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अवसाद और घबराहट के मरीज बढ़े, 12 फीसदी भारतीयों को नहीं आ रही नींद
दुनिया भर में कोरोना के असर को लेकर तरह-तरह के अध्ययन किए जा रहे हैं और इनमें अलग-अलग बातें निकलकर सामने आ रही हैं। इन अध्ययनों में पता चला है कि दुनिया भर में अवसाद और घबराहट के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना के असर को लेकर तरह-तरह के अध्ययन किए जा रहे हैं और इनमें अलग-अलग बातें निकलकर सामने आ रही हैं। इन अध्ययनों में पता चला है कि दुनिया भर में अवसाद और घबराहट के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इस बाबत भारत में किए गए अध्ययन से पता चला है कि 40 फीसदी लोगों का दिमाग इस महामारी के बारे में सोचने पर स्थिर हो जाता है जबकि 12 फीसदी लोग ऐसे हैं जिन्हें इस महामारी के डर से नींद न आने की समस्या पैदा हो गई है।
लोग यहां तक उठाने लगे कदम
अभी हाल में पंजाब के फगवाड़ा जिले से कोरोना के डर से एक बुजुर्ग महिला के सुसाइड करने की खबर सामने आई थी। 65 वर्षीय संतोष कौर नामक इस महिला की बेटी बलजीत कौर का कहना था कि न्यूज़ चैनलों पर कोरोना संबंधी खबरें देख-देखकर उनके दिमाग में भी कोरोना के संक्रमण का डर बैठ गया था और इसी कारण उन्होंने सुसाइड कर लिया। केरल में लॉकडाउन के कारण शराब न मिलने पर 100 घंटे के भीतर सात लोगों के सुसाइड करने की खबर आई थी। इसके बाद सरकार ने शराब के आदी लोगों के लिए डॉक्टर की पर्ची लाने पर शराब खरीदने की मंजूरी दी थी।
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कोरोना संक्रमित होने के डर से शिकायतें बढ़ीं
वैसे कोरोना के डर से देश में सुसाइड के मामले तो इतने ज्यादा नहीं हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि कोरोना का असर लोगों में तनाव और घबराहट के रूप में जरूर दिख रहा है। जानकारों के मुताबिक कोराना संक्रमित होने के डर से लोगों में घबराहट और अवसाद बढ़ने की शिकायतें मिली हैं। लॉकडाउन के कारण भी लोगों की मानसिक स्थिति पर काफी असर पड़ा है। क्वारंटाइन सेंटरों पर रखे गए लोगों की तो हालत और ज्यादा ही खराब है।
भारतीयों में नींद न आने की समस्या
एशियन जर्नल आफ सायकइट्री में छपे एक अध्ययन के मुताबिक कोरोना वायरस से भारत के लोगों में भी डिप्रेशन की भावना बढ़ रही है। इस अध्ययन में 18 से ज्यादा उम्र के 662 लोगों की मनोस्थिति के आधार पर नतीजे निकाले गए हैं। अध्ययन में बताया गया है कि 12 फीसदी लोगों का कहना है कि उनके मन में कोरोना वायरस इस कदर बैठ गया है कि उन्हें नींद नहीं आती। 40 फीसदी लोगों का कहना है कि कोरोना की महामारी के बारे में सोचने पर उनका दिमाग अस्थिर हो जा रहा है। 72 फीसदी लोगों का कहना था कि महामारी के कारण उन्हें हमेशा अपनी और परिवार की चिंता घेरे रहती है। अध्ययन के मुताबिक 41 फीसदी लोगों का यह मानना है कि ग्रुप में किसी के बीमार होने पर उनकी भी घबराहट बढ़ जाती है।
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डब्ल्यूएचओ ने भी मानी यह बात
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अलग-अलग यूनिवर्सिटी की स्टडी और मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट्स से पता चलता है कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण लोगों में अवसाद बढ़ रहा है। इससे निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ ने तो लोगों को यहां तक सलाह दी है कि वे चिंता और घबराहट बढ़ाने वाली खबरों को देखना और पढ़ना बंद कर दें।
बदल रहा है लोगों का व्यवहार
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बात स्वीकार की थी कि कोरोना का डर और लॉकडाउन के कारण लोगों के मानसिक और व्यावहारिक तौर तरीकों में बदलाव की खबरें मिल रही हैं। लोगों में बढ़ रही इन शिकायतों के बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस (निमहान्स) की ओर से एक हेल्पलाइन नंबर (0804610007) जारी किया गया है। घबराहट होने पर इस टोल फ्री नंबर पर डॉक्टरों से सुझाव लिए जा सकते हैं।
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अमेरिका के सर्वे में यह हुआ खुलासा
अमेरिका में भी किए गए एक सर्वे में लोगों में डिप्रेशन बढ़ने की बात पता चली है। यहां 45 फीसदी लोगों का कहना है कि कोरोना के कारण उनकी मानसिक स्थिति को नुकसान हुआ है। केज फैमिली फाउंडेशन के सर्वे में यह खुलासा हुआ है। इसी तरह वाशिंगटन पोस्ट और एबीसी न्यूज़ पोल के सर्वे में भी 61 फीसदी पुरुषों और 77 फीसदी अमेरिकी महिलाओं में कोरोना वायरस से तनाव और घबराहट का पता चला है। अमेरिका में लोगों को इससे बचाने के लिए हेल्पलाइन नंबर के साथ ही एडवाइजरी भी जारी की गई है।
ब्रिटेन में भी डिप्रेशन के मामले बढ़े
यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड और अल्सटर यूनिवर्सिटी की स्टडी में खुलासा किया गया है कि ब्रिटेन में भी लोगों में डिप्रेशन और घबराहट बढ़ रही है। इस स्टडी के मुताबिक लॉकडाउन के ऐलान के एक दिन पहले तक ऐसे लोगों का प्रतिशत क्रमश: 16 और 17 था, लेकिन लॉकडाउन के दूसरे दिन ही 38 फीसदी लोगों में डिप्रेशन और 36 फीसदी लोगों में घबराहट पैदा होने का पता चला।
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डर के कारण बढ़ रही घबराहट
कोरोना वायरस से जंग विजय पाने के लिए इस समय दुनिया की एक तिहाई जनसंख्या घरों में कैद है। लोगों को अपनी नौकरी जाने, खुद और परिवार के लोगों को कोरोना होने और तमाम अन्य तरीकों का डर सता रहा है। जानकारों का कहना है कि इसी कारण लोगों में मानसिक अवसाद और घबराहट बढ़ रही है।