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Food Price Hike 2023: कितना महंगा हो गया खाने-पीने का सामान, जानिए सब्ज़ी से लेकर मसालों के भाव में कितना आ गया अंतर

Food Price Hike 2023: आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे महज़ एक साल में चीज़ों की कीमतों में कितना अंतर आ गया और आपकी जेब पर ये कितना असर डाल रही है।

Shweta Shrivastava
Published on: 26 Jun 2023 1:42 PM GMT (Updated on: 27 Jun 2023 2:04 AM GMT)
Food Price Hike 2023: कितना महंगा हो गया खाने-पीने का सामान, जानिए सब्ज़ी से लेकर मसालों के भाव में कितना आ गया अंतर
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Food Price Hike 2023 (Image Credit-Social Media)

Food Price Hike 2023: जहाँ भारत हर दिन नए नए आयामों को छू रहा है वहीँ इन दिनों महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है। ऐसे में सब्ज़ी से लेकर मसालों तक हर एक चीज़ अपने उच्चतम स्तर पर है। आपको बता दें कि कीमतें पिछले साल जून की तुलना में 10% अधिक हो गयी हैं। यहाँ तक की घरेलू गैस के दाम में। भी काफी ज़्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे महज़ एक साल में चीज़ों की कीमतों में कितना अंतर आ गया और आपकी जेब पर ये कितना असर डाल रही है।

खाने- पीने की ये चीजें कितनी हुईं महंगी

अगर बार करें मसालों की बात जीरे के भाव में काफी उछाल आया है। राजस्थान के नागौर में जीरे का रेट 62350 रुपये प्रति क्विंटल पर तक पहुंच गया है। वहीँ खाद्य मुद्रास्फीति राष्ट्रीय राजनीतिक एजेंडे पर वापस आ गई है। अगस्त में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 18 प्रतिशत हो गई, जो लगभग तीन वर्षों में सबसे अधिक है। सभी खाद्य पदार्थ अब पहुंच से बाहर होने के मामले में प्याज से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इस साल अगस्त तक प्याज की कीमत 245 फीसदी और अन्य सब्जियों की कीमत 77 फीसदी बढ़ जाएँगी। राजनेता अब विरोधियों के दिलों में डर पैदा करने के लिए केवल प्याज का नाम लेने के बजाय व्यापक शब्द, खाद्य मुद्रास्फीति, को एक राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग कर रहे हैं। 2006 से ही लगातार खाद्य कीमतें बढ़ रही हैं। पिछले पांच वर्षों में खाद्य मुद्रास्फीति ने देश में कुल मुद्रास्फीति में 41 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया है।

लगातार बढ़ रही महंगाई एक गंभीर चिंता का विषय है, खासकर भारत जैसे देश के लिए, जहां दुनिया में गरीबों की संख्या सबसे ज्यादा है। खाद्य पदार्थों की कीमत में वृद्धि का गरीबों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? हाल के अध्ययनों और वास्तविक क्षेत्रीय रिपोर्टों के अनुसार, खाद्य मुद्रास्फीति ने गरीबों के स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव डाला है। ये एक विडंबना है कि जहां वैश्विक स्तर पर कुपोषण के खिलाफ लड़ाई तेज हो रही है, वहीं देश के भीतर खाद्य मुद्रास्फीति इसमें बाधा बन सकती है।

आपको बता दें कि भारत में एक औसत परिवार अपनी कमाई का लगभग 50 प्रतिशत भोजन पर खर्च करता है - गरीब 60 प्रतिशत से अधिक खर्च करते हैं - वहीँ मूल्य वृद्धि से संकट पैदा हो सकता है। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, भारत में प्रभाव गंभीर होंगे। गरीबों को दोहरी मार का सामना करना पड़ेगा जहाँ उन्हें अन्य उद्देश्यों के लिए धन का उपयोग करके भोजन पर अधिक खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा वहीँ उनका स्वास्थ्य और भी खराब हो जाएगा। भारत का गरीबी स्तर तेजी से बढ़ सकता है और परिणामस्वरूप देश शिशु एवं बाल मृत्यु दर और कुपोषण के खिलाफ अपनी लड़ाई में परिणाम हासिल नहीं कर पाएगा।

श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के मार्च 2023 के आंकड़ों से पता चला कि पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में खाद्य कीमतों में 8.8% की वृद्धि हुई है। उच्चतम मूल्य वृद्धि वाले कुछ खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:

  • चिकन: 13.4% की वृद्धि
  • अंडे: 11.2% की वृद्धि
  • चावल, पास्ता और कॉर्नमील: 9.3% की वृद्धि
  • दूध: 13.3% की वृद्धि
  • मक्खन: 12.5% ​​की वृद्धि
  • ताजे फल: 10.1% की वृद्धि
  • ताज़ी सब्जियाँ: 5.9% की वृद्धि
  • जमे हुए और फ्रीज-सूखे तैयार खाद्य पदार्थ: 14% की वृद्धि

इसके अलावा किन चीज़ों की कीमतों में आया उछाल (दिल्ली मंडी का भाव)

  • अरहर दाल की कीमत में 40 रुपये का उछाल दर्ज हुआ, इसकी कीमत अब 160-170 रूपए प्रति किलो हो गयी है।
  • एक किलो टमाटर की कीमत 80 से 120 रुपए हो गयी है।
  • खीरे की कीमत अब 40 रुपये हो गई है।
  • भिंडी अब 40 रूपए किलो हो गयी है।

Shweta Shrivastava

Shweta Shrivastava

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