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राम मंदिर और बीजेपी को धार देने वाले नेता पार्टी के लिए अब किसी लायक नहीं

पिछले कई लोकसभा चुनावों में बीजेपी राम मंदिर के बिना मैदान में नहीं उतरती थी। इस बार भी कुछ ऐसा ही था। लेकिन, पुलवामा हमले के बाद से बीजेपी का एजेंडा बदल गया है।

Rishi
Published on: 1 April 2019 10:30 AM GMT
राम मंदिर और बीजेपी को धार देने वाले नेता पार्टी के लिए अब किसी लायक नहीं
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लखनऊ : पिछले कई लोकसभा चुनावों में बीजेपी राम मंदिर के बिना मैदान में नहीं उतरती थी। इस बार भी कुछ ऐसा ही था। लेकिन, पुलवामा हमले के बाद से बीजेपी का एजेंडा बदल गया है। अब बात होती है राष्ट्रवाद की। पार्टी को युवा बनाने की। मोदी काल में बीजेपी बदल चुकी है। राम मंदिर आंदोलन के दिग्गज अब अस्तांचल की तरफ देख रहे हैं।

क्या से क्या हो गया देखते-देखते

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एलके आडवाणी

राम मंदिर आंदोलन के नायक रहे लालकृष्ण आडवाणी को पार्टी ने इसबार टिकट के लायक नहीं समझा। आडवाणी की गांधीनगर सीट से अमित शाह मैदान में हैं।

मुरली मनोहर जोशी

मुरली मनोहर जोशी का भी टिकट पार्टी या ये कहना अधिक सही रहेगा कि अध्यक्ष अमित शाह ने काट दिया है। इस बार उनकी जगह कानपुर से सत्यदेव पचौरी मैदान में हैं। बाबरी विध्वंस के समय बीजेपी अध्यक्ष थे मुरली मनोहर जोशी।

कल्याण सिंह

कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल हैं. इसलिए वो चुनावी मैदान में नहीं उतर सकते हैं। उनके कार्यकाल में ही बाबरी विध्वंस हुआ था।

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उमा भारती

उमा भारती इस बार चुनाव लड़ने से मना कर चुकी हैं। पिछले चुनाव में वो झांसी से सांसद चुनी गई थी।

विनय कटियार

विनय कटियार का नाम लिए बिना राम मंदिर की बात अधूरी रहती है। विनय तीन बार फैजाबाद से सांसद चुने गए। उनका नाम भी किसी लिस्ट में नहीं है।

कलराज मिश्रा

कलराज मिश्रा पिछले लोकसभा चुनाव में देवरिया संसदीय सीट से जीते थे और सरकार में मंत्री बने थे। इसबार वो भी चुनावी मैदान में नहीं होंगे।

इनके साथ ही स्वामी चिन्मयानंद और राम विलास वेदांती भी राम मंदिर आंदोलन के बड़े नाम रहे हैं। लेकिन बीजेपी ने इन्हें भी टिकट लायक नहीं समझा।

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चलते-चलते ये सुनना तो बनता है ?

Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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