TRENDING TAGS :
Meerut News: चुनावी वादे हैं, वादों का क्या, चंडीगढ़ और बंगलुरु जैसा शहर बनाने का वादा भूल, अब कर रहे शहर का इंदौर की तर्ज
UP NIkay Chunav 2023: 2012 के नगर निगम चुनाव में मेरठ शहर को चंडीगढ़ और बंगलुरु जैसा बनाने का वादा करने वाले बीजेपी के वर्तमान मेयर उम्मीदवार हरिकांत अहलूवालिया इस चुनाव में मेरठ शहर का इंदौर की तर्ज पर विकास कराने का वादा कर रहे हैं
Meerut News: राजनीतिक दलों के लोग शायद जनता को भुलक्कड़ समझते हैं। यही वजह रही होगी कि 2012 के नगर निगम चुनाव में मेरठ शहर को चंडीगढ़ और बंगलुरु जैसा बनाने का वादा करने वाले बीजेपी के वर्तमान मेयर उम्मीदवार हरिकांत अहलूवालिया इस चुनाव में मेरठ शहर का इंदौर की तर्ज पर विकास कराने का वादा कर रहे हैं। यह अलग बात है कि 2012 के चुनाव में शहर को चंडीगढ़ और बंगलुरु जैसा बनाने का वादा करने वाले हरिकांत अहलूवालिया मेरठ शहर को चंडीगढ़ और बंगलुरु जैसा तो दूर की बात है स्मार्ट तक नहीं बना सके।
Also Read
जनसमस्याओं से नागरिकों को नहीं मिली है निजात
आज भी जर्जर सडक़ें, नाले, जलभराव और जाम की समस्या से शहरवासियों को मुक्ति नहीं मिल सकी है। जिसको 2012 के चुनाव के दौरान अहलूवालिया शहर के लिए कैंसर बताते नहीं थकते थे। इस बारे में हरिकांत ज्यादा कुछ नहीं कहते हुए इतना ही कहते हैं कि केंद्र और प्रदेश में विपक्ष होने के बावजूद उनकी ओर से जनता के लिए काम किया गया। हरिकांत अहलूवालिया 2012 से 2017 तक के अपने मेयर कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहते हैं- ‘उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी और आजम खान नगर विकास मंत्री हुआ करते थे। आजम खान ने भाजपा के किसी भी महापौर को तवज्जो नहीं दी थी। इसके बावजूद उन्होंने मेरठ में विकास कार्य कराने में कोई कमी नहीं छोड़ी।’ बकौल,हरिकांत अहलूवालिया ‘मेरे द्वारा 2012 से 2017 तक के कार्यकाल में 4399 गलियां बनवाई हैं। महानगर की अधिकतर गलियों में टाइल्स और लाइट लगवाई हैं।’
‘अब करेंगे मेरठ में पूरा डेवलपमेंट’
हरिकांत अहलूवालिया कहते हैं ‘अब तो केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है। ऐसे में सबका साथ सबका विकास के साथ मेरठ में डेवलपमेंट करेंगे।’ उन्होंने विश्वास जताया कि मेरठ की जनता उन्हें एक बार फिर मेयर पद का दायत्वि देगी। बहरहाल,वादे करके उन्हें भूल जाने वाले हरिकांत अहलूवालिया अकेले ऐसे राजनीतिक दल के नेता नहीं हैं। नगर निगम के अभी तक के इतिहास पर नजर डालें तो चुनाव में किए गए वादों पर कोई भी खरा नहीं उतर सका है। यही कारण है कि मेरठ शहर के बाशिन्दों के लिए पेयजल,सीवर,साफ-सफाई,जलभराव रोज़ का जाम, कुप्रशासन और दैनिक सुविधाओं का अभाव पहले भी सबसे बड़ी समस्या थी और आज भी है। लेकिन हैरत और अफसोस की बात यही है कि चुनावों के दौरान या अन्यथा भी वर्तमान राजनीतिक विमर्श में इन मुद्दों की कोई ख़ास चर्चा नहीं है।