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बहुत हुआ कोरोना का रोना: अब जानिए कैसे होते हैं कोरोना के टेस्ट

ब्लड टेस्ट इस तरह के सभी सैंपल को जुटाने के बाद कोरोना वायरस के हिसाब से इसका विश्लेषण किया जाता हैl

Newstrack
Published on: 2 July 2020 6:29 PM IST
बहुत हुआ कोरोना का रोना: अब जानिए कैसे होते हैं कोरोना के टेस्ट
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नई दिल्ली: चीन से पूरे देश में अपना आतंक फैला चुका कोरोना वायरस का तोड़ अभी तक कोई नहीं कोई देश नहीं निकाल पाया है . पूरे विश्व के वैज्ञानिक अभी तक इस कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में असफल रहे है . अभी तक कोरोना से हुई मौतों का अंदाजा लगाया जाएँ तो कुल 516 k लोगों की मौत पूरे विश्व में हो चुकी है . वही भारत की बात करें तो अभी तक कुल संख्या 17,834 लोगों की मौत हो चुकी है.

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टेस्ट के लिए सैंपल लेने के दौरान भी सावधानी बरते

आज हम आपको ये बताएँगे की अप कोरोना संक्रमित है या नहीं इसके टेस्ट कैसे होते है और किन किन चीज़ों का उपयोग इसमें किया जाता है .अगर आपको कोरोना वायरस का संदेह है या फिर कोरोना के लक्षण- जैसे बुखार, गले में खराश, बहती नाक, सांस लेने में दिक्कत है, तो सबसे पहले डॉक्टर से चेकअप कराना होगाl ये चेकअप किसी भी अस्पताल में करा सकते हैंl

फोन पर भी सलाह ले सकते हैंl अगर डॉक्टर को लगता है कि मामला कोरोना का है, तो वो जांच की सिफारिश करेंगेl ICMR ने निर्देश दिया है कि कोरोना के संदिग्ध व्यक्ति का सैंपल घर से ही लिया जाएगा, जिससे वो किसी दूसरे के संपर्क में न आएl टेस्ट के लिए सैंपल लेने के दौरान भी सावधानी और जरूरी सुरक्षा उपाय अपनाने की हिदायत है.

स्वाब टेस्ट: इस टेस्ट में लैब एक कॉटन स्वाब से गले या नाक के अंदर से सैंपल लेकर टेस्ट करता है.

नेजल एस्पिरेट: वायरस की जांच करने वाला लैब आपके नाक में एक सॉल्यूशन डालने के बाद सैंपल कलेक्ट कर उसकी जांच करता है.

ट्रेशल एस्पिरेट: ब्रोंकोस्कोप नाम का एक पतला ट्यूब आपके फेफड़े में डालकर वहां से सैंपल लेकर उसकी जांच की जाती है.

सप्टम टेस्ट: यह फेफड़े में जमा मैटेरियल या नाक से स्वाब के जरिये निकाले जाने वाले सैंपल का टेस्ट होता है.

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कोरोना वायरस के हिसाब से इसका विश्लेषण किया जाता है

ब्लड टेस्ट इस तरह के सभी सैंपल को जुटाने के बाद कोरोना वायरस के हिसाब से इसका विश्लेषण किया जाता हैl कोरोना वायरस के सभी वेरिएंट के लिए इनका ब्लेंकेट टेस्ट किया जाता है.

इंसान वायरस से संक्रमित है या नहीं इसकी जांच दो तरीके से होती है. डायग्नोस्टिक टेस्ट और एंटीबॉडी टेस्ट. डायग्नोस्टिक टेस्ट दो प्रकार के होते हैं. मॉलिक्यूलर टेस्ट और एंटीजन टेस्ट. वे वायरस की आनुवंशिक मेटेरियल का पता लगाते हैं. मॉलिक्यूलर टेस्ट (RT-PCR) में गले या नाक की सूजन में वायरस रिबोन्यूक्लिक एसिड या RNA की उपस्थिति का पता लगाता है.

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