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Gautam Buddha Motivational Story: सबसे कीमती भाव!

MGautam Buddha Motivational Story: एक बार किसी गांव में महात्मा बुद्ध की आगमन घटना हुई। सभी लोग उत्साहित हो गए और विचार करने लगे कि वे क्या भेंट करें। उस गांव में एक गरीब मोची भी रहता था। उसने अपनी योग्यता और समर्पण के साथ एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया। उसकी कथा निम्नानुसार है:

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Published on: 31 May 2023 3:09 PM IST
Gautam Buddha Motivational Story: सबसे कीमती भाव!
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Gautam Buddha Motivational Story (social media)

Gautam Buddha Motivational Story: एक बार किसी गांव में महात्मा बुध्द का आगमन हुआ। सब इस होड़ में लग गये कि क्या भेंट करें ! इधर गाँव में एक गरीब मोची था। उसने देखा कि मेरे घर के बाहर के तालाब में बेमौसम का एक कमल खिला है।

उसकी इच्छा हुई कि, आज नगर में महात्मा आए हैं, सब लोग तो उधर ही गए हैं, आज हमारा काम चलेगा नहीं, आज यह फूल बेचकर ही गुजारा कर लें। वह तालाब के अंदर कीचड़ में घुस गया। कमल के फूल को लेकर आया। केले के पत्ते का दोना बनाया और उसके अंदर कमल का फूल रख दिया। पानी की कुछ बूंदें कमल पर पड़ी हुई हैं और वह बहुत सुंदर दिखाई दे रहा है। इतनी देर में एक सेठ पास आया और आते ही कहा- क्यों फूल बेचने की इच्छा है? आज हम आपको इसके दो चांदी के रूपए दे सकते हैं।

अब उसने सोचा कि एक-दो आने का फूल। इस के दो रुपए दिए जा रहे हैं। वह आश्चर्य में पड़ गया।इतनी देर में नगर-सेठ आया। उसने कहा ''भई, फूल बहुत अच्छा है, यह फूल हमें दे दो'' हम इसके दस चांदी के सिक्के दे सकते हैं। मोची ने सोचा, इतना कीमती है यह फूल।नगर सेठ ने मोची को सोच मे पड़े देख कर कहा कि अगर पैसे कम हों, तो ज्यादा दिए जा सकते हैं।

मोची ने सोचा- क्या बहुत कीमती है ये फूल। नगर सेठ ने कहा- मेरी इच्छा है कि मैं महात्मा के चरणों में यह फूल रखूं। इसलिए इसकी कीमत लगाने लगा हूं। इतनी देर में उस राज्य का मंत्री अपने वाहन पर बैठा हुआ पास आ गया और कहता है- क्या बात है। कैसी भीड़ लगी हुई है। अब लोग कुछ बताते इससे पहले ही उसका ध्यान उस फूल की तरफ गया।उसने पूछा- यह फूल बेचोगे? हम इस के सौ सिक्के दे सकते हैं।

क्योंकि महात्मा आए हुए हैं।ये सिक्के तो कोई कीमत नहीं रखते।जब हम यह फूल लेकर जाएंगे तो सारे गांव में चर्चा तो होगी कि महात्मा ने केवल मंत्री का भेंट किया हुआ ही फूल स्वीकार किया।हमारी बहुत ज्यादा चर्चा होगी।

इसलिए हमारी इच्छा है कि यह फूल हम भेंट करें और कहते हैं कि थोड़ी देर के बाद राजा ने भीड़ को देखा, देखने के बाद वजीर से पूछा कि बात क्या है?

वजीर ने बताया कि फूल का सौदा चल रहा है।राजा ने देखते ही कहा- इसको हमारी तरफ से एक हजार चांदी के सिक्के भेंट करना।यह फूल हम लेना चाहते हैं।गरीब मोची ने कहा- लोगे तो तभी जब हम बेचेंगे।हम बेचना ही नहीं चाहते।अब राजा कहता है कि बेचोगे क्यों नहीं?

उसने कहा कि जब महात्मा के चरणों में सब कुछ-न-कुछ भेंट करने के लिए पहुंच रहे हैं, तो ये फूल इस गरीब की तरफ से आज उनके चरणों में भेंट होगा।

राजा बोला-देख लो, एक हजार चांदी के सिक्कों से तुम्हारी पीढ़ियां तर सकती हैं।

गरीब मोची ने कहा-मैंने तो आज तक राजाओं की सम्पत्ति से किसी को तरते नहीं देखा । लेकिन महान पुरुषों के आशीर्वाद से तो लोगों को जरूर तरते देखा है।

राजा मुस्कुराया और कह उठा-तेरी बात में दम है।तेरी मर्जी, तू ही भेंट कर लें । अब राजा तो उस उद्यान में चला गया जहां महात्मा ठहरे हुए थे, और बहुत जल्दी चर्चा महात्मा के कानों तक भी पहुंच गई, कि आज कोई आदमी फूल लेकर आ रहा है।

जिसकी कीमत बहुत लगी है। वह गरीब आदमी है इसलिए फूल बेचने निकला था, कि उसका गुजारा होता। जैसे ही वह गरीब मोची फूल लेकर पहुंचा, तो शिष्यों ने महात्मा से कहा कि वह व्यक्ति आ गया है।

लोग एकदम सामने से हट गए। महात्मा ने उसकी तरफ देखा। मोची फूल लेकर जैसे पहुंचा तो उसकी आंखों में से आंसू बरसने लगे। कुछ बूंदे तो पानी की कमल पर पहले से ही थी । कुछ उसके आंसुओं के रूप में ठिठक गई कमल पर।

रोते हुए इसने कहा-सब ने बहुत-बहुत कीमती चीजें आपके चरणों में भेंट की होंगी, लेकिन इस गरीब के पास यह कमल का फूल और जन्म-जन्मान्तरों के पाप जो मैंने किए हैं, उनके आंसू आंखों में भरे पड़े हैं।उनको आज आपके चरणों में चढ़ाने आया हूं ।मेरा ये फूल और मेरे आंसू भी स्वीकार ?करो।

महात्मा के चरणों में फूल रख दिया।गरीब मोची घुटनों के बल बैठ गया।महात्मा बुध्द ने अपने शिष्य आनन्द को बुलाया और कहा, देख रहे हो आनन्द। हजारों साल में भी कोई राजा इतना नहीं कमा पाया जितना इस गरीब इन्सान ने आज एक पल में ही कमा लिया।इसका समर्पण श्रेष्ठ हो गया। इसने अपने मन का भाव दे दिया।



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