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जानिए कौन हैं महाराष्ट्र के किंगमेकर बने डिप्टी CM अजित पवार
महाराष्ट्र में रातोंरात बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला है। इन सियासी उठापठक में किंगमेकर शरद पवार के भतीजे अजित पवार साबित हुए हैं। बीजेपी ने एनसीपी नेता अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बना ली।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में रातोंरात बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला है। इन सियासी उठापठक में किंगमेकर शरद पवार के भतीजे अजित पवार साबित हुए हैं। बीजेपी ने एनसीपी नेता अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बना ली। देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली, तो वहीं अजित पवार डिप्टी सीएम बने हैं।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने सबसे पहले अजित पवार का आभार जताया। अजित पवार महाराष्ट्र की बारामती सीट से विधायक है।
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रातभर में हुए उलटफेर में इस बाजी में इनका किरदार सबसे अहम माना जा रहा है। अपने चाचा शरद पवार के नक्शेकदम पर चलकर ही अजित पवार ने राजनीति में प्रवेश किया था और 1990 से अब तक 7 बार वह बारामती के विधायक चुने गए हैं।
22 जुलाई 1959 को अजित पवार का जन्म अहमदनगर में उनके दादा के यहां हुआ था। वह शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। अजित पवार ने 1982 में राजनीति में एंट्री और कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री के बोर्ड में चुने गए। वह पुणे जिला कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन भी रहे और 16 साल तक इसी पद रहे। इसी दौरान वह बारामती से लोकसभा सांसद भी चुने गए। बाद में उन्होंने शरद पवार के लिए यह सीट छोड़ दी थी।
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बारामती सीट पवार की पारिवारि सीट है। इस सीट पर शरद पवार और अजित पवार का ही कब्जा रहा है। 1967 से 1990 तक शरद पवार यहां से विधायक रहे। इसके बाद 1991 से अब तक 7 बार अजित पवार यहां से विधायक चुने गए है। शिवसेना या बीजेपी ने कभी भी इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकीं।
दोबार बने हैं उपमुख्यमंत्री
महाराष्ट्र में 2010 में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में वह पहली बार उप मुख्यमंत्री बने थे। अपने चाहने वालों और जनता के बीच वह दादा के रूप में लोकप्रिय हैं। सितंबर 2012 में एक घोटाले के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा हालांकि एनसीपी ने एक श्वेत पत्र जारी करते हुए अजित पवार को क्लीन चिट दे दी थी और उप मुख्यमंत्री कार्यकाल जारी किया।
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बयानों की वजह से रहते हैं चर्चा में
महाराष्ट्र में 1500 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले के मामले में अजित पवार आरोपी भी हैं। अजित पवार कई बार अपने विवादित बयानों को लेकर भी चर्चा में रह चुके हैं। 7 अप्रैल 2013 अजित पवार ने सूखे के संकट पर 55 दिन तक उपवास करने वाले कार्यकर्ता को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि, अगर बांध में पानी नहीं है.. तो क्या हमें वहां पेशाब करना चाहिए। इसके बाद उन्हें सार्वजनिक रूप से इसके लिए माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती बताई थी।
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चुनाव प्रचार पर थी रोक
16 अप्रैल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान बारामती निर्वाचन क्षेत्र से अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के लिए प्रचार करने पहुंचे। यहां उन्होंने ग्रामीणों को धमकाते हुए कहा कि अगर सुले को वोट नहीं किया तो वह गांव में पानी की सप्लाइ काटकर इसकी सजा देंगे। पवार पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा और उन्हें चुनाव प्रचार पर 48 घंटे की रोक लग गई।