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Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी का महत्त्व और शुभ महूर्त, जानिए क्या है हिन्दू मान्यताएं और पौराणिक कथा

Ganesh Chaturthi 2023: वर्तमान में गणेश चतुर्थी का दिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर महीने में आता है। आइये जानते हैं इस साल गणेश चतुर्थी कब है और इसके उत्सव और गणेश स्थापना का शुभ महूर्त कब है।

Shweta Shrivastava
Published on: 20 Aug 2023 7:57 AM IST
Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी का महत्त्व और शुभ महूर्त, जानिए क्या है हिन्दू मान्यताएं और पौराणिक कथा
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Ganesh Chaturthi 202 3(Image Credit-Social Media)

Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारत में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। यूँ तो इसे महाराष्ट्र में ही प्रमुखता से मनाया जाता था लेकिन अब इसे पूरे देश में मनाया जाने लगा है। गणेश चतुर्थी पर, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में हुआ था। वर्तमान में गणेश चतुर्थी का दिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर महीने में आता है। आइये जानते हैं इस साल गणेश चतुर्थी कब है और इसके उत्सव और गणेश स्थापना का शुभ महूर्त कब है।

गणेश चतुर्थी का महत्त्व और शुभ महूर्त

गणेशोत्सव, गणेश चतुर्थी का उत्सव, अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है जिसे गणेश विसर्जन दिवस के रूप में भी जाना जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन, भक्त एक भव्य जुलूस के बाद भगवान गणेश की मूर्ति को जलाशय में विसर्जित करते हैं। इस साल गणेश चतुर्थी का उत्सव 19 सितम्बर को मनाया जायेगा। वहीँ चतुर्थी प्रारम्भ होगी 18 सितम्बर को दोपहर 12:39 पर। इसके बाद ये समाप्त होगी 19 सितम्बर को दोपहर 1:43 पर।

गणपति स्थापना और गणपति पूजा मुहूर्त

मध्याह्न के दौरान गणेश पूजा को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था। हिन्दू समय-पालन के अनुसार सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच की समयावधि को पाँच बराबर भागों में बाँटा गया है। इन पांच भागों को प्रातःकाल, संगव, मध्याह्न, अपराह्न और सायंकाल के नाम से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना और गणपति पूजा दिन के मध्याह्न भाग के दौरान की जाती है और वैदिक ज्योतिष के अनुसार ये गणेश पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। दोपहर के समय, गणेश भक्त विस्तृत अनुष्ठान गणेश पूजा करते हैं जिसे षोडशोपचार गणपति पूजा के रूप में जाना जाता है।

गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन वर्जित है

मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए। गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को देखने से मिथ्या दोष या मिथ्या कलंक बनता है जिसका अर्थ है किसी चीज़ को चुराने का झूठा आरोप।


पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर स्यमंतक नामक बहुमूल्य मणि चुराने का झूठा आरोप लगाया गया था। भगवान कृष्ण की दुर्दशा देखने के बाद, ऋषि नारद ने बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखा था और जिसके कारण उन्हें मिथ्या दोष का श्राप मिला है।

ऋषि नारद ने भगवान कृष्ण को आगे बताया कि भगवान चंद्र को भगवान गणेश ने श्राप दिया है कि जो कोई भी भाद्रपद महीने के दौरान शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा को देखेगा, उसे मिथ्या दोष का श्राप दिया जाएगा और वो समाज में कलंकित और अपमानित होगा। नारद मुनि की सलाह पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से छुटकारा पाने के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत रखा।

मिथ्या दोष निवारण मंत्र
चतुर्थी तिथि के प्रारंभ और समाप्ति समय के आधार पर लगातार दो दिनों तक चंद्रमा का दर्शन वर्जित होता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, जब चतुर्थी तिथि प्रचलित हो तो चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। इसके अलावा, चतुर्थी के दौरान उगे चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए, भले ही चतुर्थी तिथि चंद्रास्त से पहले समाप्त हो जाए।

अगर किसी ने गणेश चतुर्थी के दिन गलती से चंद्रमा देख लिया हो तो उसे श्राप से मुक्ति के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए -

सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥

सिंहः प्रसेनमवधीत्सिम्हो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मरोदिस्तव ह्येषा स्यमन्तकः॥

गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

Shweta Shrivastava

Shweta Shrivastava

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