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Chanakya Niti: जानिए किसे बताया आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के लिए सबसे कष्टकारी स्थिति
Chanakya Niti: चाणक्य नीति में बताया गया है कि मनुष्य के जीवन में कई बार ऐसे परिस्थिति आती है जो बहुत ही कष्टकारी होती है। आइये जानते हैं ऐसा कब होता है।
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की पुस्तक चाणक्य नीति में कई ऐसी बातें बताई गईं हैं जो आज भी आपको तर्कसंगत लगेंगीं। आजकल लोगों के जीवन में कई बार ऐसी स्थिति आती है जब मनुष्य को कोई रास्ता नहीं दिखता। ऐसे में व्यक्ति कभी-कभी कोई गलत कदम भी उठा सकता है । वहीँ चाणक्य नीति में भी ये बताया गया है कि मनुष्य के जीवन में कई बार ऐसे परिस्थिति आती है जो बहुत ही कष्टकारी होती है। आइये जानते हैं ऐसा कब होता है।
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मनुष्य के जीवन में कब आती हैं सबसे कष्टकारी स्थिति
आचार्य चाणक्य ने अपनी दूरदर्शिता और राजनीति की समझ के साथ मनुष्यों को सही और गलत के बारे में बताने का प्रयास किया। जिसे उन्होंने अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में लिखा है। उन्होंने जीवन के हर पहलू को समझकर और जानकार उसके बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने लोगों को उनके जीवन में कठिनायों के समय क्या करें इसपर भी चर्चा की है। जिससे आप अपने जीवन में कभी हार नहीं सकते। जहाँ आचार्य चाणक्य ने इतनी ज्ञानवर्धन बातें बताई वहीँ हमे भी उनकी इन सभी बातों पर गौर करके उन्हें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। जिससे हमारा जीवन खुशहाल बन सके।
आचार्य चाणक्य ने लोगों के जीवन से जुडी कई गूढ़ बातें बताई हैं। जिनके अनुसार चलकर आप जीवन में बड़ी से बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं। उनके द्वारा बताई बातों को अगर आप अपने अंदर आत्मसात कर लेते हैं तो आप जीवन में कभी भी हार नहीं सकते। यहाँ हम आपको उन नीतियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमे आचार्य चाणक्य ने ये बताया है कि मनुष्य के लिए कौन सी स्थिति सबसे ज़्यादा कष्टकारी होती है।
1) दुराचारी दुरादृष्टिर्दुरावासी च दुर्जनः ।
यन्मैत्रीक्रियते पुम्भिर्नरःशीघ्रं विनश्यति ।।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कह रहे हैं कि जो मनुष्य गलत संगत में रहता है, दुष्ट लोगों के साथ उनका उठना बैठना होता है साथ ही जिनके दोस्त बुरा काम करने वाले लोग होते हैं। ऐसे लोग कभी उन्नति नहीं कर सकते और उनका बर्बाद होना निश्चित है। उन्हें किसी भी तरह से बचाया नहीं जा सकता। इसलिए अपनी संगत पर विशेष ध्यान दें और उसके प्रति सतर्क रहे।
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2) कान्ता वियोगः स्वजनापमानि ।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा कि,"एक व्यक्ति के लिए पत्नी का वियोग, अपनों द्वारा बेइज्जत किया जाना,कर्ज, बुरे राजा की सेवा करना साथ ही गरीब और कमज़ोर लोगों की सभा में शामिल होना सबसे ज़्यादा कष्टकारी स्थिति है। इन छह बातों को बताते हुए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ये चीज़ें मनुष्य को बिना अग्नि के ही जला देतीं हैं।
3) ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।।
कदरिद्रभावो विषमा सभा च ।
विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम् ।।
चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति जिसकी पत्नी उसे छोड़कर चली जाती है उसका दर्द सिर्फ वही समझ सकता है। साथ ही जब वो इंसान अपने लोगों द्वारा बेइज्जत होता है तो उस कष्टकारी स्थिति का अंदाज़ा लगाना भी काफी मुश्किल होता है। जो कोई भूल भी नहीं सकता है। साथ ही इस कष्ट से भी भयानक कष्ट है बुरे या दुष्ट राजा की सेवा करना।