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PM Modi US Visit: भारत को विश्व स्तर पर ले जाने के लिए मिशन पर निकला एक कर्मयोगी!

PM Modi US Visit: जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं, उनके एजेंडे में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्तिवाद, अंतर्राष्ट्रीयतावाद और बहुपक्षवाद के पुनर्जागरण को बढ़ावा देने की ज़रूरत होगी और दुनिया में हर कोई जिस बदलाव को देखना चाहता है, उनके एजेंडे में उन मूल्यों की भी आवश्यकता होगी।

Anirban Sarma
Published on: 22 Jun 2023 2:28 PM GMT (Updated on: 22 Jun 2023 2:28 PM GMT)
PM Modi US Visit: भारत को विश्व स्तर पर ले जाने के लिए मिशन पर निकला एक कर्मयोगी!
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अमेरिका दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी: Photo- Social Media

PM Modi US Visit: जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं, उनके एजेंडे में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्तिवाद, अंतर्राष्ट्रीयतावाद और बहुपक्षवाद के पुनर्जागरण को बढ़ावा देने की ज़रूरत होगी और दुनिया में हर कोई जिस बदलाव को देखना चाहता है, उनके एजेंडे में उन मूल्यों की भी आवश्यकता होगी।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संयुक्त राज्य अमेरिका (US) की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के लिए 20 जून को न्यूयॉर्क पहुंचे। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद अमेरिका की उनकी यह पहली राजकीय यात्रा है। व्हाइट हाउस के एक बयान में पहले कहा गया था, “पीएम मोदी की यह यात्रा संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच गहरी और क़रीबी साझेदारी की पुष्टि करेगी, साथ ही यह यात्रा परिवार और दोस्ती के गर्मजोशी से भरे संबंध, जो कि अमेरिकियों और भारतीयों को एक साथ जोड़ते हैं, उन्हें भी मज़बूती प्रदान करेगी।” दरअसल, यह यात्रा दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच के संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करती है। महत्त्वपूर्ण रूप से देखा जाए तो यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी को भारत को विश्व में अहम स्थान दिलाने, एक गहराई से अनुभव की गई व्यक्तिगत विश्वास प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने और वैश्विक मंच पर भारतीय नेतृत्व का प्रदर्शन करने के अपने मिशन को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है।

यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी को भारत को विश्व में अहम स्थान दिलाने, एक गहराई से अनुभव की गई व्यक्तिगत विश्वास प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने और वैश्विक मंच पर भारतीय नेतृत्व का प्रदर्शन करने के अपने मिशन को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है।

PM मोदी ने किया संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का नेतृत्व

अमेरिका में अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र (UN) मुख्यालय में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का नेतृत्व किया, जो उनके उपरोक्त तीनों सिद्धांतों को सीधे तौर पर ज़ाहिर करता है। संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि योग “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को दुनिया के लिए एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत करता है। यह “आंतरिक नज़रिए का विस्तार करता है” और “हमारे विरोधाभासों, रुकावटों एवं प्रतिरोधों को समाप्त करने” में सहायता करता है। भारत ने “हमेशा उन परंपराओं का पोषण किया है जो एकजुट करने, अपनाने और गले लगाने वाली हैं,” और योग अपने आप में वसुधैव कुटुम्बकम के विचार का विस्तार है।

इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी का वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाए जाने की सफल कोशिश और उनके द्वारा लीक से अलग हटकर की गई LiFE पहल की शुरुआत, उन्हीं अनिवार्यताओं द्वारा निर्देशित की गई हैं। दोनों ही मामलों में सही मायने में भारतीय प्रथाओं या नैतिकता को व्यक्तिगत दायरे से बाहर निकालकर पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत किया गया है। उनके इन प्रयासों की अब वैश्विक स्तर पर सर्वोत्तम प्रथा के तौर पर सराहा गया है। मिलेट्स का पोषण मूल्य बहुत अधिक है और मिलेट्स को लेकर घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय मांग को बढ़ावा देने के उपायों से इनके टिकाऊ उत्पादन व खपत को बढ़ावा मिलेगा। इसी तरह, पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली में बदलाव, जो हम एक व्यक्ति के रूप में करते हैं, वो एक स्वच्छ एवं हरित धरती के निर्माण में सहायक सिद्ध होगा।

डिजिटल सशक्तिकरण एक नए व्यक्तिवाद के उदय के लिए प्रमुख क्षेत्र होगा। इसलिए, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को बढ़ावा देना भारत की G20 अध्यक्षता की मुख्य प्राथमिकता रही है।

सिद्धांतों के इस व्यापक फ्रेमवर्क ने G20 में भारत की अध्यक्षता और ग्लोबल साउथ की तर्कसंगत आवाज़ के रूप में भारत के उदय को आकार देने का काम किया है।इसने मूलभूत सामाजिक अनुबंधों के साथ फिर से जुड़ने और एक नए व्यक्तिवाद, एक नए अंतर्राष्ट्रीयतावाद और एक नए बहुपक्षवाद की वक़ालत करने के प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों के आधार के रूप में भी काम किया है।

डिजिटल सशक्तिकरण एक नए व्यक्तिवाद के उदय के लिए प्रमुख क्षेत्र होगा। इसलिए, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को बढ़ावा देना भारत की G20 अध्यक्षता की मुख्य प्राथमिकता रही है। भारत तीनों मूलभूत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने वाला पहला देश बन गया है, यानी एक विशिष्ट पहचान प्रणाली, एक रियल टाइम एवं तीव्र भुगतान प्रणाली और गोपनीयता से समझौता किए बग़ैर व्यक्तिगत आंकड़ों को साझा करने के लिए एक प्लेटफॉर्म। मिलाजुलाकर देखा जाए तो इन तीन तरह के DPI ने सार्वजनिक सेवा के वितरण और नागरिक सशक्तिकरण को पूरी तरह से बदल दिया है, साथ ही अभूतपूर्व स्तर पर नवाचार की शुरुआत की है।ज़ाहिर है कि वर्तमान में 99.9 प्रतिशत से अधिक भारतीय वयस्क सार्वजनिक सेवाओं का लाभ उठाने के लिए अपनी आधार आईडी का उपयोग करते हैं।इसके अतिरिक्त भारतीय नागरिक एकीकृत भुगतान इंटरफेस यानी यूपीआई के ज़रिए प्रतिदिन 30 मिलियन लेनदेन करते हैं। इतना ही नहीं, भारत इस सबके माध्यम से दुनिया के सबसे बड़े तकनीक़ी-सक्षम वित्तीय समावेशन कार्यक्रम का संचालन करता है। भारत अपनी डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञता को दुनिया के साथ साझा कर रहा है और इसने ग्लोबल नॉर्थ का ध्यान आकर्षित किया है। अपनी अमेरिका यात्रा के पहले दिन पीएम मोदी के साथ बातचीत करते हुए अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल रोमर ने कहा कि जहां तक आधार और डिजीलॉकर जैसे तकनीक़ी समाधानों की बात है, तो भारत “दुनिया को दिखा सकता है कि इसे सही तरीक़े से किस प्रकार किया जाए.” क्वॉड नेताओं और ईयू-इंडिया ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल के हालिया बयानों ने भी DPI की परिवर्तनकारी ताक़त पर बल दिया है।

बहुपक्षवाद की मांग

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोगों और पृथ्वी के बीच एक नया संबंध स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने भारत को वर्ष 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। लेकिन पीएम मोदी इसको लेकर भी सतर्क हैं कि एक नया अंतर्राष्ट्रीयवाद केवल जलवायु सहयोग की एक नई व्यवस्था से ही पैदा हो सकता है। इसी के मद्देनज़र भारत और फ्रांस ने मिलकर वर्ष 2015 में इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) यानी अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना की, ताकि देश संयुक्त रूप से लागत प्रभावी सौर-आधारित स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को विकसित कर सकें और उन्हें तैनात कर सकें। वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में 114 सदस्य देश शामिल हैं और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किया गया इसका ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ (One Sun, One World, One Grid) कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रीय ग्रिडों को एक समान ग्रिड के माध्यम से जोड़ने के लिए एक दूरदर्शी प्रयास के रूप में माना जाता है, जो नवीकरणीय ऊर्जा को सीमाओं के आर-पार स्थानांतरित कर सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु कार्रवाई को एक क़दम आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2019 में जलवायु और आपदाओं के ज़ोख़िमों के लिए बुनियादी ढांचे के लचीलेपन को मज़बूत करने हेतु बहुहितधारक कोलिजन फॉर रिसाइलेंट इंफ्रास्ट्रक्चर (CDRI) यानी आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचा गठबंधन की स्थापना की। अन्य देशों के अलावा अमेरिका ने भी CDRI की स्थापना के लिए भारत की औपचारिक रूप से प्रशंसा की है और USAID ने इसके काम में सहायता करने के लिए धन एवं तक़नीकी जानकारी उपलब्ध कराने का वादा किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की आवाज मजबूत बनाया है

आख़िर में, आज एक नए और सुधारित बहुपक्षवाद की मांग के लिए सबसे मज़बूत आवाज़ों में भारत की आवाज़ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फरवरी में G20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों से बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार और उनके पुनरोद्धार के लिए तत्काल क़दम उठाने का आग्रह किया था। अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को संबोधित करते हुए भारत के स्थाई प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर को “अप्रचलित” करार दिया था। इतना नहीं भारत के स्थाई प्रतिनिधि ने वीटो की ताक़त वाले संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थाई सदस्यों वाली UNSC की प्रणाली की आलोचना करते हुए तर्क दिया था कि क्या पांच देशों को “दूसरों की तुलना में अधिक समान” नहीं बनाया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जिस प्रकार से भारत ने अपनी स्थिति को ज़ोरदार तरीक़े से रखा है, वह स्पष्ट तौर पर बताता है कि संयुक्त राष्ट्र और ब्रेटन वुड्स संस्थानों का आमूल-चूल बदलाव अब बेहद अहम हो गया है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जिस प्रकार से भारत ने अपनी स्थिति को ज़ोरदार तरीक़े से रखा है, वह स्पष्ट तौर पर बताता है कि संयुक्त राष्ट्र और ब्रेटन वुड्स संस्थानों का आमूल-चूल बदलाव अब बेहद अहम हो गया है।

देखा जाए तो बीते 9 वर्ष भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक लिहाज़ से तेज़ बदलावों की अवधि के रहे हैं, जो कि एक वैश्विक महामारी, क्षेत्रीय आक्रमणों और वित्तीय मंदी से प्रभावित हुए हैं। इस अवधि के दौरान भारत-अमेरिका संबंध लगातार प्रगाढ़ हुए हैं। दोनों देशों के संबंधों में यह मज़बूती महत्त्वपूर्ण और उभरती टेक्नोलॉजी पर द्विपक्षीय पहल, एक प्रमुख आसन्न रक्षा सौदे और क्वॉड के अनुरूप नज़रिए के माध्यम से स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। लेकिन जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संयुक्त राष्ट्र का दौरा कर रहे हैं और राष्ट्रपति बाइडेन से उनकी मुलाक़ात होनी है, तो उनके एजेंडे में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्तिवाद, अंतर्राष्ट्रीयतावाद और बहुपक्षवाद के पुनर्जागरण को बढ़ावा देने की ज़रूरत होगी, इसके साथ ही दुनिया में जो बदलाव हर कोई देखना चाहता है, उनके एजेंडे मे उन्य मूल्यों की भी आवश्यकता होगी।

अनिर्बन सरमा

(लेखक ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो हैं।)

Anirban Sarma

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