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Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी ने भक्तों के सामने खोल दिया राज़, बताया कौन सी एक औषधि है सब रोगों का इलाज
Premanand Ji Maharaj: वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संग द्वारा सभी को काफी ज़्यादा प्रभावित करते हैं। इतना ही नहीं वो अपने भक्तों को हमेशा सद मार्ग पर चलने की सलाह भी देते हैं।
Premanand Ji Maharaj: वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संग द्वारा सभी को काफी ज़्यादा प्रभावित करते हैं। इतना ही नहीं वो अपने भक्तों को हमेशा सद मार्ग पर चलने की सलाह भी देते हैं। ऐसे में वो कई ऐसी बातें भी बता देतें हैं जो मनुष्य के भावी जीवन में काफी ज़्यादा काम आ सकती है। वहीँ उन्होंने एक ऐसी औषधि के बारे में बताया है जिससे आप सभी रोगों का अंत कर सकती है।
प्रेमानंद जी द्वारा बताई गयी बातें
प्रेमानंद जी के प्रवचन द्वारा सभी को प्रेरणा देते हैं और प्रभु नाम का जाप करने के लिए भी अपने भक्तों से कहते हैं वो राधा रानी के परम भक्त हैं। कहा जाता है कि अगर आप पूरे मन से महाराज जी के सत्संग को सुनते हैं तो आपको राधा रानी के दर्शन ज़रूर होंगें। अपने सत्संग के दौरान ही महाराज जी ने बताया कि एक ऐसे पॉवरफुल औषधि है जो सभी तरह के रोगों का अंत कर सकती है। महाराज जी ने आगे बताया कि सब रोग भगवान् श्री कृष्ण द्वारा प्रकट किये गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि सब रोगों का अंत बस अच्यिंद माधव और गौरव जो श्रीकृष्ण के नाम हैं उनका सुनिरान करने मात्र से नष्ट हो जाते हैं। उनके नाम में इतनी ताकत है कि बड़े से बड़ा रोग भी आपका बाल भी बंका नहीं कर सकता। और हर तरह की बीमारियों का अंत कर देता है। इसके बाद महाराज जी ने कहा कि भगवान् का नाम लेने से किसी भी तरह की प्रेत बाधा या आत्मा आपके ऊपर कुछ भी नहीं कर सकता है।
आपको बता देते हैं कि इसके पहले हमने आपको एक सच्ची घटना बताई थी जो स्वयं महाराज जी ने शेयर की थी। जब उनका सामना एक आत्मा से हुआ था। लेकिन उन्होंने भगवान् का नाम लिया और वो आत्मा तो एक नव वधु के रूप में थी वहां से गायब हो गयी। दरअसल महाराज जी ने एक किस्सा बताया था जिसे सुनकर आपके भी होश उड़ जायेंगे दरअसल एक बार काफी सुबह के समय महाराज जी शौच के लिए निकले तो उनके सामने एक नव वधु खड़ी थी वो भी लोटा लिए थी और शौच के लिए जा रही थी।
जब महाराज ने उसे देखा तो वो थोड़ी देर वहीँ खड़े रहे और जब वो महिला जाने लगी तो वो उसके विपरीत दिशा की ओर जाने लगे। लेकिन जब महाराज जी की अचानक नज़र पड़ी तो उन्होंने देखा कि वो महिला अब भी वहीँ खड़ी थी जिसके बाद महाराज जी जल्दी जल्दी चलने लगे जब उन्होंने अपनी रफ़्तार बढ़ाई तो उनकी नज़र सामने पड़ी तो पता चला कि वो उनके आगे चल रही है। पहले तो उन्हें लगा कि ये कोई भ्रम है लेकिन फिर उन्हें जल्द ही ये एहसास हुआ कि उनका सामना किसी आत्मा से हुआ है। इसके बाद प्रेमानंद जी ने अपनी औषधि रुपी भगवान का स्मरण किया और उनका डर चुकियों में गायब हो गया।