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Maharashtra Rape Case: महाराष्ट्र में महिला के साथ गैंगरेप कर मौत के घाट उतारा, तीनों आरोपी गिरफ्तार, क्यों नहीं थम रहीं
Maharashtra Rape Case: पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और तीनों इलाके के हिस्ट्रीशीटर हैं। उनकी पहचान 19 साल के राहुल संजय जाधव, 34 साल के रवि रमेश गायकवाड़ और 24 साल के सोनू के रूप में हुई है। पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी शातिर अपराधी हैं, जो हाईवे पर लूटपाट की घटना में शामिल रहे हैं।
Maharashtra Rape Case: पुलिस की सख्ती और बलात्कार के खिलाफ कड़े कानून होने के बावजूद अपराधियों के मन में डर नाम की चीज नहीं है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दिल्ली के चर्चित निर्भया कांड के एक दशक से अधिक समय होने के बावजूद आज भी महिलाएं उसी जघन्य अपराध की शिकार हो रही हैं। तब से लेकर अब तक न जाने कितनी लड़कियां हमारे समाज की निर्भया बन चुकी हैं।
ताजा मामला महाराष्ट्र के संभाजीनगर का है, जहां एक महिला का अपराधियों ने न केवल गैंगरेप किया बल्कि पत्थर से सिर कुचल कर उसकी नृशंष हत्या कर दी। आरोपियों ने महिला के शव को हाईवे किनारे फेंक कर फरार हो गए। स्थानीय लोगों की नजर जब महिला के निर्वस्त्र लाश पर पड़ी तो उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी दी।
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गिरफ्तार तीनों आरोपी हिस्ट्रीशीटर
पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और तीनों इलाके के हिस्ट्रीशीटर हैं। उनकी पहचान 19 साल के राहुल संजय जाधव, 34 साल के रवि रमेश गायकवाड़ और 24 साल के सोनू के रूप में हुई है। पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी शातिर अपराधी हैं, जो हाईवे पर लूटपाट की घटना में शामिल रहे हैं।
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पुलिस ने बताया
पुलिस ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि 32 वर्षीय पीड़िता रोज की तरह 2 अप्रैल को भी पूजा करने मंदिर गई थी। तबियत थोड़ी ठीक न लगने के कारण वह दोपहर को ही वापस घर के लिए अकेले निकल पड़ी। रास्ते में आरोपियों की नजर जब उस अकेली महिला पर पड़ी तो वे उसे खींच कर झाड़ी में ले गए। पहले उसके साथ मारपीट की और फिर बारी-बारी से उसके साथ रेप किया। फिर पत्थर से मारकर हत्या कर दी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला से गैंगरेप की पुष्टि हो चुकी है।
भारत में रेप के खिलाफ सख्त है कानून
भारत में रेप के खिलाफ बेहद कड़े कानून बनाए गए हैं। साल 2012 के चर्चित निर्भया रेपकांड के बाद इसमें और सख्ती लाई गई। भारतीय कानून के मुताबिक रेप की परिभाषा है – यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की इच्छा के विरूद्ध, उसकी सहमति के बिना, उसे डरा धमका कर, दिमागी रूप से कमजोर या पागल महिला को धोखा देकर और शराब या किसी अन्य पदार्थ के सेवन के कारण होश में नहीं होने पर उसके साथ सेक्स करता है तो वो बलात्कार की श्रेणी में आएगा।
किसी भी महिला के साथ रेप करने पर आरोपी के खिलाफ धारा 376 के तहत मुकदमा चलाया जाता है। जिसमें अपराध सिद्ध होने पर दोषी को कम से कम पांच साल व अधिकतम 10 साल तक की कड़ी सजा देने का प्रावधान है। 2012 के चर्चित निर्भया कांड के बाद संविधान संशोधन के जरिए आईपीसी की धारा 376(ई) के तहत बार-बार बलात्कार के दोषियों को उमक्रैद या फांसी की सजा का प्रावधान किया गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी अपने एक फैसले में इस कठोर की संवैधानिकता को बरकरार रखा।
चर्चित रेप और मर्डर केस
हेतल पारिख रेप केस - रेप और मर्डर के कुछ केस देश में काफी चर्चित रहे थे। 1990 का कोलकाता का हेतल पारिख रेप केस लंबे समय तक सुर्खियों में रहा था। इस मामले में अदालत द्वारा दोषी करार दिए गे धनजंय चटर्जी ने एक 14 साल की लड़की को पहले अपने हवस का शिकार बनाया, फिर उसकी हत्या कर दी। उसे 2004 में फांसी पर लटका दिया गया था।
निर्भया कांड - करीब 8 साल बाद दिसंबर 2012 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गैंगरेप और हत्या की एक ऐसी घटना घटी, जिसने लोगों को सड़कों पर उतार दिया। निर्भया कांड के नाम से चर्चित इस केस में एक 23 वर्षीय छात्रा का चलती बस में गैंगरेप हुआ था। गैंगरेप इतने वीभत्स तरीके से किया गया था कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट्स में रॉड घुसा दी गई थी।
गैंगरेप में बुरी तरह से जख्मी पीड़िता की बाद में मौत हो गई। इस मामले में आरोपी बनाए गए 6 लोगों में से एक नाबालिग था। एक आरोपी ने ट्रायल के दौरान जेल में ही खुदखुशी कर ली थी। जबकि नाबालिग 3 साल तक सुधार गृह में रहने के बाद छूट गया। बाकी के चार आरोपियों को 20 मार्च 2020 की सुबह फांसी के फंदे से लटका दिया गया।
छावला गैंगरेप केस - निर्भया कांड से पहले दिल्ली एक और लड़की के साथ हुई हैवानियत को देख चुकी थी। 2012 के फरवरी में 19 साल की लड़की का छावला इलाके से अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप किया गया और फिर उसकी नृशंष हत्या कर लाश को फेंक दिया गया। मृतका उत्तराखंड के पौड़ी की रहने वाली थी। उसके आंखों तक में तेजाब डाल दिया गया था। इस मामले में गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था। वहीं, बीते साल नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी के फैसले को पलटते हुए तीनों आरोपियों को बरी कर दिया। जिसपर खूब हंगामा बरपा था।
बलात्कार को लेकर मनोविज्ञान क्या कहता है?
मनोवैज्ञानिक रेप की घटनाओं के पीछे समाज में सालों से प्रचलित उस सोच को बताते हैं, जिसेमें पुरूषों को महिलाओं के मुकाबले अधिक महत्व दिया गया है। महिलाओं को लेकर एक आम धारणा बना दी गई हैं कि वो तो पुरूषों की जायदाद होती हैं, इसलिए वो मर्द का विरोध नहीं कर सकतीं। महिलाओं को मर्द का ताकत इस्तेमाल करना अच्छा लगता है यानी औरतें इसे मर्दानगीं समझकर मर्द की इज्जत करने लगती हैं। पुरूषों में धारणा है कि महिलाएं तो ना कहेंगी ही, आपको जबरदस्ती ना को हां में बदलना चाहिए।
मनोवैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि सेक्स के साथ हिंसा का प्राकृतिक संबंध रहा है। इसका उदाहण भाषा में प्रयोग होने वाले कुछ शब्द हैं, जैसे जीतना, हारना, समर्पण कर देना या बाजी मारना । ऐसे शब्दावली अक्सर सेक्स के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इन शब्दों से साफतौर पर बहादुरी या मर्दानगी वाली मानसिकता झलकती है।