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Wrong-Side Driving : अगर आप भी करते हैं ये तो ध्यान दें! हर साल हजारों जानें ले रही रॉन्ग साइड ड्राइविंग

Wrong-Side Driving: भारत में गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण हर साल हजारों सड़क हादसे हो रहे हैं। तेज गति से होने वाले हादसों के बाद गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण सबसे अधिक लोग सड़कों पर मारे जाते हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 13 July 2023 2:49 PM IST (Updated on: 13 July 2023 2:58 PM IST)
Wrong-Side Driving : अगर आप भी करते हैं ये तो ध्यान दें! हर साल हजारों जानें ले रही रॉन्ग साइड ड्राइविंग
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Wrong-Side Driving (Photo - Social Media)

Wrong-Side Driving : भारत में गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण हर साल हजारों सड़क हादसे हो रहे हैं। तेज गति से होने वाले हादसों के बाद गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण सबसे अधिक लोग सड़कों पर मारे जाते हैं। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर हाल ही में ऐसे ही एक भीषण हादसे में एक ही परिवार के 6 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। गलत दिशा से आ रही स्कूल बस की एक कार से सीधी टक्कर हुई। बस करीब आठ किलोमीटर तक गलत दिशा में दौड़ती रही और सामने से आ रही कार से टकरा गई। सवाल उठ रहे हैं कि बस इतनी दूर तक गलत दिशा में कैसे चलती रही और क्यों किसी पुलिसकर्मी की उस पर नजर नहीं गई। यह इस तरह का एकलौता मामला नहीं है। भारत में आए दिन गलत दिशा में गाड़ी चलाने से इस तरह के हादसे होते हैं। एक्सप्रेसवे, हाईवे, शहर के भीतर की सड़कें – सब जगह यही हाल है मुम्बई से लेकर चेन्नई, गुरुग्राम, दिल्ली और लखनऊ तक।

हर साल आठ हजार मौतें

यातायात नियमों की अनदेखी और ट्रैफिक पुलिस द्वारा इस तरह के उल्लंघन पर नरम कार्रवाई भी हादसे का कारण बन रहे हैं। हजारों लोग इस तरह के हादसे में मारे जाते हैं या फिर गंभीर रूप से घायल होते हैं। सरकारी आँकड़े बताते हैं कि गलत दिशा में चलने वाले वाहनों से जुड़ी घटनाओं के परिणामस्वरूप हर साल लगभग 8,000 लोगों की मौत हो जाती है, जबकि ढाई गुना से अधिक लोग घायल हो जाते हैं।

भारत में हर साल लगभग 1,50,000 लोग सड़क दुर्घटनाओं के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। जैसा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है, इनमें से पांच प्रतिशत से अधिक मौतें गलत दिशा में यात्रा करने वाले वाहनों के कारण होती हैं। 2020 में, गलत साइड से आने वाले वाहनों के कारण 20,228 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 7,332 मौतें हुईं और 19,481 घायल हुए। दुर्भाग्य से, 2021 में दुर्घटनाओं की संख्या में और वृद्धि हुई। 21,491 सड़क दुर्घटनाओं में 8,122 मौतें हुईं और 20,351 घायल हुए। परिणामस्वरूप, ग़लत दिशा में चलने वाले वाहनों के कारण पाँच प्रतिशत से अधिक लोगों की जान चली जाती है। ऐसे यातायात अपराधों के कारण 2017 और 2021 के बीच लगभग 43,000 लोग मारे गए। आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में 29,148 दुर्घटनाएं गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण हुईं जिनमें 9,527 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। उस साल इस तरह के हादसों में 30,124 लोग घायल हुए।

सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत

सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट "भारत में सड़क दुर्घटनाएं" से पता चलता है कि गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण होने वाली मौतों का प्रतिशत बहुत अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्गों, जिनमें एक्सप्रेसवे भी शामिल हैं, वहां पर गलत दिशा में गाड़ी चलाने की रिपोर्टें आईं।

उदाहरण के लिए 7,332 में से 44 प्रतिशत ऐसी मौतें राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुईं और 2021 में 35 प्रतिशत सड़क हादसे एनएच नेटवर्क पर गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण हुए। सरकार ने 2022 की रिपोर्ट अब तक जारी नहीं की है। ऐसे उल्लंघन दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर हुई दुर्घटना की तरह अधिक घातक हो जाते हैं क्योंकि कई एक्सप्रेसवे पर गति सीमा 120 किमी प्रति घंटे तक है। जब वाहन इतनी तेज गति से चल रहे हों तो ड्राइवरों को प्रतिक्रिया करने के लिए केवल कुछ सेकंड मिलते हैं। ऐसे उल्लंघन शहरों और अन्य शहरी क्षेत्रों से गुजरने वाले राजमार्गों पर अधिक होते हैं और उल्लंघन करने वाले कमजोर प्रवर्तन और एक मजबूत राजमार्ग पुलिस व्यवस्था के अभाव के कारण छूट जाते हैं।

जानकार कहते हैं कि वीडियो स्ट्रीम और सेंसर सिस्टम की मदद से इस तरह के उल्लंघन को रोका जा सकता है। इस तरह की तकनीक की मदद से तेज गति, जिग-जैग ड्राइविंग और गलत दिशा में ड्राइविंग को रियल टाइम में पकड़ा जा सकता है और पैट्रोलिंग टीम को समय रहते अलर्ट किया जा सकता है।

दुनिया की ११ फीसदी सड़क मौतें भारत में

दुनिया में चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोटिव उद्योग होने के कारण, भारत में हर साल लाखों नई कारों का पंजीकरण होता है। विश्व बैंक के अनुसार, वाहनों की संख्या और भीड़भाड़ वाली सड़कों में तेजी से वृद्धि के साथ, भारत दुनिया में 11% सड़क मौतों के लिए भी जिम्मेदार है। यातायात नियमों का कार्यान्वयन यातायात अधिकारियों के अलावा प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी होनी चाहिए। यातायात नियमों के खुलेआम उल्लंघन को देखते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में आवश्यक बदलाव किए हैं। नए नियमों के तहत लगभग हर उल्लंघन पर जुर्माना बढ़ा दिया गया है।

गलत साइड ड्राइविंग के लिए जुर्माना

यातायात उल्लंघन के नए नियमों में गलत दिशा में गाड़ी चलाने पर जुर्माना भी शामिल है। सड़क के गलत तरफ गाड़ी चलाने पर 500 से 1000 रुपए का जुर्माना या जुर्माना लगता है। गलत साइड से गाड़ी चलाने पर 3 महीने तक की जेल भी हो सकती है। ट्रैफिक पुलिस ड्राइविंग लाइसेंस तीन महीने के लिए रद्द कर सकती है। कई राज्यों में गलत दिशा में गाड़ी चलाना एक गैर-शमनीय अपराध माना जाता है। इसका मतलब है कि आप गलत साइड ड्राइविंग के लिए कोई बहाना नहीं बना सकते क्योंकि यह गलती से नहीं बल्कि अपनी पसंद से किया गया है।
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लखनऊ का हाल

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहाँ शायद ही कोई सड़क होगी जहाँ लोग गलत साइड ड्राइविंग न करते हों। मिसाल के तौर पर बादशाह नगर से पालीटेक्निक चौराहे तक डिवाइड के दोनों तरफ खासकर बाइक और स्कूटर सवार गलत साइड से चलते हैं और कुछ कुछ स्ट्रेच पर कारें, ट्रेक्टर ट्राली भी गलत दिशा पर चलते हैं। यही नहीं, निशातगंज रेलवे ओवर ब्रिज सिर्फ एक दिशा में निशातगंज से गोल मार्केट जाने के लिए है लेकिन इस पर विपरीत दिशा से बाइक, कार, स्कूटर सवार चलते हैं। कहीं भी किसी तरह का कानून का एन्फोर्समेंट कराया नहीं जाता। ये तो गनीमत है कि जानलेवा हादसे नहीं हुए हैं।

दुर्घटना की चपेट में आते युवा वर्ग

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में सड़क हादसों की चपेट में आने वालों में 18-45 साल के आयु वर्ग युवा वाले वयस्कों का हिस्सा 69 प्रतिशत था। जबकि 18-60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी कुल सड़क दुर्घटनाओं में 87.4 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में कहा गया, साल 2020 में लगातार तीसरे साल सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों में बड़े पैमाने पर कामकाजी आयु वर्ग के युवा शामिल हैं। 2020 में सड़क दुर्घटना के कारण कुल 56,334 पुरुष और 1,551 महिला ड्राइवरों की मौत हो गई।

सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा कि उसी वर्ष सड़क दुर्घटना के कारण कुल 35,552 पुरुष और 10,624 महिला यात्रियों की मौत हुई। पुरुष (42,923) और महिला (1179) ड्राइवरों की मौत युवा वर्ग समूह 18-45 में हुई। 2020 में 30.1 प्रतिशत मौतें और 26 प्रतिशत चोटें हेलमेट का इस्तेमाल नहीं करने के कारण हुईं, इसी तरह 11 प्रतिशत से अधिक मौतें और चोटें सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करने के कारण हुईं। कुछ छूटों को छोड़कर दोपहिया वाहनों पर सभी मोटर चालकों के लिए हेलमेट अनिवार्य है। लेकिन कई बार लोग बिना हेलमेट के ही गाड़ी चलाते हैं और अपनी जान जोखिम डालते हैं। इसी तरह से कार चालक और कार में सवार यात्रियों के लिए भी सीट बेल्ट लगाना जरूरी है।

Neel Mani Lal

Neel Mani Lal

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