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ये 5 तरीकें: महिलाओं की ऐसी परेशानियों को झटके में करते हैं दूर

प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं में बहुत से चेंजेज आते हैं। ये बदलाव शारीरिक और मानसिक दोनों रूप में होते हैं। प्रेग्नेंसी पीरियड से बाहर निकलने के बाद नवजात की तरह मां की देखभाल की भी जरूरत होती है।

Roshni Khan
Published on: 8 Jan 2020 3:32 PM IST
ये 5 तरीकें: महिलाओं की ऐसी परेशानियों को झटके में करते हैं दूर
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लखनऊ: प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं में बहुत से चेंजेज आते हैं। ये बदलाव शारीरिक और मानसिक दोनों रूप में होते हैं। प्रेग्नेंसी पीरियड से बाहर निकलने के बाद नवजात की तरह मां की देखभाल की भी जरूरत होती है। डिलीवरी के बाद महिलाओं में मॉर्निंग सिकनेस, कमर में दर्द होना और प्रेग्नेंसी के दौरान वजन का बढ़ना जैसी प्रॉब्लम हो जाती है। इन प्रॉब्लम से निपटने के लिए पोषण युक्त आहार के साथ-साथ कुछ योगासन की भी जरूरत होती है। तो आइए आपको बताते हैं कुछ योगासनों के बारे में जो डिलीवरी के बाद वजन घटाने में हेल्प कर सकते हैं।

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हलासन

हलासन का अभ्यास करना थोड़ा मुश्किल तो है लेकिन ये बहुत ही फायदेमंद है। हलासन का अभ्यास कमर, हिप्स और पेल्विक एरिया के लिए बहुत ही अच्छा होता है। यह योगासन शरीर को लचीला बनाने के साथ-साथ वजन भी कम करता है। इसके अभ्यास से त्वचा में भी निखार आता है।

पश्चिमोत्तासन

पश्चिमोत्तासन आपके कमर की चर्बी को कम करने में मदद करेगा। इस आसन के नियमित अभ्यास से बॉडी में जो एक्स्ट्रा फैट होता है वो गलने लगता है और शरीर में रक्तप्रवाह का सुधार होता है। पश्चिमोत्तासन वजन कम करने में भी हेल्प करता है।

वीरभद्रासन

वीरभद्रासन आपकी पीठ को खींचती है और आपकी जांघों, नितंब और पेट को टोन करती है। यह आपके मध्य भाग से वसा को जलाने में मदद करेगा। इसे करने के लिए सीधे तनकर खड़े हो जाएं। अब अपने दाएं पैर को 2 से 4 फीट तक आगे ले जाएं। दाएं घुटने को हल्का-सा मोड़ दें और इस बात का ध्यान रखें कि बायां पैर सीधा हो तथा उसका तलवा जमीन के साथ लगा हो। गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर करें। कंधों को आरामदायक पोजीशन में रहने दें और दोनों कानों को अपने कंधे के पास न आने दें। फिर सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए पूर्वावस्था में आ जाएं। इस प्रोसेस को बाएं पैर से भी रिपीट करें।

भुजंगासन

भुजंगासन का अभ्यास पेट को मजबूत बनाता है। इस आसन को करने के लिए पहले पेट के बल लेट जाएं और अपनी हथेलियों को अपने कंधे की सीध में लेकर जाएं। इस दौरान अपने दोनों पैरों के बीच की दूरी को कम करें। साथ ही पैर को सीधा तथा तना हुआ रखें। अब सांस भरते हुए शरीर के अगले हिस्से को नाभि तक उठाएं।

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अनुलोम-विलोम

डिलीवरी के बाद अनुलोम-विलोम प्राणायाम आपकी हेल्थ में सुधार करता है। यह आपकी मनोदशा में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। साथ ही यह श्वसन तंत्र को सुदृढ़ करता है।



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Roshni Khan

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