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Nose-picking is Dangerous: सावधान! नाक साफ करना हो सकता है खतरनाक, अल्जाइमर और डिमेंशिया का हो सकता खतरा

Nose-picking is Dangerous: अक्सर लोग अपनी नाक साफ़ करने के लिए उसे खोदते है। अगर आपको भी इस तरह की आदत है तो सावधान हो जाइये दरअसल एक नए अध्ययन के अनुसार, ये आदत आपको अल्जाइमर और डिमेंशिया के विकास के जोखिम में डाल सकती है।

Shweta Shrivastava
Published on: 27 April 2023 2:07 PM IST
Nose-picking is Dangerous: सावधान! नाक साफ करना हो सकता है खतरनाक, अल्जाइमर और डिमेंशिया का हो सकता खतरा
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Nose-picking is Dangerous (Image Credit-Social Media)

Nose-picking is Dangerous: अक्सर लोग अपनी नाक साफ़ करने के लिए उसे खोदते है। अगर आपको भी इस तरह की आदत है तो सावधान हो जाइये दरअसल एक नए अध्ययन के अनुसार, ये आदत आपको अल्जाइमर और डिमेंशिया के विकास के जोखिम में डाल सकती है। ग्रिफ़िथ विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं की एक टीम के अनुसार, उन्होंने प्रदर्शित किया कि एक बैक्टीरिया नाक में घ्राण तंत्रिका के माध्यम से और चूहों में मस्तिष्क में यात्रा कर सकता है, जहां ये मार्कर बनाता है जो अल्जाइमर रोग का एक स्पष्ट संकेत है।

नाक साफ़ करना हो सकता है खतरनाक

जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि क्लैमाइडिया न्यूमोनिया नामक बैक्टीरिया, जो मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है और निमोनिया का कारण बन सकता है, देर से शुरू होने वाले डिमेंशिया से प्रभावित अधिकांश मानव मस्तिष्क में भी खोजा गया है। शोध के अनुसार, ये केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण करने के लिए आक्रमण पथ के रूप में नाक गुहा और मस्तिष्क के बीच फैली हुई तंत्रिका का उपयोग करता है। इसके बाद मस्तिष्क की कोशिकाओं ने अमाइलॉइड बीटा प्रोटीन जमा करके प्रतिक्रिया दी जो अल्जाइमर रोग की पहचान है।

ये अध्ययन चूहों पर किया गया था। क्लेम जोन्स सेंटर फॉर न्यूरोबायोलॉजी एंड स्टेम सेल रिसर्च के प्रमुख प्रोफेसर जेम्स सेंट जॉन ने एक विज्ञप्ति में कहा, "हमने देखा कि ये एक माउस मॉडल में होता है, और अब इसके सबूत संभावित रूप से मनुष्यों के लिए भी काफी डरावने है।"

शोध में कहा गया है कि घ्राण तंत्रिका हवा के संपर्क में है और मस्तिष्क को एक छोटा मार्ग प्रदान करती है। ये वो मार्ग है जिसे वायरस और बैक्टीरिया ने आसानी से मस्तिष्क में सूंघ लिया है। उन्होंने कहा कि उनके शोध का अगला चरण ये साबित करना है कि इंसानों में भी यही रास्ता मौजूद है।

प्रोफेसर सेंट जॉन ने आगे कहा, "हमें मनुष्यों में ये अध्ययन करने की ज़रूरत है कि क्या वही मार्ग उसी तरह से संचालित होता है। ये शोध है जो कई लोगों द्वारा प्रस्तावित किया गया है, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ है।" इसके बाद उन्होंने कहा, "अपनी नाक को नोंचना और अपनी नाक से बाल निकालना अच्छा विचार नहीं है।" प्रोफेसर ने कहा कि अगर कोई अपनी नाक की परत को नुकसान पहुंचाता है, तो आपके दिमाग में बैक्टीरिया के ऊपर जाने का खतरा बढ़ सकता है।

शोध दल ने पाया कि सूंघने की क्षमता में कमी को अल्जाइमर का शुरूआती लक्षण माना जा सकता है। प्रोफेसर ने बीमारी के प्रारंभिक डिटेक्टर के रूप में 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए गंध परीक्षण का भी सुझाव दिया।



Shweta Shrivastava

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