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छोड़ो बाबा हकीमों को: यहां पहाड़ों पर मिल रहा ये खास शिलाजीत
आज हम आपको बताएंगे कि मध्य एशिया में पाया जाने वाला शिलाजीत आखिर क्या चीज है? दरअसल, इसमें खनिज तत्व मौजूद होता है जो कि शरीर में रक्त संचार को बढ़ा देता है।
आज हम आपको बताएंगे कि मध्य एशिया में पाया जाने वाला शिलाजीत आखिर क्या चीज है? दरअसल, इसमें खनिज तत्व मौजूद होता है जो कि शरीर में रक्त संचार को बढ़ा देता है और इससे प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। इस्लामाबाद के डॉक्टर वहीद मेराज बताते हैं कि इसमें आयरन, जिंक, मैग्नीशियम सहित 85 से अधिक खनिज तत्व पाए जाते हैं। जो शरीर के लिए लाभदायक होते हैं।
उन्होंने बताया कि इसके इस्तेमाल से मनुष्य के तंत्रिका तंत्र भी ठीक बना रहता है। इस वजह से ये अलजाइमर, डिप्रेशन और दिमाग के लिए भी लाभकारी होता है। उन्होंने जानकारी दी कि शिलाजीत को लेकर चूहों पर टेस्ट किए गए थे जिसकी वजह से उनके शूगर लेवल पर भी पॉजीटिव रिजल्ट देखने को मिले थे, इस वजह से ये शूगर के इलाज के लिए भी अच्छा माना जाता है। इसके अलावा ये हड्डियों औऱ जोड़ों के दर्द में भी लाभदायक है।
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इसके अलावा इसके नुकसान के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि, अगर शिलाजीत अच्छे से फिल्टर न हो तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध होता है। इसका अधिक इस्तेमाल भी हानिकारक है।
ऐसे बनता है शिलाजीत-
शिलाजीत मध्य एशिया में पाया जाता है। यह ज्यादातर पाकिस्तान में गिलगित-बालटिस्तान के पहाड़ों में पाया जाता है। शिलाजीत बहुत सालों तक पहाड़ों की गुफाओं में मौजुद धातुओं और पहाड़ों से मिलकर बनता है और एक निश्चित समय के बाद इस निकाला जाता है।
लेकिन पहाड़ों के बीच इसे ढूंढ़ने का काम इतना आसान नहीं होता। इसके लिए ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के खतरनाक और मुश्किल रास्तों के बीच गुजरना पड़ता है। ज्यादातर शिलाजीत की तलाश में कई दिन लग जाते हैं, तब जाकर कामयाबी हाथ लगती है। शिलाजीत को ढूंढ़ना जितना मुश्किल है उतने ही मुश्किल है इसको फिल्टर करना।
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हुंजा घाटी में पहाड़ों से शिलाजीत को ढूंढने औऱ निकालने का काम अनुभवी लोग ही करते हैं। कारीगर कभी कुछ घंटों में ही शिलाजीत को पा लेते हैं तो कभी-कभी उन्हें कईयों दिन लग जाते हैं। फिर कारीगर मिले हुए कच्चे माल यानि की शिलाजी को शहर में दुकानदारों को बेच देते हैं। जहां पर पहले शिलाजीत को साफ होने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
इसको ढूंढ़ने के लिए अक्सर लोग समूह बनाकर चलते हैं। कोई रस्सी को पकड़े रहता है तो कोई इसके तलाश में इस गुफा के अंदर जाता है। इसके लिए पहले वो दूरबीन से गुफाओं के अंदर देखते हैं उसके बाद कारीगर बताते हैं कि उन्हें नीचे उतरते वक्त उसकी महक से ही पता चल जाता है कि शिलाजीत इसके अंदर है। शिलाजीत मिलने के बाद कारीगर इसे बोरे में भरकर इसे ले जाते हैं और इसकी सफाई की प्रक्रिया शुरु करते हैं।
सफाई की प्रक्रिया-
शिलाजीत एक घटक के रुप में पत्थर के अंदर ही उपस्थित होता ह। कारीगर शहर जाकर इसे दुकानदारों को बेच देते हैं, जिसके बाद इसकी सफाई की प्रक्रिया शुरु होती है।
सफाई की प्रक्रिया में उन पत्थरों के छोटे टुकड़े किए जाते हैं, फिर उसे एक बाल्टी के अंदर डालकर निश्चित रुप में पानी मिलाकर बड़े चम्मच से मिक्स किया जाता है। जिससे शिलाजीत अच्छी तरह से पानी में मिल जाए। फिर कुछ घंटे बाद पानी की सतह से गंदगी को अलग किया जाता है।
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कारीगर ने बताया कि, इस पानी को करीब 1 हफ्ते तक ऐसे ही रखते हैं। फिर जब इस पानी का रंग बिल्कुल काला पड़ जाता है तो इसका मतलब होता है कि शिलाजीत पत्थरों से पूरी तरह पानी में मिल चुका है। इसके बाद एक अहम पड़ाव आता है जिसमें शिलाजीत वाले पानी से हानिकारक कणों को अलग किया जाता है।
कुछ कारीगर जल्द पैसा कमाने के लिए इस प्रक्रिया को पूरा नहीं करते। जिसमें वो पानी को 1 हफ्ता न रखकर कुछ घंटे उबाल देते हैं और उसे उबाल कर गाढ़ा करते हैं। इस तरह से शिलाजीत तैयार तो हो जाती है लेकिन उसके फायदे कम नुकसान ज्यादा होता है।
30-40 दिनों की लगती हैं मेहनत-
इसमें कारीगर करीमुद्दीन बताते हैं कि इस प्रक्रिया को पूरा होने के लिए 30 से 40 दिन लगते हैं। इसमें वो खास तरह की फिल्ट्रेशन मशीन का यूज करते हैं। जिसे उन्होंने प्रतिद्वंदियों से छिपाकर रखा है और इसे उन्होंने विदेश से मंगाया है। इस तरह से वो शुद्द शिलाजीत बनाते हैं।
करीमुद्दीन बताते हैं कि फिल्ट्रेशन के बाद शिलाजीत के पानी को शीशे से बने हुए खानों में रखा जाता है। करीब 1 महीने तक इसका पानी सूखता रहता है। उस दौरान उस बर्तन में शिलाजीत का पानी डालत रहते हैं जिससे कि वो भर जाए। इस तरह से असली शिलाजीत को तैयार किया जाता है और पैकिंग के बाद दुकानदारों को सप्लाई किया जाता है।
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ये है शिलाजीत की कीमत-
करीमुद्दीन बताते हैं कि वो शिलाजीत की हर खेप को मेडिकल टेस्ट के लिए भेजते हैं और वहां शिलाजीत के शुद्ध होने का प्रमाण मिलता है। इसमें करीब 86 तरह के खनिज पदार्थ होते हैं। इसके लिए वो 10 ग्राम शिलाजीत के लिए 300 से 600 रुपये लेते हैं। इसकी कीमत इसकी मांग के ऊपर डिपेंड करता है।
शिलाजीत का ऐसे करें इस्तेमाल-
इसे चने के दाने के बराबर गर्म दूध में मिलाकर लेना चाहिए। जिनकी उम्र 50 साल से अधिक है उन्हें इसका रोजाना 2 से 3 महीने इस्तेमाल करना चाहिए। वहीं जवान लोगों को इसका 2 दिन से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसका इस्तेमाल ब्लड प्रेशर के मरीज को बिल्कुल नहीं करना चाहिए। क्योंकि जब 86 खनिज तत्व एक साथ पेट के अंदर जाते हैं तो ब्लड प्रेशर थोड़ा बढ़ जाता है। इसके साथ ही दिल के मरीजों को भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।