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‘कैंसर’ है इन 5 राज्यों का दूध, पांचवा नाम जानकर उड़ जाएंगे आपके होश
पिछले साल FSSAI द्वारा एक अंतरिम रिपोर्ट जारी की गई थी। मगर अब फाइनल रिपोर्ट सामने आयी है। फाइनल रिपोर्ट कहती है कि ऐंटीबायॉटिक्स के अंश कई राज्यों में लिए गए सैंपल में पाए गए हैं।
नई दिल्ली: फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की ओर से एक नई रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट का नाम नेशनल मिल्क सेफ्टी एंड क्वालिटी सर्वे 2018 है, जो कि FSSAI द्वारा शुक्रवार को सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, दूध में मिलावट उतना व्यापक नहीं है, जितना व्यापक रूप से माना जाता है। हालांकि, FSSAI का कहना है कि बड़े ब्रैंड्स के प्रोसेस्ड मिल्क के पैकेट क्वॉलिटी के मामले में फेल हो गए हैं।
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रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई कि 33.7 प्रतिशत प्रोसेस्ड मिल्क सैंपल्स मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। वहीं, फूड सेफ्टी के पैमाने की बात करें तो इस तरह के 10.4 प्रतिशत सैंपल्स मानकों पर खरे नहीं उतरे। वहीं, प्रोसेस्ड मिल्क के मुक़ाबले कच्चे दूध के ऐसे सैंपल्स की संख्या सिर्फ 4.8 फीसदी ही है।
12 सैंपल पीने लायक नहीं
नेशनल मिल्क सेफ्टी एंड क्वालिटी सर्वे 2018 में ये भी बताया गया कि 6432 सैंपल्स में से सिर्फ 12 सैंपल पीने लायक नहीं हैं। रिसर्च में पाया गया कि 12 में से 6 में हाइड्रोजन पेरॉक्साइड, 3 में डिटर्जेंट और 2 में यूरिया मिलाया गया। रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि जो मिलावट दूध में की गई है। वह मिलावट नहीं संदूषण है। इसकी वजह से देश में तमाम लोग जो दूध पीते हैं, अब उनको कैंसर का खतरा है।
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इस सर्वे में फुल क्रीम, प्रोसेस्ड मिल्क, स्टैंडर्ड मिल्क, टोंड मिल्क और डबल टोंड मिल्क के सैंपल्स का परीक्षण किया गया। इसे दूध की क्वॉलिटी के चार मानकों, 12 मिलावट किए जा सकने वाले तत्वों, चार किस्म के प्रदूषकों, 93 ऐंटीबायॉटिक्स और 18 पेस्टिसाइड्स आदि की मौजूदगी के लिहाज से परखा गया। इसमें से करीब 93 प्रतिशत से ज्यादा सैंपल्स सेफ पाए गए। इनमें पेस्टिसाइडिस, किसी रासायनिक तत्व या बाहरी पदार्थ की मौजूदगी नहीं पाई गई।
सामने आई फ़ाइनल रिपोर्ट
पिछले साल FSSAI द्वारा एक अंतरिम रिपोर्ट जारी की गई थी। मगर अब फाइनल रिपोर्ट सामने आयी है। फाइनल रिपोर्ट कहती है कि ऐंटीबायॉटिक्स के अंश कई राज्यों में लिए गए सैंपल में पाए गए हैं। हालांकि, इन सैंपल्स का प्रतिशत सिर्फ़ 1.2 ही पाया गया। यानि 6432 सैंपल्स में इनकी संख्या 77 पाई गई। देश के 4 राज्यों की बात करें तो मध्य प्रदेश में 23, महाराष्ट्र में 9, यूपी में 8 और दिल्ली में 4 सैंपल्स में ऐंटीबायॉटिक्स के अंश पाए गए हैं।
दूध में कैंसर
भारत दूध का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक हो सकता है, लेकिन इसकी शुद्धता पर संदेह हमेशा से किया गया है। वैसे भी FSSAI की रिसर्च बिना किसी कारण के नहीं की गई है। इस रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि Aflatoxin M1 एक ऐसा कार्सिनोजेनिक टॉक्सिन (carcinogenic toxin) है, जो कि अक्सर गायों और भैंसों के खाने में पाया जाता है।
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जब गाय और भैंस इसे खाती हैं, तब ये कार्सिनोजेनिक टॉक्सिन उनके दूध में भी मिल जाता है। इसी दूध को इंसान भी पीते हैं। FSSAI के अनुसार, उनके द्वारा परीक्षण किए गए 6,432 नमूनों में से 368 में ये पाया गया है कि Aflatoxin M1 कार्सिनोजेनिक टॉक्सिन की मात्रा गायों और भैंसों के खाने में अधिक रही है।
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यह आंकड़ा अनुमेय सीमा से ज्यादा है। वहीं, अगर USFDA ने अनुमेय सीमा 0.5 भाग प्रति बिलियन रखी गई है, जबकि कई यूरोपियन और एशियाई देशों में इसकी सीमा 0.05 भाग प्रति बिलियन है। मगर ऐसा भारत में नहीं है।
देश में कच्चे दूध से ज्यादा घातक है प्रोसेस्ड दूध
सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि भारत में प्रोसेस्ड दूध कच्चे दूध की तुलना में ज्यादा घातक है। नेशनल मिल्क सेफ्टी एंड क्वालिटी सर्वे 2018 में ये बात सामने आई है कि सुरक्षा के मुद्दों पर अनुपालन के मामले में कच्चा दूध तो पास हो गया है लेकिन प्रोसेस्ड दूध परीक्षण के नमूनों के फेल हो गया है।
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Aflatoxin M1 के पैमाने की बात करें तो कच्चे दूध ने 3.7 फीसदी Aflatoxin M1 के पैमाने को पास कर लिया है, जबकि 8.7 फीसदी के साथ प्रोसेस्ड दूध इसमें फेल हो गया है। यही नहीं, अगर हम एंटीबायोटिक्स और मिलावट करने वाले पदार्थ- यूरिया, डिटर्जेंट और हाइड्रोजन पेरोक्साइड की बात करें तो भी कच्चे दूध के मुक़ाबले प्रोसेस्ड दूध में ज्यादा पाये गए।