×

जल्द नहीं खत्म होगा कोरोना वायरस, जंग जीतने के लिए अपनाना होगा यह तरीका

पूरी दुनिया में कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस के संबंध में विभिन्न देशों में तरह-तरह के अध्ययन किए जा रहे हैं। इस वायरस के संबंध में किए गए एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बीमारी इतना जल्दी इंसानों का पीछा नहीं छोड़ने वाली है।

Dharmendra kumar
Published on: 23 May 2020 9:54 PM IST
जल्द नहीं खत्म होगा कोरोना वायरस, जंग जीतने के लिए अपनाना होगा यह तरीका
X

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस के संबंध में विभिन्न देशों में तरह-तरह के अध्ययन किए जा रहे हैं। इस वायरस के संबंध में किए गए एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बीमारी इतना जल्दी इंसानों का पीछा नहीं छोड़ने वाली है। यह महामारी लंबे समय तक दुनिया में लोगों के जीवन का हिस्सा बनी रहेगी। ऐसे में इस बीमारी से लड़ने का तौरतरीका और ढंग बदलना जरूरी है।

पूरी दुनिया में वायरस का कहर

दरअसल दुनिया में इस बीमारी पर उम्मीद के मुताबिक नियंत्रण मिलता नहीं दिख रहा है। पिछले 24 घंटे के दौरान ही दुनिया में कोरोना वायरस के संक्रमण के रिकॉर्ड एक लाख नए मामले सामने आए हैं। अमेरिका इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है और वहां 16 लाख से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 97 हजार से अधिक लोगों की यह वायरस जान ले चुका है। शुरुआत में जब बीमारी किसी देश में दस्तक देती थी तो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए सभी लोगों की पहचान कर उनकी जांच की जाती थी। इससे कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कहा जाता है मगर अब इसे गैरजरूरी और असंभव माना गया है।

यह भी पढ़ें...सामूहिक रुप से किए प्रयास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं: सतीश चन्द्र द्विवेदी

कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जरूरत नहीं

साइंस जनरल लांसेट इनफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के जरिए बीमारी की पहचान और रोकथाम अब काफी कठिन होने लगी है। इसलिए टेस्टिंग की रणनीति में बदलाव लाना जरूरी है।

रैंडम टेस्टिंग किया जाना जरूरी

रिपोर्ट में कहा गया है कि धीरे-धीरे वायरस के प्रति इंसानी शरीर में हर्ड इम्यूनिटी पैदा होगी और इसका आकलन रैंडम टेस्टिंग से ही हो सकता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आर्थिक गतिविधियों को रोकने की भी जरूरत नहीं है और उन गतिविधियों को जारी रखते हुए भी इसे किया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक हर 14 दिनों में ऐसी रेंडम टेस्टिंग हर स्थान पर होने से बीमारी के फैलाव का वास्तविक आकलन किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक कोरोना की कोई वैक्सीन या टीका नहीं बनाया जा सका है। ऐसी स्थिति में बड़े स्तर पर कई तरीके से टेस्टिंग ही इस वायरस के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र हथियार है।

यह भी पढ़ें...कौन फैला रहा है कोविड-19 का जहर

बड़े पैमाने पर हो टेस्टिंग

रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की जरुरत पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीमार लोगों की आरटीपीसीआर टेस्टिंग की जानी चाहिए। इसके साथ ही जो लोग बिना उपचार के ठीक हो चुके हैं उनकी पहचान के लिए आईजीजी तथा आईजीएम एंटीबॉडी टेस्टिंग की जानी चाहिए। इस वायरस के खिलाफ जंग जीतने के लिए आबादी के समूहों की रेंडम टेस्टिंग भी किए जाने की जरूरत है।

यह भी पढ़ें...अब चीन कर रहा है ये काम, नाप रहा है एवरेस्ट की ऊंचाई, जानें क्यों

ऐसे हो सकेगा बीमारी का आकलन

रिपोर्ट में कहा गया है कि चार में से एक व्यक्ति की टेस्टिंग से बीमारी का आकलन करना संभव होगा तथा इसके फैलाव पर नियंत्रण पाया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वायरस का फैलाव इतना ज्यादा हो चुका है कि नई रणनीति के जरिए ही इस पर विजय हासिल की जा सकती है।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story