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MP Elections 2023: ग्वालियर-चंबल अंचल में भाजपा-कांग्रेस में घमासान तेज, इस इलाके की भूमिका होगी निर्णायक

MP Election 2023: मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए सियासी नजरिए से काफी अहम हो गया है। यही कारण है कि चुनाव तारीखों की घोषणा से पूर्व ही दोनों दलों ने सत्ता की बाजी जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा ने पहली बार चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पूर्व ही 39 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा करके सियासी पंडितों को भी चौंका दिया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 22 Aug 2023 2:06 PM IST
MP Elections 2023: ग्वालियर-चंबल अंचल में भाजपा-कांग्रेस में घमासान तेज, इस इलाके की भूमिका होगी निर्णायक
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MP Election 2023 (Photo: Social Media)

MP Elections 2023: मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए सियासी नजरिए से काफी अहम हो गया है। यही कारण है कि चुनाव तारीखों की घोषणा से पूर्व ही दोनों दलों ने सत्ता की बाजी जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा ने पहली बार चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पूर्व ही 39 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा करके सियासी पंडितों को भी चौंका दिया है। दूसरी ओर कांग्रेस भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर शिवराज सरकार को लगातार घेरने की कोशिश में जुटी हुई है। इसके साथ ही पार्टी ने कर्नाटक की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी गारंटियों की घोषणा करके भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पूर्व की भांति इस बार भी ग्वालियर-चंबल संभाग के चुनावी नतीजे को सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मध्य प्रदेश की सियासत में ग्वालियर-चंबल अंचल को सत्ता की चाबी कहा जाता रहा है। इस इलाके के चुनावी नतीजे मध्य प्रदेश की सत्ता का फैसला करने में निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस इलाके में भाजपा को भारी झटका दिया था मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद हुए उपचुनावों में भाजपा काफी हद तक भरपाई करने में कामयाब भी रही थी। अब इस इलाके में भाजपा की चुनावी गोटी सेट करने की कमान गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल रखी है।

इलाके को माना जाता है सत्ता की चाबी

मध्य प्रदेश में ग्वालियर-चंबल संभाग को सत्ता की चाबी यूं ही नहीं कहा जाता। दरअसल इस इलाका में ताकत दिखाने वाले दल की मध्य प्रदेश में सरकार बनती रही है। 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इस इलाके में अपनी ताकत दिखाते हुए सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी। इस इलाके की 34 में से 26 सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी।

दूसरी और भाजपा को 27 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था और पार्टी सात सीटों से सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा जुटाने में फेल हो गई थी। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में राजनीति के जानकार यह कहते रहे हैं कि ग्वालियर-चंबल संभाग में बढ़त बनाने वाली पार्टी मध्य प्रदेश की सत्ता पर कागज होने में कामयाब रहती है।

शाह ने संभाल रखी है कमान

ग्वालियर-चंबल के इलाके में इस बार भी भाजपा की राह आसान नहीं मानी जा रही है। पार्टी को इस बार भी इस इलाके में कांग्रेस की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है और यही कारण है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस इलाके में कमान अपने हाथ में ले रखी है। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के दौरान गृह मंत्री शाह ने पार्टी नेताओं को जीत का मंत्र दिया और विभिन्न इलाकों में बूथ स्तर तक पार्टी को मजबूत बनाने पर जोर दिया।

पिछले चुनाव में कांग्रेस पड़ी थी भारी

पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल अंचल की 34 में से 26 सीटों पर जीत हासिल करते हुए कुल 114 सीटें जीती थीं। हालांकि कांग्रेस फिर भी बहुमत के आंकड़े से दो सीट दूर रह गई थी मगर पार्टी ने सपा,बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कमलनाथ की अगुवाई में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी।
दूसरी ओर भाजपा को इस इलाके की 27 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था और पार्टी का कुल आंकड़ा 109 सीटों पर ही सिमट गया था। इसके बावजूद भाजपा ने 2020 में बड़ा सियासी खेल करते हुए कमलनाथ को सत्ता से बेदखल कर दिया था।

उपचुनाव में भाजपा ने चुकाया हिसाब

2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कांग्रेस के 22 मंत्रियों-विधायकों ने पाला बदलते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके चलते मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। 2020 में हुए उपचुनाव में भाजपा ग्वालियर-चंबल संभाग में सात और सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही थी और इस तरह इस इलाके में पार्टी की सीटों का आंकड़ा 16 पर पहुंच गया था।
दूसरी ओर कांग्रेस को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था और पार्टी की सीटों की संख्या 26 से गिरकर 17 पर पहुंच गई थी। 2022 में भिंड के बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाहा ने पार्टी छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी और इस तरह भाजपा की सदस्य संख्या भी 17 पर पहुंच गई थी।

भाजपा को कांग्रेसी मिल रही कड़ी चुनौती

इस तरह मौजूदा समय में ग्वालियर-चंबल संभाग में भाजपा और कांग्रेस दोनों के पास 17-17 सीटें हैं। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने इस इलाके में पूरी ताकत लगा रखी है कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से की गई बगावत का इस इलाके में बदला भी चुकाने की कोशिश में जुटी हुई है।
इस कारण भाजपा को ग्वालियर-चंबल संभाग में कांग्रेस से मिलने वाली कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने इस इलाके में भाजपा की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। अब यह देखने वाली बात होगी की भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में कौन इस इलाके में भारी पड़ता है।



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Anshuman Tiwari

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