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Meerut News: काली नदी किनारे एक हजार कदम चले नदी प्रेमी, संरक्षण की ली शपथ

Meerut News: इसका आयोजन भारतीय नदी परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नदी पुत्र रमन कान्त ने किया।

Sushil Kumar
Published on: 14 March 2023 9:13 PM GMT
Meerut News: काली नदी किनारे एक हजार कदम चले नदी प्रेमी, संरक्षण की ली शपथ
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Meerut News: अंतरराष्ट्रीय नदी कार्यवाही दिवस के अवसर पर मंगलवार को मेरठ में जिलाधिकारी दीपक मीणा के नेतृत्व में चलो चलें नदी के साथ, एक हजार कदम नदी के लिए संदेश के साथ मवाना क्षेत्र के ग्राम सैनी से पूर्वी काली नदी किनारे पदयात्रा की गई। इसका आयोजन भारतीय नदी परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नदी पुत्र रमन कान्त ने किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने काली नदी पर बन रहे चेकडैम का भी निरीक्षण किया। इस दौरान लोगों को नदी के संरक्षण के लिए प्रेरित किया गया।

मुहिम में शामिल भारतीय नदी परिषद सीईओ रमन कांत, राजीव त्यागी, लघु सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता मोहन प्रकाश पासवान शामिल हुए। इस दौरान किसानों के साथ ही क्षेत्रीय लोगों को काली नदी के संरक्षण के लिए आगे आने तथा इसे सदा नीरा बनाने में सहयोग देने की अपील के साथ उन्हें नदी-जल संरक्षण के लिए प्रेरित भी किया।

50 साल पहले तक अत्यंत स्वच्छ व निर्मल जल प्रवाहित होता था-

इस मौके पर राजीव त्यागी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदी ‘गंगा’ की एक सहायक नदी है, जो कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा तथा फर्रुखाबाद जिलों से होकर बहती है तथा कन्नौज से कुछ पहले ही पवित्र ‘गंगा’ नदी में जाकर मिल जाती है। राजीव त्यागी के अनुसार ‘पूर्वी काली नदी’ आज से लगभग 50 साल पहले तक अत्यंत स्वच्छ व निर्मल जल प्रवाहित करती थी, किन्तु पिछले कुछ दशकों में इसके आस-पास स्थित गांवों, कस्बों, शहरों व उद्योगों से निकलने वाले गैर-शोधित कचरे के नदी में मिलने से इसका जल आज दूषित हो गया है। पूर्वी काली नदी में प्रदूषण का स्तर यह है कि इस नदी के जल का सेवन करने से आस-पास के क्षेत्रों के लोग कैंसर जैसे गंभीर रोगों की चपेट में आ रहें हैं।

तब तक गंगा नदी को भी स्वच्छ नहीं किया जा सकता

राजीव त्यागी ने बताया कि ‘नीर फाउंडेशन’ पूर्वी काली नदी के उद्धार व इसे प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर कई कार्य कर रही है व भविष्य में हालांकि इसके लिए प्रशासन द्वारा बराबर सहयोग किया जाना भी आवश्यक है। जब प्रशासन इस ओर गंभीर होगा तभी काली नदी में गांवों, शहरों, कस्बों व उद्योगों से निकलने वाली गंदगी तथा नालों व सीवर के पानी को इसमें गिरने से रोका जा सकेगा तथा तभी काली नदी का जल पहले की भांति स्वच्छ, पवित्र, निर्मल व प्रदूषण मुक्त हो सकेगा।

सिर्फ पूर्वी काली नदी ही बल्कि सरकार को मुख्य नदियों के साथ-साथ सभी सहायक नदियों की स्थिति की ओर भी समान रूप से ध्यान देना चाहिए, क्योंकि जब तक सहायक नदियां स्वच्छ नहीं होंगी तब तक ‘गंगा नदी’ को भी स्वच्छ नहीं बनाया जा सकता।

Sushil Kumar

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