Mumbai: फीस नहीं दे पाने पर स्कूल ने मासूम के साथ ऐसा किया बर्ताव की मां को मजबूर होकर उठाना पड़ा इतना बड़ा कदम

Mumbai: 12 साल का लड़का स्कूल तो रोजाना जाता था, लेकिन उसे क्लास में बैठने नहीं दिया जाता था, उसे कक्षा से बाहर ही बैठाया जाता था। कसूर बस इतना था कि उसके माता-पिता चार महीने से बच्चे की फीस नहीं दे पाए थे।

Ashish Pandey
Published on: 15 April 2023 5:59 PM GMT (Updated on: 15 April 2023 7:19 AM GMT)
Mumbai: फीस नहीं दे पाने पर स्कूल ने मासूम के साथ ऐसा किया बर्ताव की मां को मजबूर होकर उठाना पड़ा इतना बड़ा कदम
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mumbai school 8th student sit outside (Photo-Social Media)

Mumbai: जरा सोचिए अगर कोई बच्चा स्कूल जाए और उसे कक्षा में बच्चों के साथ न बैठा कर बाहर बैठाया जाए तो उस बच्चे और उसके परिवार पर क्या गुजरेगी। वह भी एक दो दिन नहीं लगातार चार महीने तक बच्चे को क्लास से बाहर बैठाया गया। ऐसा ही मामला देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुंबई से आया है। यहां एक 12 साल का लड़का स्कूल तो रोजाना जाता था, लेकिन उसे क्लास में बैठने नहीं दिया जाता था, उसे कक्षा से बाहर ही बैठाया जाता था। कसूर बस इतना था कि उसके माता-पिता चार महीने से बच्चे की फीस नहीं दे पाए थे।

फीस नहीं देने पाने के कारण 12 साल के एक लड़के को कथित तौर पर क्लास से बाहर बैठाने के आरोप में मुंबई के एक स्कूल के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है। गुरुवार को मुंबई पुलिस ने इस मामले की जानकारी दी। जानकारी के अनुसार लड़के की मां ने मंगलवार को उपनगरीय वकोला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें स्कूल के अधिकारियों पर उसके दो बेटों, 12 वर्षीय 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले बेटे और उसके छोटे भाई को परेशान करने का आरोप लगाया। महिला ने पुलिस को बताया कि परिवार आर्थिक तंगी के कारण अपने 12 साल के बेटे की सालाना 7,500 रुपये की फीस नहीं भर सका।

एक न्यूज एजेंसी के अनुसार महिला ने पुलिस को बताया कि उनके पति तपेदिक के मरीज थे और काम नहीं कर सकते थे। इस कारण से वो अपने 12 साल के मासूम की फीस नहीं भर पाए। महिला ने पुलिस से की शिकायत में आरोप लगाया कि पिछले चार महीने से लड़के को कक्षा के बाहर बैठाया जा रहा था क्योंकि उसने चालू शैक्षणिक वर्ष की फीस नहीं भरी थी। महिला ने आरोप लगाया कि स्कूल में दूसरा बच्चा भी पढ़ता है, उसे भी फीस का भुगतान न करने पर प्राइमरी विंग की अध्यापिका द्वारा लगातार अपमानति और भेदभावपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ा। महिला के अनुसार उसके चार बच्चे हैं जिनकी उम्र 13, 12, 11 और 6 साल है। महिला का कहना है कि वह अपने पति, ससुरालवालों और बच्चों के साथ रहती है। इनमें से 3 बच्चे सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ते हैं।

जब रोते हुए घर लौटता था मां का लाडला-

महिला ने बताया कि मेरा बेटा अक्सर स्कूल में हुए अपने अपमान के कारण रोता हुआ घर लौटता था तो काफी दुख होता था। महिला ने बताया कि स्कूल द्वारा बच्चों को जनवरी में यूनिट टेस्ट में भी शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी। अधिकारी ने कहा कि इस मामले में दो शिक्षकों और एक स्कूल अधिकारी के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम, 2000 की धारा 23 (बच्चे के प्रति क्रूरता) के तहत मामला दर्ज किया गया था और जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि अभी मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

Ashish Pandey

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