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Bhagavad Geta Story in Hindi: भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण को "हृषीकेश" तथा "केशीनिषूदन" कहकर अर्जुन क्या कहना चाहते हैं ?

Bhagavad Geta Story in Hindi: भगवद्गीता में, अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण को "हृषीकेश" और "केशिनिषूदन" कहकर विशेष रूप से सम्बोधित करते हैं। इन नामों के माध्यम से, अर्जुन अपने संदेश को प्रकट करना चाहते हैं।

Sankata Prasad Dwived
Published on: 29 May 2023 1:13 AM IST
Bhagavad Geta Story in Hindi: भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण को हृषीकेश तथा केशीनिषूदन कहकर अर्जुन क्या कहना चाहते हैं ?
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Bhagavad Geta Story in Hindi (social media)

Bhagavad Geta Story in Hindi: भगवद्गीता के १८ वें अध्याय के प्रथम श्लोक में अर्जुन ने महाबाहो ( महान भुजा वाले श्रीकृष्ण ) को हृषीकेश तथा केशीनिषूदन - नामों से संबोधित किया है।
आइए ! पहले "हृषीकेश" पर विचार करें ।
महाभारत के उद्योग पर्व में ऐसा उल्लेख हुआ है :-

हर्षात् सुखात् सुखैश्वर्यात् हृषीकेशत्वमश्नुते।

अर्थ :- हर्ष, सुख और सुखमय ऐश्वर्य के कारण श्रीकृष्ण ऋषिकेश - पदवी को प्राप्त हुए।

एक अन्य व्याख्या के अनुसार :-

हृषीकाणीन्द्रियाण्याहुस्तेषामीशो यतो भवान्।
हृषीकेशस्ततो विष्णो ख्यातो देवेषु केशव।।

अर्थात् हृषीक इंद्रियों को कहते हैं तथा उनके स्वामी ( ईश ) होने के कारण श्री कृष्ण हृषीकेश कहलाते हैं।

अब हम "केशिनिषूदन" शब्द पर विचार करें।
श्रीमद्भागवत महापुराण के दशम स्कंध के ३७वें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा केशी नामक दैत्य के वध का उल्लेख हुआ है।
मथुरा नरेश कंस ने 'केशी' नामक दैत्य को श्रीकृष्ण को मारने के लिए भेजा था। वह बड़े घोड़े का रूप धारण कर तेजी से दौड़ता हुआ ब्रज में आया। वह श्रीकृष्ण को मार कर अपने स्वामी कंस का हित करना चाहता था। भगवान श्री कृष्ण को सामने देखकर उसने बहुत जोर की दुलत्ती मारी, परंतु भगवान ने उससे अपने को बचा लिया। भला, वह इंद्रियातीत को कैसे मार पाता !

तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने दोनों हाथों से घोड़े रूपी दैत्य के दोनों पिछले पैर पकड़ लिए और उसे घुमा कर काफी दूर फेंक दिया। थोड़ी देर बाद वह फिर उठ खड़ा हुआ और क्रोध से तिलमिलाकर मुंह फाड़ कर बड़े वेग से भगवान की ओर झपटा। भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बायां हाथ उसके मुंह में इस प्रकार डाल दिया, जैसे सर्प बिना किसी आशंका के अपने बिल में घुस जाता है।

भगवान का अत्यंत कोमल कर-कमल तपे हुए लोहे के समान हो गया था। उसका स्पर्श होते ही केशी के दांत टूट कर गिर गए। भगवान श्री कृष्ण का हाथ उसके मुंह में इतना बढ़ गया कि उसका दम घुटने लगा। पसीने से लथपथ हो गया और उसकी आंखों की पुतली उलट गई । थोड़ी ही देर में उसका शरीर निश्चेष्ट होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा तथा उसके प्राण पखेरू उड़ गए ।

तब भगवान महाबाहु भगवान श्रीकृष्ण ने उसके शरीर से अपनी भुजा खींच ली। इस कार्य से प्रसन्न होकर देवगण भगवान के ऊपर पुष्प बरसाने लगे।
केशी नामक दैत्य के वध करने के कारण भगवान श्री कृष्ण "केशीनिषूदन" या "केशव" कहे जाते हैं।
अपने सुंदर केशों के कारण भी भगवान श्रीकृष्ण केशव कहे जाते हैं।



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Sankata Prasad Dwived

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