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पिछड़ा भारत: इस मामले में श्रीलंका और नेपाल की भी नहीं कर सका बराबरी 

भारत लगातार लैंगिक समानता (Gender Gap) की दिशा में प्रयासरत हैं लेकिन विश्व आर्थिक फॉर्म रिपोर्ट 2019 ( World Economic Forum 2019) के सामने आने के बाद भारत में महिलाओं की दयनीय और पुरुषों से उनके बड़े अंतर का स्पष्ट पता चलता है। स्त्री-पुरुष असमानता को लेकर तैयार की गयी रिपोर्ट के आधार पर भारत पिछले साल की तुलना में चार पायदान और नीचे आ गया है।

Shivani Awasthi
Published on: 31 Dec 2019 3:01 PM IST
पिछड़ा भारत: इस मामले में श्रीलंका और नेपाल की भी नहीं कर सका बराबरी 
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दिल्ली: भारत लगातार लैंगिक समानता (Gender Gap) की दिशा में प्रयासरत हैं लेकिन विश्व आर्थिक फॉर्म रिपोर्ट 2019 ( World Economic Forum 2019) के सामने आने के बाद भारत में महिलाओं की दयनीय और पुरुषों से उनके बड़े अंतर का स्पष्ट पता चलता है। स्त्री-पुरुष असमानता को लेकर तैयार की गयी रिपोर्ट के आधार पर भारत पिछले साल की तुलना में चार पायदान और नीचे आ गया है। रिपोर्ट के आधार पर पिछले साल भारत इस मामले में 153 देशों की सूची में 108वीं स्थान पर था, लेकिन अब 112वें स्थान पर आ गया है।

भारत रैंक में श्रीलंका और नेपाल से भी पीछे :

विश्व आर्थिक फॉर्म रिपोर्ट 2019 के आधार पर लैंगिक समानता में भारत विश्व के कई देशों से पिछड़ा हुआ है। रिपोर्ट में कुल 153 देशों की सूची है, जिसमें भारत की रैंकिंग 112वीं है। भारत विश्व के निचले स्थान पर हैं। इस सूची में भारत के पड़ोसी देश बंग्लादेश को 50वां स्थान दिया गया, वहीं नेपाल को 101, श्रीलंका 102 और चीन 106 वें स्थान पर है। इसके अलावा इंडोनेशिया 85, ब्राजील 92 रैंकिंग पर है। हालाँकि इन देशों की सूची में पाकिस्तान, यमन, ईराक आदि देशों की स्थिति भारत से भी ज्यादा खराब है।

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जिनेवा में मौजूद अंतरराष्ट्रीय फोरम की साल 2006 में जारी रिपोर्ट में भारत का 98वां स्थान था। इसके बाद से भारत की स्थिति खराब होती चली गयी। भारत सूची में शामिल 153 देशों में एकमात्र ऐसा देश है जहां, स्त्री- पुरुष के बीच आर्थिक असमानता, उनके बीच की राजनीतिक असमानता से भी बड़ी है।

भारत की रैंक खराब होने की वजह :

भारत की खराब रैंक की सबसे बड़ी वजह महिला स्वास्थ्य और आर्थिक भागीदारी में बड़ा अंतर है। भारत में केवल 35.4 फीसदी महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों से जुड़ने का मौका मिला है। गौरतलब है कि देश में 13.8 फीसदी कंपनी बोर्ड में महिला प्रतिनिधि हैं। केवल 14 प्रतिशत महिलाएं नेतृत्वकर्ता की भूमिका में हैं। एक ओर पुरुषों का मानवश्रम82 प्रतिशत है तो महिलाओं में यह एक-तिहाई है। इसके अलावा पुरुषों की तुलना में महिलाओं के वेतन भी कम होता है। उन्हें पुरुषों के वेतन का पांचवा हिस्सा मिल रहा है।

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महिलाओं की स्वास्थ्य, शिक्षा और राजनीति में हालत

भारतीय महिलाओं को पुरुषों के समान स्वास्थ्य सेवायें भी नहीं मिलती हैं। आंकड़ों के आधार पर भारत में हर 100 पर 91 ही लड़कियां हैं। शिक्षा के आधार पर अगर देखे तो पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की शिक्षा का स्तर भी कम है। देश में 82 फीसदी पुरुष शिक्षित हैं तो वहीं दो-तिहाई महिलाएं ही शिक्षा पाई हैं। महिलाओं के साथ हिंसा, जबरन विवाह के चलते महिलाओं की शिक्षा का स्तर खराब हुआ है।

हालाँकि राजनीति में महिलाओं की शानदार भागीदारी के चलते भारत को 18वां स्थान दिया गया। बीते 50 सालों में 20 वर्ष महिला नेतृत्व रहा। संसद में 14.4 फीसदी महिलाएं हैं। कैबिनेट में 23 प्रतिशत महिलाओं का होना सकारात्मक माना गया। वैसे अभी भी विश्व स्तर पर यह आंकड़ा कम है।

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Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

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