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लोकसभा चुनाव में कौनसा गठबंधन ज्यादा मजबूत, UPA-NDA या कोई और !

लोकसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। राजनीतिक दल गठबंधन करने में लगे हुए हैं। मजे की बात ये है कि गठबंधन करने के दौरान विचारधारा कहीं कोने में डाल दी गई है। जबकि ये दल ढोल विचारधारा का ही पीटते हैं। यूपीए क्षेत्रीय दलों के भरोसे बीजेपी या ये कहा जाए कि नरेंद्र मोदी को मात देना चाहता है।

Rishi
Published on: 11 March 2019 3:54 PM IST
लोकसभा चुनाव में कौनसा गठबंधन ज्यादा मजबूत, UPA-NDA या कोई और !
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नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। राजनीतिक दल गठबंधन करने में लगे हुए हैं। मजे की बात ये है कि गठबंधन करने के दौरान विचारधारा कहीं कोने में डाल दी गई है। जबकि ये दल ढोल विचारधारा का ही पीटते हैं। यूपीए क्षेत्रीय दलों के भरोसे बीजेपी या ये कहा जाए कि नरेंद्र मोदी को मात देना चाहता है। वहीं बीजेपी भी एनडीए का कुनबा बढ़ाने में लगी है। वहीं कुछ पार्टी ऐसी भी हैं जो स्वयं सरकार बनाने की जुगत में हैं। फिलहाल आप जानिए अभीतक कौन किस खेमे में जा चुका है। लेकिन इसे अंतिम मत मानिए क्यों राजनीति में कुछ भी कभी भी हो सकता है।

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एनडीए

जेडीयू

पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू को दो सीटें मिली। राजद और कांग्रेस के साथ बिहार की सत्ता पर काबिज हुए नीतीश कुमार का जब लालू प्रसाद यादव मनमुटाव हुआ तो वो एनडीए में शामिल हो गए।

एआईएडीएमके

पिछले चुनाव में इन्हें तमिलनाडु में 37 सीट मिली। जयललिता के बाद पार्टी काफी कमजोर पड़ चुकी है। एआईएडीएमके नेताओं को लगता है कि एनडीए के साथ वो अपनी पकड़ राज्य में बरकरार रखने में कामयाब हो सकती है।

पीएमके

यूपीए का भी हिस्सा रही पीएमके इस समय एनडीए का हिस्सा है। पिछले चुनाव में पार्टी को 1 सीट मिली थी।

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शिवसेना

बीजेपी की पुरानी साथी शिवसेना का रिश्ता काफी खट्टा-मीठा रहा है। बीजेपी और शिवसेना के लिए माना जाता है कि जबतक राज्य में एक हैं मजबूत हैं। पिछले चुनाव में शिवसेना को 18 सीट मिली थीं।

शिरोमणि अकाली दल

अकाली 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव हारे। पिछले चुनाव में इन्हें चार सीटें मिली थीं।

एलजेपी

बिहार में पिछले चुनाव में एलजेपी को 6 सीट मिली। एलजेपी कभी एनडीए में रहती है तो कभी यूपीए में रहती है।

यूपीए

राजद

लालू प्रसाद यादव की राजद इस समय मुश्किलों में घिरी हुई है, पार्टी सुप्रीमो जेल में हैं परिवार बिखरा हुआ है। पिछले चुनाव में इन्हें 4 सीटें मिली थीं।

जेडीएस

पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी जेडीएस सुप्रीमो हैं। कर्नाटक में कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार चला रहे हैं। पिछले चुनाव में इन्हें 2 सीट मिली थीं।

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एनसीपी

शरद पवार की एनसीपी को पिछले चुनाव में 6 सीट मिली थी।

डीएमके

सीनियर द्रविड़ नेता रहे करुणानिधि के बेटे एमके स्टालिन इस समय भले यूपीए के साथ हैं। लेकिन कांग्रेस को अंदाजा है कि यदि डीएमके के अन्दर चल रहा विवाद समाप्त नहीं हुआ तो वो एनडीए के साथ जा सकती है। पिछले चुनाव में इनका खाता भी नहीं खुला था।

नैशनल कॉन्फ्रेंस

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पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला की नैशनल कॉन्फ्रेंस का जम्मू-कश्मीर में अच्छा जनाधार है। ये भी पहले एनडीए का हिस्सा रही है, फिलहाल कांग्रेस के साथ खड़ी है। पिछले चुनाव में इनका खाता नहीं खुला था।

फेडरल फ्रंट

टीएमसी

पिछले चुनाव में टीएमसी ने 34 सीटें जीती थीं। फेडरल फ्रंट की ओर से फिलहाल कोई भी भावी पीएम उम्मीदवार नहीं है।

टीडीपी

एनडीए से अलग हुई टीडीपी कांग्रेस को साथ लाकर महागठबंधन करना चाहती थी लेकिन बात नहीं बनी। अब टीडीपी फेडरल फ्रंड के सस्थ है।

एजीपी

सिटिजनशिप बिल आने के बाद एजीपी एनडीए का हिस्सा थी लेकिन अब पार्टी फेडरल फ्रंट का साथ कर चुकी है।

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राष्ट्रीय लोक दल

रालोद नेता अजीत सिंह अपनी आस्था बदलने के लिए जाने जाते हैं, पूर्व पीएम और कद्दावर किसान नेता चौधरी चरण सिंह के बेटे ने पार्टी का न सिर्फ जनाधार खोया बल्कि सिर्फ जाटों की पार्टी बन कर रह गई है। कांग्रेस ने इन्हें अपने साथ लिया नहीं और बीजेपी के साथ जाने से इनका वोट बैंक इनके साथ रहेगा नहीं। ऐसे में अजित फेडरल फ्रंट के साथ हो लिए हैं। पिछले चुनाव में पार्टी का खाता नहीं खुला।

बसपा

यूपी में जनाधार का डंका बजाने वाली बसपा का खाता पिछले लोकसभा चुनाव में नहीं खुला। बीते विधानसभा चुनाव में भी पार्टी कुछ खास नहीं कर सकी ऐसे में अपनी साख बचाने के लिए बसपा ने अपने चिर विरोधी सपा का दामन थाम लिया।

सपा

पिछले चुनाव के दौरान यूपी में सपा सरकार थी लेकिन उसके बाद भी पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी रही सही कसर शिवपाल यादव ने नई पार्टी बना कर पूरी कर दी ऐसे में सपा और बसपा ने गठबंधन कर लिया और अपनी खिसकती जमीन पर कब्जा मजबूत करने में जुड़ गए। अखिलेश की मंशा है की वो अधिक से अधिक सीटों पर विजय हासिल करें ताकि मुलायम सिंह यादव का पीएम वाला सपना पूरा कर सकें।

अभी इनका कुछ तय नहीं

सीपीएम

सीपीएम केरल में कांग्रेस के साथ है वहीं बंगाल में भी कांग्रेस के साथ जाने को तैयार है लेकिन फेडरल फ्रंट में भी जाना चाहते हैं। पिछले चुनाव में 9 सीट मिली।

पीडीपी

फेडरल फ्रंट या यूपीए कहीं भी जाने को तैयार लेकिन अभी तय नहीं कहां जाना है।

आप

पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ जाने को बेताब हैं लेकिन वो लेने को तैयार नहीं। पिछले चुनाव में 4 सीट मिली।

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टीआरएस

टीआरएस किसी के साथ नहीं है ये किनारे पर बैठ चुनाव परिणाम का इंतजार करेंगे । पिछले चुनाव में 11 सीट मिली।

बीजेडी

ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की बीजेडी को पिछली सरकार में 20 सीट मिली थीं। फिलहाल नवीन किसी के साथ नहीं हैं और उम्मीद भी नहीं है की वो किसी के साथ जाएंगे।

वाईएसआर कांग्रेस

वाईएसआर कांग्रेस फिलहाल किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है।

आईएनएलडी

ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी में इस समय अपने सबसे बुरे समय से गुजर रही है, बेटे अजय चौटाला ने जेजेपी बना ली है। दोनों ही दल कांग्रेस या बीजेपी के साथ जा सकते हैं।



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Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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