Social Media पर प्यार कर डिप्रेशन का शिकार हो रहे युवा, इस तरह अपने बच्चों का रखें ख्याल

Lifestyle News: सोशल मीडिया पर प्यार-मोहब्बत फिर ब्रेकअप के कारण ज्यादातर युवा डिप्रेशन और एंजायटी के शिकार हो रहे हैं। अस्पतालों की ओपीडी में लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं।

Archana Pandey
Published on: 24 July 2023 7:04 AM GMT
Social Media पर प्यार कर डिप्रेशन का शिकार हो रहे युवा, इस तरह अपने बच्चों का रखें ख्याल
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depression (Image- Social Media)

Lifestyle News: सोशल मीडिया पर प्यार कर युवा डिप्रेशन का शिकार हो रहे है। ताजा मामला यूपी की राजधानी लखनऊ से सामने आया है। यहां रहने वाला एक युवक बीटेक कर रहा था। इसी दौरान सोशल मीडिया पर एक लड़की से उसकी चैट शुरू हुई। इसके कुछ ही दिनों बाद युवर को लड़की से प्यार हो गया है। लड़की का धर्म अलग था। जिसके कारण दोनों में विवाद हुआ और फिर लड़की यवुक से अलग हो गई। इसके बाद युवक डिप्रेशन में चला गया।

डिप्रेशन में वह दो बार घर से भाग चुका है। एक बार बिहार में मिला तो दूसरी बार नेपाल में मिला था। एक बार हाथ की नस भी काट ली थी। मजबूरी में घरवालों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। अब अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है।

अस्पतालों में बढ़ रहे मामले

सोशल मीडिया पर प्यार-मोहब्बत फिर ब्रेकअप या धोखा खाने के कारण ज्यादातर युवा पहले डिप्रेशन और एंजायटी का शिकार हो रहे हैं। इसके बाद में ऑब्सेसिस कंपल्सिव डिसॉर्डर की चपेट में आ जाते हैं। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं। इसमें कई मरीज तो परिवार से अलग थलग होकर खुद की जान लेने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ युवाओं की पढ़ाई भी छूट चुकी है, हालांकि काउंसलिंग और दवा से उनका इलाज हो रहा है।

80 प्रतिशत युवाओं में लक्षण

यूपी के बलरामपुर अस्पताल के मनोवैज्ञानिक डॉ. देवाशीष शुक्ला ने बताया है कि रोजना ओपीडी में आने वाले 10 में से 8 किशोंरो में ऑब्सेसिव कंरल्सिव डिसऑर्डर के लक्षण मिल रहे हैं। युवा और किशोर नींद न आने, बेचैनी, पढ़ाई में मन न लगने जैसी समस्याएं बताते हैं। फिर काउंसलिंग में सामने आया है कि सोशल मीडिया की रिलेशनशिप के कारण यह हालात हुए हैं।

पैरेंट्स काउंसलिंग करवाएं

सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह ने बताया है कि अगर बच्चा देर रात तक जाग रहा है और उसके बर्ताव में बदलाव है तो नजर रखें। चिड़चिड़ापन, पढ़ाई में खराब प्रदर्शन, गुमसुम होने और हर समय चैटिंग में लगे होने पर बात जरूर करें। बच्चा आपको नहीं बता रहा है तो उसके दोस्तों से बात करें। इसमें कोई लक्षण दिखे तो तुरंत मनोरोग विशेषज्ञ को जाकर दिखाएं।

सोशल मीडिया से करें बचाव

फोटो या पोस्ट देखकर किसी अनजान व्यक्ति से दोस्ती न करें। किसी से भी चैटिंग सीमित समय में करें और निजी बातें शेयर करने से बचे। बच्चा बहुत देर तक चैटिंग कर रहा है तो अभिभावक इंटरनेट की टाइम लिमिट तय कर दें। बच्चे से दिन में एक बार कुछ देर जरूर बात करें और जानने की कोशिश करें कि उसके जीवन में क्या चल रहा है।

Archana Pandey

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