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मां-बाप रहें सावधान: बच्चों को डिजिटल क्लास से खतरा, हड्डियों पर होगा बुरा असर
एचआरडी मंत्रालय ने नई गाइडलाइन जारी की है जिससे बच्चों के फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों का ध्यान रखा जा रहा है।क्योंकि लगातार स्क्रीन पर बैठे रहना बच्चों के स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं है।
दुनियाभर में कोरोना संक्रमण बहुत बुरी तरह फैला हुआ है जिसके कारण लोगों को बहुत मुसीबतें झेलते हुए नए तरीके से जीना पड़ रहा है। इन दिनों मां बाप अपने बच्चों की पढ़ाई को लेके बहुत चिंतित है।ऐसे में बच्चों की पढ़ाई के लिए डिजिटल क्लासेज जैसा नाया तरीका अपनाया गया है। डिजिटल क्लासेज से बच्चों की पढ़ाई तो हो रही है लेकिन परिवार को इसके लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। ऐसे में बच्चों के स्वास्थ की समस्याएं भी बढ़ रही है। जैसे कि चिड़चिड़ापन, मानसिक समस्याएं और आंखों पर स्ट्रेस। इन्हीं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को देखते हुए मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने डिजिटल एजुकेशन को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश जारी किया है।
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बच्चों के फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों का ध्यान रखें
एचआरडी मंत्रालय ने नई गाइडलाइन जारी की है जिससे बच्चों के फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों का ध्यान रखा जा रहा है।क्योंकि लगातार स्क्रीन पर बैठे रहना बच्चों के स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं है। प्री-प्राइमरी स्टूडेंस के ऑनलाइन क्लास का समय 30 मिनट है। इसके अलावा कक्षा 1 से 8 के लिए दो ऑनलाइन सेशन होंगे।एक सेशन में 45 मिनट की कक्षा होगी, जबकि कक्षा 9 से 12 के लिए 30-45 मिनट की अवधि के चार सेशन होंगे। इस बारे में हमने पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन, शंकर दयाल शर्मा और प्रणब मुखर्जी के चिकित्सक रहे डॉ. मोहसिन वाली से बात की है और जानने की कोशिश की है ऑनलाइन क्लासेज बच्चों के लिए कैसे हानिकारक है?
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बच्चों को पढ़ाई के दौरान स्पीड की समस्या झेलनी पड़ रही
डॉ. मोहसिन ने बताया कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है लोग अपने घरों में बंद हैं, इस वजह इंटरनेट का प्रयोग बहुत अधिक हो रहा है और बच्चों को पढ़ाई के दौरान स्पीड की समस्या झेलनी पड़ रही है।वीडियो और ऑडियो की क्वालिटी खराब रहती है, इससे बच्चों में कॉन्संट्रेशन की समस्या रहती है।इसके अलावा अभी डिजिटल क्लासेज भारत जैसे देश के लिए बहुत नया है। बच्चे, मां-बाप और शिक्षक कोई भी इसके लिए तैयार नहीं हैं।ऑनलाइन क्लास के दौरान शिक्षकों के लिए एक साथ इतने बच्चों पर ध्यान रख पाना आसान नहीं है। इससे बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ेगा।
मां-बाप हो जाए तैयार
डॉ. मोहसिन ने आगे कहा कि, 'ऑनलाइन क्लासेज लगातार रहने की स्थिति में बच्चों के पोस्चर यानी की मुद्रा या आकार में बदलाव हो सकता है। बच्चों में कमर संबंधी, सर्वाइकल स्पाइन यानी गर्दन के हिस्से वाली रीढ़ की हड्डी के जोड़ों और डिस्क में समस्या और मोटापे जैसी परेशानी हो सकती है। लगातार माउस और कीबोर्ड के प्रयोग करने से उंगलियों से जुड़ी समस्याएं भी आ सकती हैं।'
डॉ. मोहसिन ने बताया कि मां-बाप को आने वाले समय में ज्यादा तैयार रहना होगा। उन्हें बच्चों पर खास ध्यान रखना होगा, खासकर होमवर्क के दौरान.।उन्हें घर में शिक्षक की भूमिका अदा करनी होगी।
उन्होंने आगे बताया कि बच्चों को घर में लाइब्रेरी जैसी सुविधा दी जाए ताकि बच्चों में पढ़ने की आदत भी बनी रहें , साथ ही वो अध्याय को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। बच्चे आजकल पढ़ाई, होमवर्क सब कुछ डिजिटल कर रहे हैं।ऐसे में किताबों से उनकी दूरी बढ़ रही है।
ये सब हो सकती है समस्या
बेगूसराय (बिहार) जिले के सदर अस्पताल सुपरिटेंडेंट डॉ. आनंद कुमार शर्मा ने बताया कि छोटे शहरों के मां-बाप के पास अच्छी क्वालिटी के मोबाइल नहीं है।इससे बच्चों के स्वास्थ पे भी असर करेगा।उन्होंने कहा कि बेहतर होता अगर सरकार इस तरह के क्लासेज को टीवी पर कराती। क्योंकि टीवी की क्वालिटी बेहतर होती है।इससे बच्चों के स्वास्थ पे कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा।
इस समय मां-बाप के लिए जरूरी है कि वो बच्चों की पढ़ाई के साथ साथ उनके स्वास्थ्य का भी ख्याल रखें।समय समय पर उनको ब्रेक दे।ज्यादा देर तक लगातार कंप्यूटर स्क्रीन पर ना बैठे रहें। साथ ही योगा या प्राणायाम करें, जिससे कि वो मानसिक अवसाद, चिड़चिड़ापन या आंखों की समस्या से बचे रहें।
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