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2 सीटों से चुनाव : अगर राहुल भगोड़े तो अटल बिहारी और इंदिरा क्यों नहीं ?

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार अमेठी के साथ वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल के दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर बीजेपी अमेठी से भागने का आरोप लगा रही है। अब ऐसे में हमने सोचा कि मौका भी है दस्तूर भी है तो पता करें कि कौन से नेता रहे हैं जिन्होंने एक से अधिक सीट पर चुनाव लड़ा।

Rishi
Published on: 4 April 2019 4:20 PM IST
2 सीटों से चुनाव : अगर राहुल भगोड़े तो अटल बिहारी और इंदिरा क्यों नहीं ?
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लखनऊ : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार अमेठी के साथ वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल के दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर बीजेपी अमेठी से भागने का आरोप लगा रही है। अब ऐसे में हमने सोचा कि मौका भी है दस्तूर भी है तो पता करें कि कौन से नेता रहे हैं जिन्होंने एक से अधिक सीट पर चुनाव लड़ा।

हमारी पड़ताल में जो सबसे पहला नाम सामने आया वो तो बीजेपी के संस्थापक सदस्य, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का है। जिन्होंने एक दो नहीं तीन सीट से चुनाव लड़ा था। वहीं कांग्रेस से जो नाम सामने आया वो है पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का। सिर्फ इतना ही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी भी दो सीटों से चुनाव लड़ चुके हैं।

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अटल गिफ्ट है ये नेताओं को

आपको जानकर हैरत होगी कि ये एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने का आइडिया तो अटल ने ही नेताओं को दिया है। तो सबसे पहले उनकी ही बात करते हैं।

1952 में लखनऊ सीट से उपचुनाव में हारने के बाद अटल 1957 में जनसंघ के टिकट पर लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर सीट से मैदान में थे। लखनऊ और मथुरा हार गए, लेकिन बलरामपुर ने उन्हें संसद भेज दिया।

इस सफलता से उत्साहित अटल 1991 में विदिशा और लखनऊ से चुनावी मैदान में उतरे और दोनों सीटें जीत लीं। 1996 में एक बार फिर लखनऊ और गांधीनगर से चुनाव लड़ा और दोनों सीटें कब्जे में कर लीं।

इंदिरा चलीं अटल की चाल

आपातकाल के बाद पूर्व पीएम इंदिरा गांधी रायबरेली से हार गई थीं। ऐसे में जब 1980 के चुनाव आए तो उन्होंने अटल की तरह ही रायबरेली और मेडक से नामांकन किया। इंदिरा दोनों जगह से जीतीं, बाद में मेडक सीट छोड़ दी।

बीजेपी के भीष्म भी थे लाइन में

लालकृष्ण आडवाणी ने 1991 के चुनाव में गांधीनगर और नई दिल्ली सीट से भी चुनाव लड़ा। आडवाणी दोनों सीट जीते और बाद में नई दिल्ली सीट छोड़ दी।

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अटल के उत्तराधिकारी एनटीआर

तेलुगू देशम पार्टी सुप्रीमो एनटी रामाराव ने 1985 के विधानसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश की नलगोंडा, गुडीवडा, हिंदुपुर सीट से मैदान में ताल ठोकी और तीनों पर जीते। उन्होंने नलगोंडा, गुडीवडा सीट छोड़ दी।

अटल से एक कदम आगे देवी लाल

हरियाणा के बड़े नेताओं में शुमार रहे देवी लाल ने 1991 के चुनावों में तीन लोकसभा सीट सीकर, रोहतक और फिरोजपुर के साथ ही घिराई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। लेकिन जीत कहीं से भी नसीब नहीं हुई।

समोसे में आलू दो बार दो सीटों से लालू

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने 2004 के चुनाव में छपरा और मधेपुरा से चुनाव लड़ा था और दोनों सीटों पर कब्ज़ा जमा लिया। अगले चुनाव में सारण और पाटलिपुत्र से मैदान में थे, सारण से जीते तो पाटलिपुत्र से नसीब हुई हार।

मन से मुलायम भी दो सीटों का मोह लगा बैठे

मुलायम सिंह यादव पिछले चुनाव में आजमगढ़ और मैनपुरी सीट से ताल ठोक रहे थे, दोनों सीटों पर चुनाव जीतें। मैनपुरी सीट छोड़ दी।

राहुल की मम्मी भी हैं इस लिस्ट में

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 1999 में अमेठी और बेल्लारी सीट से चुनाव लड़ा था। दोनों सीटों पर जीत दर्ज की और बाद में बेल्लारी सीट छोड़ दी।

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नमो भी दो सीटों पर लड़ें हैं

पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव में वडोदरा और वाराणसी को अपना निर्वाचन क्षेत्र बनाया। दोनों सीटों पर अपने प्रतिद्वंद्वी को भारी अंतर से हराया। बाद में वडोदरा सीट छोड़ दी।

टीपू भैया के लिए तो पुरानी बात है

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 2009 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज और फिरोजाबाद सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों जीते। बाद में फिरोजाबाद सीट छोड़।



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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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