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Yes Bank पर तकरार शुरू, राहुल से ओवैसी तक सभी ने केंद्र सरकार पर बोला हमला
बैंक के संकट को देखते हुए RBI द्वारा निकासी की सीमा 50000 रुपये तय की गई है। स बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है, ''मैं सभी जमाकर्ताओं को भरोसा दिलाना चाहती हूं कि उनका पैसा सुरक्षित है, मैं लगातार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ संपर्क में हूं। जमाकर्ताओं, बैंक और अर्थव्यवस्था के हित में कदम उठाए जा रहे हैं।''
नई दिल्ली: देश में बैंकों पर आ रहे संकट रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। यह ताजा मामला यस बैंक का है, जो डूबने की कगार पर है इस विषय पर भारतीय रिजर्व बैंक ने 5 मार्च को नकदी के संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक पर रोक लगा दिया है और उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया। इसके अलावा बैंक के जमाकर्ताओं के लिए एक महीने में 50,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की। बैंक के लिए एक प्रशासक की भी नियुक्ति की गई है।
बैंक के ग्राहकों में भारी चिंता
गौरतलब है कि आदमी कड़ी मेहनत करके जब पैसा कमाता है तो उस पैसे को सुरक्षित रखने का घर से ज्यादा सुरक्षित जगह बैंक होता है। लेकिन जब कोई बैंक डूबता है तो आम आदमी का पैसा हो या ख़ास का अफरातफरी मच जाती है। छोटा हो या बड़ा, बैंक का हर ग्राहक अपना पैसा वापस पाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की यस बैंक पर पाबंदी की कार्रवाई के बाद ग्राहकों में बेचैनी बढ़ गई है। हालांकि, सरकार की ओर से बार-बार खाताधारकों को पैसे सुरक्षित रहने का भरोसा दिलाया जा रहा है। इस बीच, यस बैंक के लिए आरबीआई ने री-स्ट्रक्चरिंग प्लान का ऐलान किया है। ये प्लान एक महीने के भीतर ही लाया जाएगा। इस प्लान को सुझाव के लिए एसबीआई और यस बैंक को भेज दिया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विस्तार से की बात
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यस बैंक के संकट पर विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि एसबीआई ने यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। निवेशक बैंक अगले तीन साल के लिए 49 फीसदी हिस्सेदारी ले सकता है। वहीं अपनी हिस्सेदारी 26 फीसदी से कम नहीं कर सकता है।
- इसके अलावा यस बैंक का नया बोर्ड री-स्ट्रक्चरिंग प्लान के बाद बैंक को टेकओवर करेगा। दरअसल, आरबीआई ने यस बैंक के डायरेक्टर बोर्ड को भंग कर दिया था। इसके बाद एसबीआई के सीएफओ प्रशांत कुमार को एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
क्या है संकट की वजह?
निर्मला सीतारमण ने बताया कि यस बैंक द्वारा नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। बैंक ने जोखिम भरे क्रेडिट निर्णय लिए थे। यस बैंक ने अनिल अंबानी, एसेल ग्रुप, डीएचएफएल, वोडाफोन जैसी कंपनियों को लोन दिया जो डिफॉल्ट हुए हैं। ये सभी मामले 2014 से पहले यानी यूपीए शासनकाल के हैं।
- निर्मला सीतारमण ने कहा, मैंने RBI से आकलन करने के लिए कहा है कि बैंक में इन कठिनाइयों का क्या कारण है। इसके साथ-साथ समस्या के लिए व्यक्तिगत रूप से कौन ज़िम्मेदार हैं, उनकी पहचान की जाए।
- यस बैंक में जमा राशि और देनदारियां प्रभावित नहीं होंगी। कम से कम एक साल के लिए बैंक में काम करने वालों का रोजगार और वेतन सुनिश्चित किया जाएगा।
- निर्मला सीतारमण ने बताया कि यस बैंक के मामले को लेकर वह मई 2019 के बाद से ही आरबीआई के संपर्क में थीं। वहीं सितंबर 2019 से यस बैंक पर सेबी की नजर है। बता दें कि सेबी शेयर बाजार को रेग्युलेट करता है।
- निर्मला सीतारमण ने बताया कि साल 2017 से आरबीआई, यस बैंक पर निगरानी कर रहा था। वहीं 2018 में केंद्रीय बैंक ने यस बैंक में गड़बड़ी की पहचान कर ली थी, जबकि 2019 में यस बैंक पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।
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वित्त मंत्री ने दिया यस बैंक के ग्राहकों भरोसा
बैंक के संकट को देखते हुए RBI द्वारा निकासी की सीमा 50000 रुपये तय की गई है। स बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है, ''मैं सभी जमाकर्ताओं को भरोसा दिलाना चाहती हूं कि उनका पैसा सुरक्षित है, मैं लगातार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ संपर्क में हूं। जमाकर्ताओं, बैंक और अर्थव्यवस्था के हित में कदम उठाए जा रहे हैं।''
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राहुल गांधी ने कहा-
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सहित कई विपक्षी नेताओं ने यस बैंक मामले पर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है, ''नो यस बैंक। मोदी और उनके आइडियाज ने भारत की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है।''
No Yes Bank.
Modi and his ideas have destroyed India’s economy.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 6, 2020
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा-
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने इस मामले पर ट्वीट कर कहा, ''बीजेपी 6 साल से सत्ता में है, वित्तीय संस्थानों को नियंत्रित और विनियमित करने की उनकी क्षमता उजागर होती जा रही है। पहले पीएमसी बैंक, अब यस बैंक। क्या सरकार बिल्कुल भी चिंतित है? क्या वो अपनी जिम्मेदारी से बच सकती है? क्या लाइन में कोई तीसरा बैंक है?''
भाजपा 6 साल से सत्ता में है, वित्तीय संस्थानों को नियंत्रित और विनियमित करने की उनकी क्षमता उजागर होती जा रही है।
पहले पीएमसी बैंक, अब यस बैंक। क्या सरकार बिल्कुल भी चिंतित है? क्या वो अपनी जिम्मेदारी से बच सकता है?
क्या लाइन में कोई तीसरा बैंक है?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 6, 2020
असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले पर केंद्र सरकार पर साधा निशान
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले पर कहा, ''पहले ILFS और दीवान जैसी गैर बैंक (कंपनियां) बिखरती अर्थव्यवस्था के बोझ का शिकार हुईं। फिर महाराष्ट्र जैसे अमीर राज्य में एक कोऑपरेटिव बैंक, पीएमसी बैंक फेल हो गई।''
First it was non banks like ILFS & Dewan that collapsed under the weight of a crashing economy
Then a big cooperative bank in the rich state of Maharashtra, PMC Bank failed
Now we’ve the first ever scheduled commercial bank to fail: Yes Bank
Are our savings safe from banks? https://t.co/GaS22OXaZE
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 6, 2020
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