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सेहत: आइये पड़ते हैं हाथ के पीछे, ‘हाथ धोकर’ और जानते हैं कि कैसे करें हाथ की सफाई
यात्रा के दौरान पानी कि कमी तो हो ही जाती है। जिसके कारण स्वच्छता रखने में काफी दिक्कत हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में हमें अपने पास एक अल्कोहल आधारित वाटरलेस हैण्ड सैनिटाईजर रखना चाहिए। इसके इस्तेमाल करने का तरीका यह है कि थोडा सा सैनिटाईजर अपने हाथों में लें और दोनों हाथों से तब तक रगड़ें जब तक की सैनिटाईजर गायब न हो जाए।
हाथ धुलने के लिए कम से कम हमें 20 से 30 सेकंड का समय देना चाहिए। क्योंकि गलत तरीके से हाथ धुलने कि वजह से जीवाणुओं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
हाथों को धुलने का सही तरीका जानना जरूरी-
- सबसे पहले आप अपने हाथों को साफ़ गुनगुने पानी से गिला करें, उसके बाद थोड़ा साबुन या लिक्विड सोप अपने हाथों में लेकर अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ें।
- अपनी उँगलियों, अंगूठों और उनकी बीच की त्वचा को रगड़ें, अपनी हथेली को भी उँगलियों से खरोंचे, हाथ के पीछे के हिस्से को भी रगड़ें।
- इसके बाद बहते हुए पानी में हाथ धोएं, साफ़ तौलिये या पेपर टावेल से पोंछ लें।
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यात्रा के दौरान स्वछता का ध्यान देना जरूरी
यात्रा के दौरान पानी कि कमी तो हो ही जाती है। जिसके कारण स्वच्छता रखने में काफी दिक्कत हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में हमें अपने पास एक अल्कोहल आधारित वाटरलेस हैण्ड सैनिटाईजर रखना चाहिए। इसके इस्तेमाल करने का तरीका यह है कि थोडा सा सैनिटाईजर अपने हाथों में लें और दोनों हाथों से तब तक रगड़ें जब तक की सैनिटाईजर गायब न हो जाए। लेकिन बच्चों को हैण्ड सैनिटाईजर का इस्तेमाल हमेशा बड़ों कि मौजूदगी में ही करना चाहिए।
लिक्विड सोप और हैण्ड सैनिटाईजर
हैण्ड सैनिटाईजर और लिक्विड सोप को लेकर कई तरह के भ्रम भी है कई लोग मानते हैं कि लिक्विड सोप और साधारण सोप में कोई अंतर नहीं होता है जबकि ऐसा नहीं है अंतर बस इतना है कि साबुन का प्रयोग होने के बाद साबुन गीला हो जाता है और उसपर कई प्रकार के बैक्टीरिया पनपने लगते है, वहीं लिक्विड सोप पैक्ड रहता है इसलिए यह संक्रमित नहीं होता है ।
स्वच्छता कि दिशा में उठाये क़दमों में हर साल ग्लोबल हैण्ड वाशिंग दिवस मनाया जाता है
जिसमें हाथ धुलने, छींकने के समय अपने रुमाल का इस्तेमाल करने कि सलाह, और लिक्विड सोप, हैण्ड सैनिटाईजर को हमेशा अपने पास रखने और उसके इस्तेमाल करने कि सलाह दी जाती है
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ग्लोबल हाइजीन काउन्सिल कि एक रिपोर्ट के अनुसार 62 फीसदी भारतियों की रसोइयों में संक्रमण रहता है। जबकि रसोई में स्वछता बहुत जरूरी है क्योंकि इससे पाचन तथा श्वसन सम्बंधित बीमारियां होने का खतरा होता है। सब्जियों को हमेशा बहते हुए पानी में ही धोना चाहिए। और बिमारियों से दूर रहने के लिए फ़िल्टर या उबला हुआ पानी ही पीना चाहिए तथा खाना बनाने में प्रयोग करना चाहिए।
दूसरी तरफ बाथरूम कि सफाई भी बहुत जरूरी है क्योंकि जब हम बाथरूम प्रयोग करते हैं तो हम कई प्रकार के बैक्टीरिया के संपर्क में आते है, जिसके कारण हमारी स्वच्छता भंग होती है।
लेकिन यह भी जानना है जरूरी कि ट्राइक्लोसान क्या होता है
हैण्ड सैनिटाईजर में ट्राइक्लोसान नामक एक केमिकल होता है, जिसे हाथ की त्वचा तुरंत सोख लेती है। अगर यह रक्त संचार में शामिल हो जाये, तो यह मांसपेशी को-ऑर्डिनेशन के लिए जरूरी सेल-कम्युनिकेशन को बाधित करता है। इसका लंबे समय तक ज्यादा इस्तेमाल त्वचा को सूखा बनाने, बांझपन और हृदय के रोग को न्योता दे सकता है। इसलिए अगर आपको हाथ धोने की जरूरत महसूस हो रही है, तो इंतजार कीजिए और मौका मिलते ही साबुन और पानी से ही अपने हाथों को धोइए।
ऊपर कि बातों का ध्यान रख कर ही हम खुद को और अपने बच्चों को स्वस्थ रख सकते है और दवाओं से दूर रह सकते हैं।