
उन्होंने कहा कि पिछले 49 वर्षों के दौरान हमने अपने पिता की रिहाई के लिए काफी कोशिशें की हैं मगर अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिल सकी। दलजीत का कहना है कि 1971 में मैं सिर्फ 3 साल का था और तभी से अपने पिता को देखने का इंतजार कर रहा हूं।
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सत्या डको पति की रिहाई की उम्मीद
सत्या देवी का कहना है कि अब उन्हें अपने पति के वापस भारत आने की उम्मीद दिखाई दी है। उन्होंने कहा कि पिछले 49 वर्षों के दौरान कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन किसी सरकार ने इस मामले में हमारी कोई मदद नहीं की। अब हमें अपने पति की रिहाई की उम्मीद बंधी है।
रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी
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