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Motivational Story in Hindi: क्या होता है संगत का असर, आपकी आँखें खोल देगी ये कहानी

Best Motivational Story in Hindi: एक राजा का तोता मर गया। उन्होंने कहा-- मंत्रीप्रवर! हमारा पिंजरा सूना हो गया। इसमें पालने के लिए एक तोता लाओ।

Kanchan Singh
Published on: 19 Jun 2023 8:28 AM IST
Motivational Story in Hindi: क्या होता है संगत का असर, आपकी आँखें खोल देगी ये कहानी
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Best Motivational Story in Hindi (social media)

Best Motivational Story in Hindi: एक राजा का तोता मर गया। उन्होंने कहा-- मंत्रीप्रवर! हमारा पिंजरा सूना हो गया। इसमें पालने के लिए एक तोता लाओ। तोते सदैव तो मिलते नहीं। राजा पीछे पड़ गये तो मंत्री एक संत के पास गये और कहा-- भगवन्! राजा साहब एक तोता लाने की जिद कर रहे हैं। आप अपना तोता दे दें तो बड़ी कृपा होगी। संत ने कहा- ठीक है, ले जाओ।

राजा ने सोने के पिंजरे में बड़े स्नेह से तोते की सुख-सुविधा का प्रबन्ध किया। तोता ब्रह्ममुहूर्त में बोलने लगा-- जय श्री राम ,,, ओम् तत्सत्..ओम् तत्सत् ... उठो राजा! उठो महारानी। दुर्लभ मानव-तन मिला है। यह सोने के लिए नहीं, भजन करने के लिए मिला है।

चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।
तुलसीदास चंदन घिसै तिलक देत रघुबीर।।

कभी रामायण की चौपाई तो कभी गीता के श्लोक उसके मुँह से निकलते। पूरा राजपरिवार बड़े सवेरे उठकर उसकी बातें सुना करता था। राजा कहते थे कि तोता क्या मिला, एक संत मिल गये।

हर जीव की एक निश्चित आयु होती है। एक दिन वह तोता मर गया। राजा, रानी, राजपरिवार और पूरे राष्ट्र ने हफ़्तों शोक मनाया। झण्डा झुका दिया गया।

किसी प्रकार राजपरिवार ने शोक संवरण किया और राजकाज में लग गये। पुनः राजा साहब ने कहा-- मंत्रीवर ! खाली पिंजरा सूना-सूना लगता है, एक तोते की व्यवस्था करें।
मंत्री ने इधर-उधर देखा, एक कसाई के यहाँ वैसा ही तोता एक पिंजरे में टँगा था। मंत्री ने कहा कि राजा साहब चाहते हैं कि ये तोता उन्हें मिले।
कसाई ने कहा कि हम आपके राज्य में ही तो रहते हैं। हम नहीं भी देंगे तब भी आप उठा ही ले जायेंगे।
मंत्री ने कहा-- नहीं नहीं, हमारी विनती है।
कसाई ने बताया कि किसी बहेलिये ने एक वृक्ष से दो तोते पकड़े थे। एक को उसने महात्माजी को दे दिया था और दूसरा मैंने खरीद लिया था। राजा को चाहिये तो आप ले जाएं।
अब कसाईवाला तोता राजा के पिंजरे में पहुँच गया।
राजपरिवार बहुत प्रसन्न हुआ। सबको लगा कि वही तोता जीवित होकर चला आया है।
दोनों की नासिका,पंख, आकार,चितवन सब एक जैसे थे। लेकिन बड़े सवेरे तोता उसी प्रकार राजा को बुलाने लगा जैसे वह कसाई अपने नौकरों को उठाता था कि..उठ ! हरामी के बच्चे! राजा बन बैठा है। मेरे लिए ला अण्डे, नहीं तो पड़ेंगे डण्डे।
ये ही बात बार बार दोहराने लगा राजा को इतना क्रोध आया कि उसने तोते को पिंजरे से निकाला और गर्दन मरोड़कर किले से बाहर फेंक दिया।
दोनों तोते,सगे भाई थे। एक की गर्दन मरोड़ दी गयी, तो दूसरे के लिए झण्डे झुक गये, भण्डारा किया गया,शोक मनाया गया।
आखिर भूल कहाँ हो गयी ? अन्तर था तो संगति का ! सत्संग की कमी थी।

संगत ही गुण होत है,संगत ही गुण जाय।
बाँस फाँस अरु मीसरी,एकै भाव बिकाय।।

पूरा सद्गुरु ना मिला,मिली न साँची सीख।
भेष जती का बनाय के, घर-घर माँगे भीख।

अपने बच्चों को उच्चशिक्षा के साथ साथ अच्छे संस्कार भी दीजिए । ताकि वो जहां भी जाये सबका समान करे ।अपने आचरण से खुद के साथ परिवार का नाम भी रोशन करें।



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Kanchan Singh

Kanchan Singh

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