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जानवरों के मुकाबले इंसानी शरीर में आसानी से घुसता है कोरोना, नए अध्ययन में खुलासा
कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिक इस वायरस पर अध्ययन करने में जुटे हुए हैं। इस बीच ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में खुलासा किया है कि कोरोना वायरस जानवरों के मुकाबले इंसानों के शरीर को तेजी से संक्रमित करता है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिक इस वायरस पर अध्ययन करने में जुटे हुए हैं। इस बीच ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में खुलासा किया है कि कोरोना वायरस जानवरों के मुकाबले इंसानों के शरीर को तेजी से संक्रमित करता है। फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस के संक्रमण को समझने के लिए यह अध्ययन किया है।
इंसानी शरीर को तेजी से करता है संक्रमित
इस अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन इंसानों में पाए जाने वाले रिसेप्टर एसीई-2 से मिलकर कोशिकाओं को काफी तेजी से संक्रमित करता है। अध्ययन के मुताबिक कोरोना वायरस पैंगोलिन और चमगादड़ के मुकाबले इंसानी कोशिका में तेजी से प्रवेश करने में कामयाब होता है।
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इस कारण इंसानों में संक्रमण ज्यादा
शोधकर्ता और वायरस विशेषज्ञ निकोलाई पैत्रोव्स्की ने बताया कि अध्ययन में पता चला है कि कोरोना वायरस उस प्रजाति को काफी आसानी से संक्रमित करता है जिसे वह सबसे ज्यादा संक्रमित कर चुका होता है। इसके बारे में यह भी पता चला है कि किसी नई प्रजाति को वह आसानी से संक्रमित नहीं कर पाता। निकोलाई का कहना है कि यह चौंकाने वाली बात है कि यह इंसानी कोशिका को पहले भी संक्रमित कर चुका है।
लैब में प्रयोग के दौरान ऐसा संभव
ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध वायरस विशेषज्ञ माने जाने वाले निकोलाई के मुताबिक शायद वायरस पहले कभी इंसानी कोशिका को संक्रमित कर चुका है। उन्होंने कहा कि संभव है कि लैब में प्रयोग के दौरान ऐसा हुआ हो। उन्होंने कहा कि इस वायरस की संरचना और व्यवहार को देखकर लगता है कि वह इंसानी शरीर को संक्रमित करने के लिए पूरी तरह सक्षम है।
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वाहक की नहीं हो सकी पहचान
निकोलाई ने कहा कि कोरोना वायरस पर दुनिया भर में अध्ययन किए जा रहे हैं, लेकिन सबसे अहम बात यह है कि अभी तक इसका मुख्य वाहक नहीं पहचाना जा सका है। उन्होंने कहा कि पहले फैली महामारियो में मुख्य वाहक को पहचाना गया था। इसलिए कई बातें साफ हो गई थीं मगर कोरोना के मामले में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि जैसे मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम ऊंट के जरिए फैला था और सार्स सिवेट कैट के जरिए फैला था। बंदरों ने इबोला वायरस का संक्रमण फैलाया था, लेकिन अभी तक हम कोरोना के वाहक को नहीं खोज सके हैं। कोरोना वायरस के वाहक के बारे में सही जानकारी ना हो पाने के कारण कई बातें स्पष्ट नहीं हो पा रहे हैं।
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और ज्यादा रिसर्च की जरूरत
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति पर और ज्यादा रिसर्च किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस वायरस के असली वाहक के बारे में पूरी जानकारी होनी जरूरी है। इस वायरस का संक्रमण चीन के वुहान शहर से माना जा रहा है। कई अध्ययनों में पैंगोलिन और चमगादड़ों को कोरोना का सोर्स बताया जा रहा है मगर अभी तक इस बारे में ठोस बातें सामने नहीं आ पा रही हैं। निकोलाई का कहना है कि ऐसा भी हो सकता है की लैब में उन दोनों के क्रास कंटामिनेशन से नए तरह के वायरस की पैदाइश हुई हो।