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सर्वे में एनडीए की सत्ता में वापसी की उम्मीद, मिल सकती हैं 283 सीटें

सर्वे के अनुसार एनडीए को 543 में से 283 सीट मिलने का अनुमान जताया गया है, वहीं यूपीए के सिर्फ 135 सीटों तक सिमट जाने की उम्मीद जताई गई है।

Shivakant Shukla
Published on: 19 March 2019 12:17 PM IST
सर्वे में एनडीए की सत्ता में वापसी की उम्मीद, मिल सकती हैं 283 सीटें
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नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद सभी पार्टियां जोरशोर से चुनाव प्रचार में जुट गई हैं। चुनावी सभाओं का दौर शुरू हो चुका है और पूरा देश चुनावी मोड में आ चुका है।

चुनावी नतीजों को लेकर सर्वे का दौर भी शुरू हो चुका है। इस बीच टाइम्स नाऊ और वीएमआर के सर्वे में एनडीए के फिर से बहुमत के जादुई आंकड़े को छूने की उम्मीद जताई गई है। सर्वे के अनुसार एनडीए को 543 में से 283 सीट मिलने का अनुमान जताया गया है, वहीं यूपीए के सिर्फ 135 सीटों तक सिमट जाने की उम्मीद जताई गई है।

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सर्वे के मुताबिक दक्षिण भारत में एनडीए को कोई खास सफलता मिलती नहीं दिख रही है, लेकिन ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल में बीजेपी को बढ़त मिलने का अनुमान है। नॉर्थ ईस्ट के प्रदेश असम और हिंदी पट्टी के राज्यों में भी बीजेपी का दबदबा कायम रहेगा। हिंदी पट्टी के राज्यों में दबदबा कायम रहने से सर्वे के अनुसार बीजेपी और सहयोगी दल आसानी से बहुमत का आंकड़ा छू लेंगे। एनडीए को 283 सीटें मिल सकती हैं, वहीं अन्य पार्टियों के खाते में 125 और यूपीए को 135 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है।

2014 में मोदी लहर के कारण यूपी में एनडीए को जबर्दस्त कामयाबी मिली थी और एनडीए को 73 सीटों पर विजय हासिल हुई थी। यूपी की इस बड़ी कामयाबी के बल पर नरेन्द्र मोदी दिल्ली की कुर्सी पर आसीन हुए थे मगर इस बार यूपी में 2014 वाली लहर नहीं दिख रही। इस कारण बीजेपी 2014 वाला करिश्मा दोहराती नजर नहीं आ रही। 2014 में प्रदेश में बीजेपी का 43.3 फीसदी वोट मिले थे मगर इस बार भाजपा व सहयोगियों को यूपी में 42 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है। महागठबंधन को 36 और कांग्रेस को 2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है।

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हिन्दी पट्टी के राज्यों में बीजेपी को मिलेगी कामयाबी

बीजेपी और एनडीए को सत्ता में वापसी दिलाने में बड़ी भूमिका हिन्दी पट्टी के राज्यों की होगी। टाइम्स नाऊ और वीएमआर के सर्वे के अनुसार सर्वे के अनुसार हिंदी पट्टी के राज्यों में बीजेपी का जलवा बरकरार रहेगा। दिल्ली में सातों सीटों पर बीजेपी का परचम लहराएगा। मध्य प्रदेश के 29 में से 22 सीटों पर बीजेपी को जीत मिलने का अनुमान है, वहीं राजस्थान में भी बीजेपी 25 में से 20 सीटें जीत सकती है। इन दोनों राज्यों में हाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हार झेलनी पड़ी थी मगर लोकसभा चुनाव में तस्वीर फिर बदल सकती है।

ममता को भी टक्कर देगी भाजपा

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के खिलाफ बड़ा अभियान छेडक़र अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश में लगी बीजेपी के लिए बड़ी खुशखबरी है। सर्वे के आंकड़े अगर हकीकत में बदले तो बीजेपी को प्रदेश में 32 फीसदी वोट शेयर और 11 सीटें मिल सकती हैं। अनुमान लगाया गया है कि प्रदेश में कांग्रेस और लेफ्ट का खाता भी नहीं खुलेगा। 2014 में बीजेपी को यहां 16.8 फीसदी वोट शेयर के साथ दो सीटों से संतोष करना पड़ा था।

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बिहार में भी बढ़त मिलने की उम्मीद

2014 के चुनाव में बिहार में भी मोदी लहर का असर दिखा था और यहां एनडीए तीस सीटें जीतने में कामयाब रहा था। एनडीए को उस समय 51.5 फीसदी वोट मिले थे। 2019 में एनडीए का वोट शेयर 48.40 रहने का अनुमान जताया गया है और एनडीए को 27 सीटें मिल सकती हैं। यूपीए को इन चुनावों में 42.40 फीसदी वोट शेयर और 13 सीटें मिल सकती है।

तेलंगाना में टीआरएस का दबदबा

टाइम्स नाउ और वीएमआर के सर्वे के मुताबिक तेलंगाना एक बार फिर टीआरएस का ही दबदबा रहने की उम्मीद है। सूबे की 17 में से 12 सीटों पर टीआरएस को विजय हासिल होने की उम्मीद है। 2014 में बीजेपी को प्रदेश में 10.4 फीसद वोट और 1 सीट मिली थी। इस चुनाव में 17.60 फीसदी वोट मिलने के साथ 2 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। तेलंगाना में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भी टीआरएस को जबर्दस्त कामयाबी मिली थी।

आंध्र में चंद्रबाबू को लग सकता है झटका

सर्वे के मुताबिक आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय पार्टियों का प्रभुत्व दिखेगा। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस को पिछले लोकसभा चुनावों में आठ सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन इस बार यह आंकड़ा 22 सीटों तक पहुंचने की उम्मीद जताई गई है।

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सर्वे के मुताबिक टीडीपी को बड़ा नुकसान होने के आसार दिख रहे हैं। टीडीपी को एनडीए से अलग होने और एंटी इनकंबेंसी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। अनुमान है कि चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी तीन सीटों तक ही सीमित रह सकती है जबकि पिछले चुनावों में उसे 15 सीटों पर कामयाबी मिली थी।



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Shivakant Shukla

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