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लकीरें खींच कर 'चेहरे' को जिंदा कर देते हैं माथुर साहब
लिखावट में सजावट का जिक्र जब जब किया जाएगा तो अपने माथुर साहब का नाम लिए बगैर गिनती पूरी नहीं होगी। बीकानेर वाले मुरली मनोहर माथुर को जब भगवान ने हुनर दिया तो दिल खोल कर दिया। माथुर साहब और राजस्थान कृषि् विश्वविद्यालय और पशुविज्ञान विश्वविद्यालय का तो ऐसा नाता है कि उनके बिना इस विवि का इतिहास ही अधूरा रह जाएगा।
लिखावट में सजावट का जिक्र जब जब किया जाएगा तो अपने माथुर साहब का नाम लिए बगैर गिनती पूरी नहीं होगी। बीकानेर वाले मुरली मनोहर माथुर को जब भगवान ने हुनर दिया तो दिल खोल कर दिया। माथुर साहब और राजस्थान कृषि् विश्वविद्यालय और पशुविज्ञान विश्वविद्यालय का तो ऐसा नाता है कि उनके बिना इस विवि का इतिहास ही अधूरा रह जाएगा। वो इसलिए कि मुरली मनोहर माथुर ने 1500 से अधिक डिग्रियों को अपनी खूबसूरत लिखावट से सजाया है।
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माथुर साहब का खाता यहीं बंद नहीं होता है। इन्होंने 100से अधिक नामचीन हस्तियों के रेखाचित्र को अपने हाथ से बनाया है और भेंट किया है। डिग्री पूरी हो जाने के बाद छात्र जब हाथों में अपने मेहनत की पूंजी पकड़ते थे तो उसकी लिखावट सज्जा को वो अपलक निहारते रहते थे। माथुर साहब के जिंदगी का ये वो दौर था जब 1989 से 1995 जब कंप्यूटर से प्रिंटिंग शुरू नहीं हुई थी। उस समय मुरली मनोहर माथुर जी ने सबसे ज्यादा मेहनत उन डिग्रियों पर की जो सिर्फ गोल्ड मेडल पाने वाले विद्यार्थियों को नसीब था।
उस दौर में बीएससी और एमएससी में गोल्ड मेडल पाने वाले छ़ात्रों के दिलों दिमाग में माथुर साहब ने वो छाप छोड़ी जिसे वो आज तक भूल नहीं पाए है।वैसे तो माथुर साहब रेलवे में चीफ डिजाइनर के पद से सेवानिवृत्त हो गए हैं।
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ये तो थी लिखावट की बात। इसके आगे एक और हुनर के मालिक हैं माथुर साहब। वो है रेखचित्र बनाने का। कुछ तो कुदरती था तो कुछ उन्होंने पुणे,मुंबई,और लंदन आर्ट की पढ़ाई करके महारत हासिल कर लिया। फिर क्या था जिस पर उनका दिल आया उन्होंने उसका चित्र खींच दिया।
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माथुर साहब की इस इस कला ने लो्गों के बीच उनको सबका मुरीद बना दिया। पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन और डॉ राधाकृष्णन पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी राजस्थान पूर्व मुख्यमंत्री सुन्दर लाल सुखड़िया के साथ साथ सुनील दत्त् और वहीदा रहमान जैसी 100 से अधिक हस्तियों को माथुर साहब रेखचित्र भेंट कर चुके हैं।
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माथुर साहब की एक और खास बात चलते चलते आपसे चुगली कर दूं कि वो भेद भाव से बिल्कुल अछूते हैं। आज भी उनसे लोग स्कूल कालेज की डिग्रियां, प्रशस्ति पत्र, अभिनंदन पत्र, शादी के कार्ड, विजिटिंग कार्ड और अन्य दस्तावेजों को उनके हाथों से लिखवाते रहते हैं।