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Brain Cancer: ये चीजें खाते हैं तो हो जाएं सावधान, हो सकता है ब्रेन कैंसर

इंटरनेशनल जनरल ऑफ कैंसर में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक यह परजीवी दिमाग में एक अल्सर के रूप में हो सकते हैं। इसके साथ यह परजीवी इन्फ्लेक्शन के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं।

Shraddha Khare
Published on: 13 Jan 2021 11:46 AM IST
Brain Cancer: ये चीजें खाते हैं तो हो जाएं सावधान, हो सकता है ब्रेन कैंसर
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मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के ग्राम कान्हावाड़ी में रहने वाले भगत बाबूलाल भगत लोगों के कैंसर का उपचार फ्री में कर रहे हैं।

नई दिल्ली : हमारे जीवन में दूषित पानी और अधपके मांस को खाने से कई बड़ी बीमारी दस्तक दे सकती है। सोमवार को एक शोधकर्ता की रिपोर्ट के मुताबिक यह पता चला कि दूषित पानी और अधपके मांस में एक प्रकार का परजीवी होता है जो लोगों में ब्रेन कैंसर का खतरा पैदा कर सकता है। शोधकर्ताओं को एक ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिसमें टोक्सोप्लाज्मा गोंडी या टी गोंडी परजीवी से संक्रमित लोगों में एक प्रकार का ट्यूमर विकसित होने का खतरा ज्यादा होता है। रिपोर्ट के मुताबिक 20 से 50 फीसदी आबादी इस परजीवी से संक्रमित हो चुकी हैं।

यह परजीवी दिमाग में अल्सर की तरह हो सकते हैं

इंटरनेशनल जनरल ऑफ कैंसर में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक यह परजीवी दिमाग में एक अल्सर के रूप में हो सकते हैं। इसके साथ यह परजीवी इन्फ्लेक्शन के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं। अमेरिकन कैंसर रिसर्च इंस्टीटूट ने ब्लड सैम्पल में टी गोंडी परजीवी के एंटीबॉडीज और ट्यूमर के जोखिम के बीच इस संबंध की जांच की। आपको बता दें कि इस प्रक्रिया के लिए इन्हें दो समूह में बांटा।

इन लोगों को इस शोध में किया शामिल

अमेरिका ने इस स्टडी के लिए न्यूट्रिशन कोहॉर्ट में पंजीकृत हुए 111 लोगों और नॉविजन कैंसर रजिस्ट्री' में पंजीकृत 646 लोगों को शामिल किया गया था। शोधकर्ताओं ने बताया कि ग्लायोमा का खतरा उन लोगों में ज्यादा देखा गया जिनमें टी गोंडी एंटीबॉडीज का स्तर ज्यादा था। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस स्टडी के निष्कर्ष टी गोंडी इन्फ्लेक्शन और ग्लायोमा के जोखिम के बीच संभावित प्रमाण है। जिसकी पुष्टि किसी स्वतंत्र शोध जनि चाहिए।

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इन लोगों में हो सकता है ब्रेन कैंसर का खतरा

शोधकर्ता ने कहा कि यह स्टडी यह दर्शाती है जिन लोगों में टी गोंडी परजीवी के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। उन लोगों में ही ग्लायोमा के विकसित होने की संभावना ज्यादा रहती है। इस स्टडी को और बड़े पैमाने पर कराने की जरुरत है।

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