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Lok Sabha Election 2019: आसान नहीं है कांग्रेस के लिए लोकसभा का दूसरा द्वार

लोकसभा के दूसरे चरण में कांग्रेस भले ही अपने को बेहद मजबूत मान रही हो, लेकिन सच्चाई ठीक इसके बिपरीत है। यदि पिछले चुनाव के आंकड़ों को देखें, तो 18 अप्रैल को जिन सीटों पर मतदान होने जा रहा है, उन सीटों पर कांग्रेस चारो खाने चित हो गयी थी।

Anoop Ojha
Published on: 12 April 2019 10:06 PM IST
Lok Sabha Election 2019: आसान नहीं है कांग्रेस के लिए लोकसभा का दूसरा द्वार
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धनंजय सिंह

लखनऊ: लोकसभा के दूसरे चरण में कांग्रेस भले ही अपने को बेहद मजबूत मान रही हो, लेकिन सच्चाई ठीक इसके बिपरीत है। यदि पिछले चुनाव के आंकड़ों को देखें, तो 18 अप्रैल को जिन सीटों पर मतदान होने जा रहा है, उन सीटों पर कांग्रेस चारो खाने चित हो गयी थी। इस बार कांग्रेस पुनः अकेले चुनावी मैदान में है। इस बार कांग्रेस, सपा-बसपा गठबंधन और बीजेपी मैदान में है।

इन सीटों पर इस बार त्रिकोड़ात्मक मुकाबला के आसार जताया जा रहे है।अब 18 अप्रैल को उत्‍तर प्रदेश की 8 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। आठ में से बसपा 6 सीटों पर चुनावी मैदान में है और सपा-आरएलडी एक-एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस सभी आठ सीटों पर चुनावी मैदान में किस्मत अजमा रही है। दूसरे चरण में नगीना, अमरोहा, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा और फतेहपुर सीकरी सीट पर वोट डाले जाएंगे।

इस चरण में मुकाबला मायावती बनाम नरेंद्र मोदी के बीच होने जा रहा है। हालांकि इसी दौर में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर और बीजेपी की हेमा मालिनी की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है।

नगीना

नगीना लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के आरक्षित है। यहां से कांग्रेस ने पूर्व आईएस आरके सिंह की पत्नी ओमवती पर दांव लगाया है। बसपा के गिरीश चंद्र मैदान में है, जबकि बीजेपी ने मौजूदा सांसद यशवंत सिंह को उतारा है। इस सीट पर गठबंधन और कांग्रेस दोनों की नजर दलित और मुस्लिम वोटों पर है, जबकि बीजेपी राजपूत और गैर जाटव दलित के साथ-साथ जाट मतदाताओं को अपने पाले में रखकर दोबारा से जीत का परचम फहराना चाहती है।

अमरोहा

अमरोहा लोकसभा सीट से कांग्रेस ने पहले वरिष्‍ठ नेता राशिद अल्वी को टिकट दिया था लेकिन उनके मना करने के बाद सचिन चौधरी को मैदान में उतारा है। बीएसपी ने जेडीएस से आए कुंवर दानिश पर दांव लगाया है। वहीं, बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर पर भरोसा जताया है। अमरोहा सीट पर करीब 5 लाख मुस्लिम, 2.5 लाख दलित, 1 लाख गुर्जर, 1 लाख कश्यप, 1.5 लाख जाट और 95 हजार लोध मतदाता हैं।

बीएसपी उम्‍मीदवार कुंवर दानिश मुस्लिम, दलित और जाट के सहारे जीत दर्ज करना चाहते हैं। जबकि बीजेपी के कंवर सिंह तंवर गुर्जर, कश्यप, लोध और जाट मतदाताओं के जरिए दोबारा से जीतने ख्वाब देख रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने भी सचिन चौधरी को मैदान में उतारकर उनकी राह मुश्किल कर दी है।

बुलंदशहर

बुलंदशहर सीट पर कांग्रेस ने पूर्व विधायक बंसी सिंह पहाड़िया को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने योगेश वर्मा को उतारा है, जबकि बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद भोला सिंह पर फिर भरोसा जताया है। बीजेपी ने 2014 में इस सीट पर करीब चार लाख मतों से जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार के राजनीतिक समीकरण काफी बदले हुए नजर आ रहे हैं।

ऐसे में बीजेपी के लिए दोबारा से जीतना आसान नहीं दिख रहा है। बुलंदशहर सीट पर करीब 1.5 लाख ब्राह्मण, 1 लाख राजपूत, 1 लाख यादव, 1 लाख जाट, 3.5 लाख दलित, 2.5 लाख मुस्लिम और 2 लाख लोध मतदाता हैं। बसपा के योगेश वर्मा मुस्लिम और यादव के साथ दलित मतों को भी साधने में जुटे हैं। वहीं, भोला सिंह लोध, ब्राह्मण, राजपूत मतों के सहारे जीत दोहराना चाहते हैं, लेकिन बुलंदशहर के ब्राह्मण नेता गुड्डु पंडित ने जिस तरह से ऐन वक्त पर बसपा का दामन थामा है वह ब्राह्मणों के वोट में सेंध लगा सकते हैं। कांग्रेस ने पूर्व विधायक बंसी सिंह पहाड़िया का यहाँ के दलित मतदाताओं में अच्छी पकड़ है, उसी के बल पर 2012 में विधायक बने थे। कांग्रेस ने पहाड़िया को उतारकर गठबंधन को वोट बैंक में सेंध लगाने का काम किया है।

अलीगढ़

अलीगढ़ लोकसभा सीट के सियासी पिच पर कांग्रेस ने चौधरी बिजेन्द्र सिंह को, बीजेपी ने मौजूदा सांसद सतीश गौतम और बसपा गठबंधन ने अजीत बालियान बैटिंग के लिए उतारा है। सियासत के ये तीनों खिलाड़ी मझे हुए हैं और एक दूसरे कम नहीं हैं। जातीय समीकरण के लिहाज से देखें तो यादव, ब्राह्मण, राजपूत और जाट के करीब डेढ़-डेढ़ लाख वोट हैं। जबकि दलित 3 लाख और 2 लाख के करीब मुस्लिम मतदाता हैं। बसपा और कांग्रेस दोनों ने जाट उम्मीदवार उतारे हैं तो बीजेपी ने राजपूत पर दांव खेला है।

हाथरस

हाथरस लोकसभा सीट से कांग्रेस की ओर से त्रिलोकीराम दिवाकर को उतारा है। वहीं, बीजेपी से राजवीर सिंह बाल्मीकि और सपा की साइकिल पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन सवार हैं । इस सीट जाटों का प्रभाव है. इस सीट पर करीब 3 लाख जाट, 2 लाख ब्राह्मण, 1.5 लाख राजपूत, 3 लाख दलित, 1.5 लाख बघेल और 1.25 लाख मुस्लिम मतदाता हैं।

आगरा

आगरा लोकसभा सीट सुरक्षित है। इस सीट पर कांग्रेस ने प्रीता हरित, बीजेपी ने एसपी सिंह बघेल और बसपा ने मनोज सोनी को मैदान में उतारा है। बीजेपी के एसपी बघेल सपा और बसपा में रह चुके हैं, ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं में अच्छी खासी पकड़ है। हालांकि बसपा का ये पुराना इलाका रहा है ऐसे में बसपा को भी इस क्षेत्र से बड़ी उम्मीदें है, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। ऐसे में उनका भी अपना एक आधार है।

मथुरा

मथुरा लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने महेश पाठक को उम्मीदवार बनाया है जबकि आरएलडी ने इस सीट पर कुंवर नरेंद्र सिंह और बीजेपी ने एक बार फिर हेमा मालिनी को उतारा है। यह सीट जाट बहुल मानी जाती है। यहां करीब 4 लाख जाट समुदाय के मतदाता हैं। जबकि 2.5 लाख ब्राह्मण और 2.5 लाख राजपूत वोटर भी हैं। इतने ही दलित मतदाता हैं और ढेड़ लाख के करीब मुस्लिम हैं। ऐसे में अगर आरएलडी उम्मीदवार राजपूत के साथ-साथ जाट मुस्लिम और दलितों को साधने में कामयाब रहते हैं तो बीजेपी के लिए ये सीट जीतना लोहे की चने चबाने जैसा हो जाएगा।

फतेहपुर सीकरी

फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर मैदान में है। यह सीट गठबंधन के तहत बसपा के खाते में गई है। बसपा ने यहां से गुड्डू पंडित को उतारा है, जबकि बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद बाबूलाल चौधरी का टिकट काटकर राजकुमार चहेर को दिया है। वहीं यहां तीनों पार्टियों के उम्मीदवार काफी मजबूत माने जा रहे हैं, जबकि राजबब्बर 2004 में यहाँ से संसद चुने जा चुके है। 2009 में दुबारा इस सीट पर लड़े, किन्तु दूसरे स्थान पर रहे। ऐसे में त्रिकोणीय लड़ाई होने की संभावना दिख रही है।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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